November 24, 2024

जैविक खेती पर आधारित तीन दिनी कार्यशाला 8 नवंबर से

ग्राम बांगरोद में आयोजित कार्यशाला में आएंगे कई कृषि वैज्ञानिक

रतलाम 4 नवम्बर (इ खबरटुडे)। भारत की सैकडों वर्ष पुरानी परम्परागत खेती,जिसे हमने रुढिवादी और पुरानी रीति समझ कर नकार दिया था,वास्तविक रुप से वही हमारे कृषि विकास का मूलमंत्र है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के हानिकारक प्रभावों को जैविक खेती के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। आम किसानों को जैविक कृषि की नई तकनीकों से परिचित कराने के लिए जैविक कृषि पर आधारित तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 8 से 10 नवंबर तक समीपस्थ ग्राम बांगरोद में किया जा रहा है।
कार्यशाला की आयोजनकर्ता संस्था संघोष सामाजिक सेवा समिति के पंकज जोशी ने कार्यशाला की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि ग्राम बांगरोद की श्रीराम गौशाला में आयोजित उक्त कार्यशाला में भारतीय जैविक खेती के अनेक नए प्रयोगों को देखने सुनने,समझने और सीखने का अवसर किसानों को मिलेगा। कार्यशाला में देश के कई जाने माने कृषि वैज्ञानिक व अनुभवी जैविक कृषक जिले के किसानों को अपने ज्ञान और अनुभव से लाभान्वित करेंगे।
श्री जोशी ने बताया कि कार्यशाला का शुभारंभ 8 नवंबर शनिवार को होगी। उद्घाटन सत्र में कृषि वैज्ञानिकों व स्वास्थ्य विशेषज्ञों के सम्बोधनों के साथ साथ उन्नत जैविक कृषकों की परिचर्चा होगी। कार्यशाला के दूसरे दिन अर्थात 9 नवंबर रविरार को सभी प्रशिक्षणार्थियों को 4 अलग अलग समूहों में जैविक कृषकों के खेतों पर ले जाया जाएगा,जहां वे जैविक और प्राकृतिक कृषि के तौर तरीकों को प्रत्यक्ष रुप से देख समझ सकेंगे। कार्यशाला का समापन 10 नवंबर को होगा। समापन के अवसर पर जहां भ्रमण से लौट कर आए कृषक अपने अनुभवों को साझा करेंगे वहीं उन्नत जैविक कृषकों के सफलतम प्रयोगों की कहानी उन्ही कृषकों की जुबानी सुनने को मिलेगी। कार्यशाला के समापन अवसर पर विगत 5 वर्ष से जैविक खेती कर रहे कृषकों को सम्मानित किया जाएगा।
कार्यशाला संयोजक श्री जोशी ने बताया कि  कार्यशाला में भाग लेने वाले कृषकों के आवास व भोजन की व्यवस्था भी आयोजन संस्था द्वारा की जाएगी। यह कार्यशाला पूर्णत: निशुल्क है। आयोजन संस्था द्वारा जिले भर के किसानों को कार्यशाला में भाग लेने हेतु आमंत्रित किया गया है। श्री जोशी ने कृषक बन्धुओं से आग्रह किया है कि वे अधिकाधिक संख्या में कार्यशाला में शामिल होकर जैविक कृषि को समझें और जैविक खेती से जुडने की दिशा में आगे बढें।

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