किसान संघ का दिल्ली में जंगी प्रदर्शन 13 सितम्बर को
केन्द्र की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर अल्टीमेटम देंगे
वडोदरा,7 अगस्त (इ खबरटुडे)। केन्द्र सरकार लगातार किसान विरोधी नीतियों पर काम कर रही है। विदेशी कंपनियों को लाभ पंहुचाने के लिए भारत सरकार किसानों को बरबाद करने पर तुली हुई है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने,भूमि अधिग्रहण के दमनकारी कानूनों को रद्द कराने जैसी अनेक मांगों को लेकर भारतीय किसान संघ आगामी 13 सितम्बर को नईदिल्ली में विराट प्रदर्शन करेगा। इस आन्दोलन में देश भर के लाखों किसान एकत्रित होकर सरकार को अपनी ताकत दिखाएंगे और किसान विरोधी नीतियों को समाप्त करने के लिए दबाव बनाएंगे।
यह बात भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने स्थानीय वृन्दावन होटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कही। मीडीयाकर्मियों से चर्चा करते हुए श्री केलकर ने कहा कि किसान संघ का नारा है,जो किसान हित की बात करेगी वही देश पर राज करेगा। उन्होने कहा कि केंन्द्र सरकार विदेशी कंपनियों के हाथ की कठपुतली बनी हुई है और किसानों को बरबाद करने का षडयंत्र कर रही है।
भारत में कृषि और किसानों की बुरी हालत का जिक्र करते हुए श्री केलकर ने कहा कि आजादी के समय देश की सकल घरेलु आय में कृषि का योगदान 40 प्रतिशत था,लेकिन ये अब घटकर मात्र 14 प्रतिशत रह गया है। उस समय देश की अस्सी प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर थी,लेकिन अब इसमें भारी गिरावट आ चुकी है। सरकार की नीतियां खेती और किसानों को बरबाद करने पर तुली हुई है।
श्री केलकर ने सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि कृषि राज्यों का विषय है,परन्तु केन्द्र सरकार इसमें अनावश्यक हस्तक्षेप कर किसानों के साथ शत्रुओं जैसा व्यवहार कर रही है। उन्होने कहा कि किसान विरोधी बीज कानून,पानी का निजीकरण,कृषि योग्य बेशकीमती जमीनों को विदेशी कंपनियों के लिए कौडियों के दाम पर अधिग्रहण,कृषि उपजों का लाभकारी मूल्य नहीं दिया जाना,खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश को आमंत्रण जैसी नीतियों के कारण किसान बरबादी की कगार पर पंहुच गए है। उन्होने कहा कि भारत सरकार की इन कृषि विरोधी नीतियों का नतीजा है कि दो लाख नब्बे हजार किसान आत्महत्या कर चुके है। बयालिय प्रतिशत किसान खेती छोडने को तैयार बैठे है। देश में किसानों की 20 लाख हैक्टेयर कृषियोग्य भूमि छीनी जा चुकी है।
श्री केलकर ने कहा कि किसान संघ लम्बे समय से मांग करता आ रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून के स्थान पर भूमि उपयोगिता कानून लागू किया जाए। किसान हित में कृषि नीति लागू की जाए। कृषि के लिए स्वतंत्र बजट बनाया जाए। कृषि उपजों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए ठोस उपाय किए जाए। लेकिन केन्द्र सरकार किसानों के हित में ठोस निर्णय लेने की बजाय केवल किसान हित का दिखावा करती है। विदेशी कंपनियों को उर्जा के नाम पर करोडों रुपए दिए जाते है लेकिन किसानों के बैंक खाते में सीधे अनुदान की राशि जमा करने की घोषणा महज दिखावा बनी हुई है। खाद की कीमतों में बेतहाशा वृध्दि हो गई है।
श्री केलकर ने कहा कि किसान संघ का साफ कहना है कि जो किसान हित की बात करेगा वही देश पर राज करेगा। यही आवाज बुलन्द करने के लिए आगामी 13 सितम्बर को नई दिल्ली में देशभर के लाखों किसान भाग लेंगे और केन्द्र सरकार व तमाम राजनीतिक दलों पर किसान हितैषी नीतियां बनाने के लिए दबाव डालेंगे। उन्होने बताया कि देश भर के किसानों में सरकारी नीतियों के प्रति गुस्सा है और नई दिल्ली में लाखों किसान पंहुचेंगे।
उन्होने कहा कि 13 सितम्बर के कार्यक्रम के द्वारा किसान सरकार को अल्टीमेटम देंगे कि किसान विरोधी नीतियां बन्द करें और देश की 121 करोड जनता के लिए मेहनत करने किसानों को बरबाद करने वाली नीतियों को तत्काल बंद करे। सामान्यतया किसान संघर्ष करने के पक्ष में नहीं है परन्तु ईतिहास साक्षी है कि जिस सरकार ने किसानों पर अत्याचार किया है,किसानों ने एकजुट होकर उस सरकार को उखाड फेंका है और जीत हासिल की है।