November 24, 2024

Raag Ratlami Transport Dept – सडक और गाडियों से जुडे तमाम नियम कायदों को धता बदा देते है सडक वाले महकमे के अफसर

-तुषार कोठारी

रतलाम। सड़कों पर दौडने वाली गाडियों को नियम कायदे से चलाने के लिए दो सरकारी महकमे मौजूद है। इनमें एक महकमा तो वर्दी वालों का है। वर्दी वाले महकमे को आमतौर पर शहरों के भीतर चलने वाली गाडियों पर नजर रखना होती है और सड़कों का इंतजाम सम्हालना होता है। दूसरे महकमे के पास गाडियों से जुडी तमाम जिम्मेदारियां है। गाडियों का टैक्स वसूलने से लेकर परमिट लायसेंस जारी करने तककी सारी जिम्मेदारी सडक वाले महकमे के पास है। इस महकमे पर जिम्मेदारियां ज्यादा है तो कमाई भी जबर्दस्त है। इस महकमे के कारिन्दो को जबर्दस्त कमाई से भी ज्यादा कमाई करने का चस्का लगा होता है और यही वजह है कि सड़क और गाडियों से जुडे तमाम कायदे कानूनों को महकमे के लोग जब चाहे धता बता देते है।

सड़क वाले महकमे का दफ्तर पहले किराये की बिल्डिंग में लगता था,लेकिन सरकार ने अब बडी सी इमारत बनवा दी है। इमारत बडी जरुर हो गई है,लेकिन महकमे के अफसर और कारिन्दों की नीयत में इससे कोई फर्क नहीं पडा है। बडी इमारत में पंहुचने के बाद महकमे के साहब ने सारे कामों की फीस भी पहले के मुकाबले काफी बडी कर दी है।

सरकार का ये इकलौता महकमा है,जहां दफ्तरी कारकूनों की तादाद तो ना के बराबर है,लेकिन दफ्तर का काम करने के लिए कई सारे लोग हाजिर रहते है। ये वो लोग है,जो एजेन्ट कहलाते है। वे अपने काम करवाने के एवज में सरकारी दफ्तर को फ्री सेवा देने को तैयार रहते है। हालात ऐसे है कि सडक वाले महकमे में साहब के अलावा केवल दो बाबू और एकाध चपरासी के अलावा और कोई सरकारी कारिन्दा नहीं है,मगर कमाल ये है कि काम पर कोई फर्क नहीं पडता।

दफ्तर में हर वो काम तेजी से होता है,जिसपर पर्याप्त वजन रखा होता है। वजन का दस्तूर तो इस महकमे में शुरु से ही था,लेकिन अभी वाले साहब के आने के बाद से वजन काफी बढा दिया गया है। साहब ने फाईलों पर रखे जाने वाले वजन को जब से बढाया है,बडी चारपहिया गाडियों वाले बेहद परेशान है। साहब की फरमाईशे बढती जाती है।

करने को तो इस महकमे के पास ढेरों काम है। स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाली गाडियों की ठीक से जांच भी इन्ही को करना होती है,और लोगों को एक गांव से दूसरे गांव ले जाने वाली बसों की जांच भी इन्ही के पास है। महकमे के साहब की सदारत में स्कूली बच्चों के वाहनों की जांच भी फाईल पर रखे वजन के कारण टाल दी जाती है,और तमाम गाडियों को चाक चौबन्द करार दे दिया जाता है। कई जानकारों का कहना है कि कई स्कूली गाडियां कण्डम हालत में पंहुची हुई है। लेकिन फिर भी इन्हे चाक चौबन्द बता कर बच्चों की जिन्दगियों को खतरे में डाला जा रहा है।

यही हालत गांवों में चलने वाली बसों और छोटी गाडियों की है। बसों मेंं दुगुनी तादाद में लोग बैठाए जाते है,जबकि छोटी गाडियों की छतों को भी सवारियां बैठाने के काम में ले लिया जाता है। सड़क वाले महकमे को इन बातों से कोई लेना देना नहीं होता। उन्हे केवल एक बात से मतलब होता है कि फाईल पर वजन कितना रखा है।

कुल मिलाकर जिले की तमाम सड़कों पर दौडते वाहन,सडक वाले महकमे की मेहरबानी से लोगों की जान का खतरा बने हुए है। हाई वे हो या छोटी सडकें खतरा सभी जगह मौजूद है। लेकिन सड़क वाले महकमे की सुस्ती दूर होने का नाम नहीं लेती।

सिर्फ यही नहीं,सरकार ने सड़कों के खतरे कम करने के लिए तमाम नए नियम बनाए है। लोगों को राहत मिले इसके लिए ज्यादातर काम आनलाइन कर दिए गए है,लेकिन महकमे के लोग इतने चतुर चालाक है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद वे लोगों के लायसेंस बनवाने जैसे कामों के लिए अपनी फीस वसूल ही लेते है।

जब भी कोई दुर्घटना होती है,तब इन सारे मुद्दों की बात निकलती है। दो चार दिन या हफ्ते भर नियम कायदों का पालन किया जाता है और थोडे दिन गुजरते ही पुराना ढर्रा चालू हो जाता है।

गम के बाद मिली खुशी

सैलाना के पंचायती चुनाव के नतीजों ने पंजा पार्टी को दुखी कर दिया था। पंजा पार्टी के लिए खतरे की घण्टी भी बजने लगी थी,क्योकि सैलाना की कमान पंजा पार्टी के गुड्डू भैया के हाथों में है। लेकिन सैलाना शहर ने गुड्डू भैया को बडी राहत दे दी है। पंजा पार्टी और फूल छाप दोनों के सामने बागियों का बडा खतरा था,लेकिन गुड्डू भैया ने बागियों के खतरे से निपटते हुए फतह हासिल कर ली,लेकिन दूसरी तरफ फूल छाप वाले जीत को तरसते रह गए। पहले कहा जा रहा था कि सूबे के चुनाव में गुड्डू भैया की जीत खतरे में है,लेकिन इन नतीजों के बाद पंजा पार्टी की बजाय फूल छाप खतरे में नजर आने लगी है। चुनावी जोड बाकी करने वालों का मानना है कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो सैलाना का इलाका फूल छाप के हाथों से पूरी तरह निकल जाएगा।

त्यौहारों के मौसम का नाप तौल

नाप तौल के लिए बाकायदा एक सरकारी महकमा मौजूद है। महकमे का दफ्तर पटरी पार के इलाके में शहर से काफी दूर है। त्यौहार का सीजन आता है,तो ये महकमा अचानक से सक्रिय हो जाता है और तमाम दुकानों पर नाप तौल की जांच शुरु हो जाती है। वैसे इस महकमे की जिम्मेदारी ये है कि वो साल भर सक्रिय रहे और आम लोगों के साथ नाप तौल में गडबडी कर की जाने वाली धोखाधडी से बचाए। लेकिन कभी किसी ने ये देखा सुना नहीं है कि इस महकमे ने किसी आम आदमी को धोखाधडी से बचाया हो। त्यौहारों की नापतौल भी महकमे वाले लोगों के फायदे के लिए नहीं बल्कि अपन फायदे के लिए करते है ताकि उनका त्यौहार मजे से मन जाए बाकी जनता भाड में जाए।

मेले का खेला…

कालिका माता का नवरात्रि मेला लोगों के लिए जितनी खुशियां लेकर आता है,उससे ज्यादा खुशियां नगर निगम के कारिन्दों और नेताओं के लिए खुशियां लाता है। शहर सरकार के कारिन्दे दुकानों की नीलामी से लेकर दुकानों के चलने में अपनी खुशियां हासिल करते है तो नेता मेले के मंचीय कार्यक्रमों के कमीशन से खुशियां हासिल कर लेते है। हांलाकि शहर के नए प्रथम नागरिक ने अपने शुरुआती दौर में मेले में कई कारोबारियों को दलालों के चंगुल से निकलवा दिया और साथ ही नीचे बैठकर व्यवसाय करने वालों को शुल्क से मुक्ति भी दिलवा दी,लेकिन अभी भी मेले में कई ऐसे खेल है,जिन पर रोक लगना जरुरी है।

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