November 24, 2024

Raag Ratlami Politics : चुनावी चकल्लस बढी,दावेदारों की धडकनें हुई तेज,सियासती फायदे के लिए हो रहा है झण्डे का झगडा

-तुषार कोठारी

रतलाम। धीरे धीरे चुनावी चकल्लस तेज होने लगी है। पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो के दावेदारों की धडकनें अब तेज होने लगी है,क्योंिक वक्त नजदीक आता जा रहा है। इनमें भी फूल छाप वाले दावेदारों की धडकनें ज्यादा तेज है. इसकी वजह ये है कि फूल छाप वाले हारी हुई 39 सीटों के लिए एक लिस्ट तो जारी भी कर चुकी है और 59 की दूसरी लिस्ट आने की तैयारी है। पहली लिस्ट मेंं तो रतलाम का नाम नहीं था,लेकिन दूसरी लिस्ट में हो भी सकता है। अब ये भी तय नहीं है कि दूसरी लिस्ट में सिर्फ हारी हुई सीटों के नाम होंगे या जीती हुई सीटों के भी होंगे।

तो इसलिए फूल छाप वालों की धडकनें तेज है। फूल छाप में इस बात की भी बडी चर्चाएँ है कि उपर वालों ने सारी सीटों पर सर्वे करा लिया है और हर सीट पर चार चार नाम निकाल लिए है। टिकट इन चार नामों में से ही किसी एक को मिलेगा। लेकिन किस सीट पर कौन चार लोग ऐसे है जिनके नाम सर्वे में निकल कर आए है इसकी पक्की जानकारी सिर्फ उपर वालों को है। नीचे वाले तो सिर्फ अंदाजा लगा रहे है।

पिछले चुनाव में फूल छाप को दो सीटों पर हार का मुंह देखना पडा था। दोनो हारी हुई सीटें सुरक्षित है। आलोट और सैलाना दोनो ही सीटों पर मामला उलझा हुआ है। आलोट में महामहिम पुत्र का जबर्दस्त विरोध बताया जाता है। लेकिन महामहिम की पकड के चलते टिकट हासिल करने में उनके पुत्र का दावा मजबूत है। इलाके की समझ रखने वालों का कहना है कि अगर फूल छाप ने बदलाव नहीं किया तो इस सीट पर फिर से नुकसान उठाना पड सकता है। लेकिन यहां पंजा पार्टी की हालत भी ठीक नहीं है। पंजा पार्टी के जीते हुए माननीय अपनी हैसियत गंवा चुके है। पिछले दिनों चर्चाओं में आए उनके रंगीन किस्सों के कारण उनका टिकट भी मुश्किल है और जीत भी कठिन है।

आदिवासी अंचल की सैलाना सीट के हाल भी दोनो पार्टियों के लिए उलझन भरा है। पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो को ही समझ में नहीं आ रहा है कि जयस किसको कितना नुकसान पंहुचाएगा? पंजा पार्टी वाले माननीय भैया ने वैसे तो जमीनी पकड बरकरार रखी है,लेकिन पंजा पार्टी उन्हे मदद करने की स्थिति में नहीं है। दूसरी तरफ फूल छाप वाली बहन जी से फूल छाप के कई सारे लोग नाराज है। फूल छाप में दावेदार भी बहुत ज्यादा है।

नवाबी नगरी जावरा में पंजा पार्टी की खींचतान सबसे ज्यादा दिलचस्प दिखाई दे रही है। पंजा पार्टी के कई सारे बाहरी नेता जावरा पर नजरें गडाए बैठे है। आलोट वाले वकील साहब वहां मेहनत कर रहे है तो रतलाम के दो दो नेता भी लगे हुए है। तीसरा नाम हाल में उभर कर सामने आया है और ये नाम करणी सेना के नेता का है। यही हाल फूल छाप पार्टी का है। ये अलग बात है कि फूल छाप के दावेदार बाहरी नहीं है। फूल छाप में पहले दावेदार तो माननीय खुद है। फिर श्रीमंत के साथ पंजा पार्टी छोड कर फूल छाप में आए दरबार भी दावेदार है। इसके अलावा अयाना के एक दरबार भी दावेदारी पेश कर रहे है। अयाना वाले दरबार को काली टोपी वालों का भी साथ मिला हुआ है। कहा जा रहा है कि इन दावेदारों के नाम सर्वे में भी निकल कर आए है। आखिर में किसकी किस्मत खुलेगी यह तो तभी तय होगा जब फूल छाप की लिस्ट आएगी।

रतलाम के देहाती इलाके में तस्वीर कुछ अलग ढंग की है। माडसाब से माननीय बने नेताजी से पूरे इलाके में नाराजगी छाई हुई है। देहाती सीट पर फूल छाप का अच्छा आधार है। इसलिए लोगों का कहना है कि अगर माडसाब से माननीय बने नेताजी को फूल छाप ने दोबारा आजमाया तो ये सीट हाथ से निकल जाएगी। लेकिन अगर कोई ठीक ठाक सा नया चेहरा होगा,तो फूल छाप को कोई खतरा नहीं है। यहां पंजा पार्टी की हालत पतली है। पंजा पार्टी के पास ना तो संगठन है ना कोई ठीक ठाक दावेदार। यही वजह है कि यहां से दावेदारी करने कोई भी आ जाता है। जमाने पहले नेतागिरी में हाथ आजमा चुकी एक मैडम जी फिर से अपने होर्डिंग लगवाने लगी है। मैडम जी के होर्डिंग शहर में नजर आने के साथ ही ये अंदाजे लग गए कि मैडम जी दावेदारी ठोकने वाली है। इसी तरह एक डाक्टर सा.भी दावेदारी करने के मूड में है। हांलाकि डाक्टर सा. दोनो तरफ दावेदारी कर रहे है। उनका कहना है कि जो पार्टी टिकट दे देगी वो उसी से लड लेेंंगे। अब डाक्टर सा.को कौन सी पार्टी टिकट देगी? देगी या नहीं देगी? इसका पता भी बाद में ही चलेगा। झाबुआ वाले एक डाक्टर सा और है जो देहात के दावेदार हो सकते है। डाक्टर सा. फिलहाल पंजा पार्टी की यूथ ब्रिगेड सम्हाल रहे है और उनके पिताजी पंजा पार्टी की चुनाव अभियान समिति में आ गए है। इसलिए अगर डाक्टर सा. को झाबुआ में टिकट नहीं मिला तो वे रतलाम का रुख करेंगे।

और आखिर में रतलाम शहर का मामला। रतलाम शहर की सीट जिले की पांचों सीटों में सबसे कम उलझन वाली है। यहां पंजा पार्टी को केवल खानापूर्ति के लिए चुनाव लडना है। पंजा पार्टी में दावेदार तो बहुत है और इनमें से कुछ मेहनत भी करते नजर आ रहे है। लेकिन पंजा पार्टी किस पर भरोसा जताएगी इसका कोई ठिकाना फिलहाल नहीं है। कहा ये जा रहा है कि महीने के आखिर तक पंजा पार्टी से भी हर सीट की पैनल बनाकर भेजी जाएगी। पैनल के नाम सामने आएंगे तो मामला कुछ साफ होता नजर ओगा।

सियासती फायदे के लिए झण्डे का झगडा

शहर में इन दिनों झण्डे का झगडा जोरों पर है। आसपास दो मन्दिर। दोनो मन्दिरों पर भगवा झण्डे लगते है। बाहरी मन्दिर पर लगने वाले झण्डे को लेकर विवाद खडा किया जा रहा है। इंतजामिया के अफसरों ने बीच बचाव की कोशिशें भी की,लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। दोनो ही पक्ष अडे हुए है।

हालत ये हो गई कि इंतजामियां के अफसर और वर्दी वालों को मन्दिर में घण्टियां बजाकर पूजा पाठ करना पडा। झगडे का एक मजेदार पहलू ये भी है कि दोनो ही पक्ष ये कह रहे है कि उनका झण्डे से कोई विरोध नहीं है फिर भी विवाद जारी है। असलियत भी यही है कि दोनो पक्षों में किसी तरह का कोई विवाद नहीं है। फिर भी विवाद चल रहा है।

जानकार लोगों का मानना है कि बेवजह का ये विवाद सियासती फायदा लेने के लिए खडा किया जा रहा है। बात बेहद मामूली सी थी और इसे सुलझाना चुटकियों का काम था। लेकिन चुनाव नजदीक है इसलिए तनाव है। रतलाम में पुराने जमाने में जैन सनातन विवाद का इतिहास रहा है। इसी के चलते कुछ लोगों को लगता है कि ये विवाद खडा करके फूल छाप को कमजोर किया जा सकता है।

यही वजह है कि जैसे ही मामला सुलझने की नौबत आती है दोनो ही पक्षों में से कुछ लोग मामले को बिगाड देते है। अगर चुनाव नजदीक ना होता तो ये विवाद भी ना होता। जरुरत इस बात की है कि दोनो तरफ के उन चेहरों की पहचान की जाए जो मामले को सुलझाने की बजाय उलझाने में लगे है। ये चेहरे सामने आएंगे तो सबकुछ साफ हो जाएगा।

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