November 23, 2024

Raag Ratlami Police Strictness : चाकूबाजी और कत्ल की वारदातों के बाद फार्म में तो दिखे वर्दी वाले,लेकिन आधे अधूरे/ डॉग और डॉग लवर दोनों है खतरनाक

-तुषार कोठारी

रतलाम। करीब हफ्ते भर पहले तक जिले में ऐसा माहौल था,जैसे वर्दी वालों का अस्तित्व ही ना हो। ना जाने कहां कहां के चोर उठाई गिरों ने रतलाम में डेरा डाला हुआ है। कोई दिन ऐसा नहीं गुजरता जब चोरी चकारी की वारदात ना हो रही हो। इसके अलावा भी तमाम अलामतें जारी थी। वर्दी वालों के ढीले ढाले रवैये के चलते बदमाशों के हौंसले बुलन्दियों को छू रहे थे। बात बढते बढते चाकूबाजी की कत्ल की वारदातों तक जा पंहुची। पडोसी गांव में सोशल मीडीया के कमेन्ट को लेकर हए विवाद में एक युवा व्यवसायी की जान चली गई, तो यहां शहर में भी एक जवान की मौत चाकूबाजी की वजह से हो गई। कत्ल की दो वारदातों के बाद पिछले दो दिनों से वर्दी वाले शहर में घूम घूम कर अपनी मौजूदगी का एहसास कराने में लगे है। लगता है वर्दी वाले अब फार्म में आ गए है। वर्दी वाले फार्म में तो आए है,लेकिन अभी भी आधे अधूरे फार्म में ही आए है।

वर्दीवालों के कप्तान पिछले दो दिनों से खुद सड़क पर उतरे हुए है। कप्तान पूरे लाव लश्कर के साथ सडक पर उतरे और चौराहे चौराहे पर जाकर जबर्दस्त चैकिंग की। कप्तान के पीछे पीछे दारोगा और सिपाहियों का पूरा अमला चला। वर्दी वालों ने चौराहेबाजी करने वाले युवाओं से लगा कर कालिका माता मन्दिर में इवनिंग वाक पर निकले लोगों को भी चैकिंग के दायरे में ले लिया। चौराहों पर फालतू खडे होकर टाइमपास करने वालों को चमका धमका कर रवाना करवाया गया,तो दुकानों के बाद टेबल कुर्सी लगाकर ग्र्राहकों को बैठाने वाले दुकानदारों को भी चेतावनियां दे दी गई। दुकान के बाहर रखा सामान भी जब्त कर लिया गया।

हफ्ते के आखरी दिन तो कमाल ही हो गया,जब कप्तान की मौजूदगी में एक चाकू बरामद कर लिया गया। एक नाबालिग लडके से पंच भी बरामद करने का कमाल हुआ। वर्दी वालों ने बडी शान से अपने प्रेसनोट में इस बात का जिक्र भी किया। कहा गया कि वर्दी वालों को चैंिकंग की मुहिम में कितनी बडी सफलता हाथ लगी है कि उन्होने एक खटकेदार चाकू और पंच बरामद किया है।

शहर की दूर दराज की कालोनियों में रहने वाले व्हाइट कालर प्रोफेशनल्स के लिए या हाउस वाइफ कहलाने वाली घरेलु महिलाओं के लिए ये खबर भले ही सुकून देने वाली लग रही होगी,लेकिन जुर्म और जरायम की दुनिया पर नजर रखने वाले और इसे समझने वालों को इस मुहिम पर हंसी आ रही है।

शहर में पर्चियों वाला खेल बेख़ौफ़ हो रहा है। वर्दी वाले एक दो बोटल अवैध शराब पकड कर प्रेस नोट बांटनें में शान समझते है। लेकिन शहर के कई ईलाकों मेंं धडल्ले से एमडी जैसा खतरनाक नशा बेचा जा रहा है। एमडी बेचने खरीदने वालों पर वर्दी वाले कभी नजर डालते नजर नहीं आते। शहर के चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी चैमरे लग चुके है,लेकिन चोर उठाइगिरे मजे से चोरियां कर रहे हैैं। मोटर साइकिलों की चोरी तो हंसी मजाक जैसी हो गई है। जिसकी मोटर साइकिल चोरी हो जाती है,वह जब थाने पर पंहुचता है,तो एफआईआर दर्ज करने की बजाय लिखित शिकायत लेकर उसे रवाना कर दिया जाता है। ब्याजखोरों की दादागिरी बदस्तूर जारी है। सीसीटीवी कैमरों का उपयोग तभी होता है,जब कोई बहुत बडी सनसनीखेज वारदात हो जाती है। बाइक चोरी के मामलों में सीसीटीवी फुटेज पर नजर डालने की जहमत तक नहीं की जाती।

कुल मिलाकर वर्दी वाले जिस फार्म में नजर आ रहा है,वह आधा अधूरा ही है। ये भी तय है कि वर्दी वालों के ये फार्म ज्यादा दिन का नहीं है। दो चार दिन और,उसके बाद फिर से पुराना ढर्रा लौट आएगा। जरुरत इस बात की है कि वर्दी वालों का इस वक्त नजर आने वाला फार्म लगातार जारी रहे। यही वर्दी वालों का असल काम भी है। लेकिन लगता नहीं है कि ये ्रार्म लम्बे वक्त तक बना रहेगा। पर्चियों के खेल,एमडी का धन्धा और चोर उठाइगिरे इस बात को जानते है,इसलिए उन्हे कोई खौफ नहीं है।

डॉग और डॉग लवर दोनों खतरनाक…….

शहर के कुछ इन्सान,इन्सानों की बजाय कुत्तों की फिक्र में लगे रहते है। कुत्तों की फिक्र करने वाले लोगों की फिक्रमन्दी का ही नतीजा है कि शहर में कुत्तों की तादाद दिन दुनी रात चौगुनी बढती जा रही है। दिल्ली वाली मेनका मैडम का सियासती रसूख अब खत्म सा हो गया है,इसलिए उनकी दखलअन्दाजी तो गायब हो गई है,लेकिन मेनका मैडम से प्रेरणा लेकर कई सारी लोकल मैडमें शहर में सक्रिय हो गई है। इनमें गुलमोहर वाली सबसे ज्यादा खतरनाक मानी जाती है। आजकल शहर में यही कहा जा रहा हैं कि डॉग और डॉग लवर दोनों ही खतरनाक है दोनों से ही बच के रहना।

शहर में कुछ कुत्ते तो होने ही चाहिए,लेकिन अगर एक एक गली में दो दो दर्जन कुत्ते हो जाते है,तो इन्सानों पर भारी पडने लगते है। शहर की इन दिनों यही हाल हो रखा है। पहले के जमाने में जब कुत्तों की तादाद बढ जाती थी,तो नगर निगम वाले जहरीली रोटियां देकर उनकी तादाद को नियंत्रित कर देते थे। जब से स्ट्र्ीट डाग लवर सक्रिय हुए नगर निगम वालों को उन्होने डरा दिया। कुत्ते पकडने वाले भी इन डाग लवर का शिकार बन जाते है। इन्ही सब बातों का नतीजा है कि शहर में हर तरफ कुत्तों की भरमार है। लोग कुत्तों का शिकार तो बन ही रहे है,कुत्तों से बचने जाए तो डाग लवर उन्हे अपना शिकार बना लेते है।

नगर निगम वालों ने कुत्तों की नसबन्दी करवाने के बडे बडे दावे किए थे,लेकिन वो अभियान भी कमाई का जरिया बनकर रह गया। जिन कुत्ते कुत्तियों को पकडकर उनकी नसबन्दी की गई थी,उनके कान काट दिए गए थे,ताकि पता चल जाए कि किस कुत्ते की नसबन्दी हो चुकी है। मजेदार बात ये है कि शहर में कई कानकटी कुतियाएं धडल्ले से पिल्ले पैदा करती हुई देखी जा सकती है। पता नहीं उनकी कैसी नसबन्दी हुई थी कि नसबन्दी के बाद भी उनके बच्चे हो रहे है।

तो कुल मिलाकर आज के जमाने में इन्सानों की फिक्र करने वाले कम बचे है,और कुत्तों की फिक्र करने वाले ज्यादा है। इसलिए आज जो भी कुत्तों का शिकार बन रहा है,उसे अगर सुरक्षित रहना है तो कुत्तों को मारने पीटने से बचे वरना गुलमोहर वाली मैडम उसे उलझाकर रख देगी।

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