December 25, 2024

Double Cross : जिपं अध्यक्ष चुनाव की इनसाइड स्टोरी,जयस के डबल क्रास का शिकार बनी कांग्रेस,भाजपा को मिली जीत

panchayat elections

रतलाम,29 जुलाई (इ खबरटुडे)। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव की इनसाइड स्टोरी सामने आ चुकी है। अध्यक्ष पद के लिए डाले गए तीन निरस्त मत,जयस के सदस्यों के माने जा रहे हैैं,जिन्होने डबल क्रास करके कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया।

उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत कार्यालय में जिस वक्त अध्यक्ष पद के निर्वाचन की प्रक्रिया चल रही थी,कांग्रेस के नेता अपनी जीत और भाजपा की हार को लेकर निश्चिंत थे। उन्हे पता था कि उनकी प्रत्याशी को कुल नौ मत मिलेंगे और जीत कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी की होगी। लेकिन जब चुनाव परिणामों की घोषणा हुई,तो कांग्रेस के नेता सन्न रह गए। अध्यक्ष पद के लिए डाले गए कुल सौलह में से तीन मत निरस्त हो गए थे और इसी वजह से भाजपा प्रत्याशी लालाबाई को निर्वाचित घोषित कर दिया गया।

कांग्रेस के नेताओं को उस समय तक यह पता नहीं चल पाया था कि जिला पंचायत कार्यालय के भीतर कौन सा खेल हो गया,जिसकी वजह से उनकी हार हो गई। कांग्रेस के नेता वोट निरस्त होने में जिला प्रशासन का हाथ होने का आरोप लगा रहे थे और इसे लोकतंत्र की हत्या बता रहे थे। लेकिन वोट निरस्त होने का ये रहस्य जल्दी ही उजागर हो गया। चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर निकले कांग्रेस के ही नेताओं ने बताया कि जो तीन मत निरस्त हुए थे,उसमें प्रशासनिक अधिकारियों की कोई भूमिका नहीं थी। जो मतदाता अपना वोट निरस्त करवाना चाहते थे उन्होने खुद ही ऐसी व्यवस्था की थी कि उनके वोट निरस्त हो जाए।

मतगणना के दौरान मौजूद नेताओं ने बताया कि तीन मतों में सदस्य मतदाताओं ने दोनो ही प्रत्याशियों के नाम पर मोहर लगाई थी। ऐसी स्थिति में इन मतों को निरस्त करने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं था। इन्ही तीन मतों के निरस्त होने की वजह से ही जिला पंचायत का अध्यक्ष पद भाजपा की झोली में चला गया।

जिला पंचायत की राजनीति पर नजदीक से नजर रखने वालों का दावा है कि निरस्त हुए ये तीन मत जयस से जुडे सदस्यों के माने जा रहे हैे। उल्लेखनीय है कि सैलाना विधानसभा क्षेत्र में आने वाले जिला पंचायत सदस्य के चारों पदों पर जयस ने जीत दर्ज की थी। सौलह सदस्यीय जिला पंचायत में भाजपा समर्थित कुल सात सदस्य जीते थे,जबकि कांग्रेस को तीन पदों पर जीत मिली थी। दो पद निर्दलीयों के खाते में गए थे। कांग्रेस के रणनीतिकारों ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद से भाजपा को दूर रखने के लिए गैर भाजपाई सारे सदस्यों को एकजुट करने का प्रयास किया था और जयस के सदस्यों ने कांग्रेस और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर चुनाव लड रही निर्दलीय प्रत्याशी को भरोसा दिलाया था कि वे भाजपा के खिलाफ मतदान करेंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि भाजपा के खिलाफ मतदान करने के लिए इन सदस्यों को लाभान्वित भी किया गया था। लेकिन दूसरी ओर भाजपा ने भी अध्यक्ष पद हथियाने के लिए जयस के सदस्यों से सम्पर्क किया था और उन्हे इस बात के लिए राजी किया गया था कि वे भाजपा के पक्ष में मतदान करें। भाजपा खेमे की ओर से भी इन सदस्यों को भारी भरकम रुप से लाभान्वित किए जाने की चर्चा है। सूत्र बताते है कि दोनो तरफ से लाभ अर्जित कर चुके इन सदस्यों ने दोनो का ही मन रखने का निर्णय लिया और मतदान के दौरान दोनो ही प्रत्याशियों के नाम पर मोहर लगा दी। दोनो नामों पर मोहर लगाने के कारण ये मत निरस्त हो गए और जीत भाजपा के खाते में चली गई।

जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते काग्र्रेस नेताओं को जब इस तथ्य की जानकारी मिली,तो उन्होने फौरन नारेबाजी बन्द कर दी। जयस सदस्यों के डबलक्रास का शिकार बनी कांग्रेस को इतना मौका भी नहीं मिल पाया कि वह उपाध्यक्ष पद के चुनाव में जयस को कोई सबक सिखा पाती। जयस ने कांग्रेस सदस्यों की मदद से उपाध्यक्ष का पद अपने हिस्से में झटक लिया। कुल मिलाकर जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में भाजपा और जयस दोनो को फायदा हुआ लेकिन कांग्रेस हाथ मलती रह गई। जयस ने उपाध्यक्ष पद हथियाकर जिले में अपनी मजबूत उपस्थिति भी दर्ज करा दी है।

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