Imprisonment : हिन्दू नेता पर जानलेवा हमला ; सूफ्फा ग्रुप के असजद,रिजवान और समीर को दस-दस वर्ष जबकि शाहिद को तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा
रतलाम,11 जुलाई (इ खबरटुडे)। आतंकी गतिविधियों में लिप्त सूफ्फा ग्रुप चलाने वाले असजद,रिजवान और समीर उर्फ राजा को हिन्दू जागरण मंच के संयोजक राजेश कटारिया को जान से मारने की नीयत से फायर करने के मामले में तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने दस दस वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। मामले के अन्य आरोपी शाहिद खान को आम्र्स एक्ट के मामले में तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है,जबकि एक आरोपी अनवर खान उर्फ अन्नू को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त किया गया है।
आरोपियों ने 29 जुलाई 2013 को हिन्दू नेता राजेश कटारिया की हत्या करने का प्रयास किया था। इस संवेदनशील मामले में आने वाले निर्णय को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस प्रशासन ने मंगलवार सुबह से जिला न्यायालय परिसर में कडे सुरक्षा प्रबन्ध किए थे। पांचों अभियुक्तों को कडी सुरक्षा में न्यायालय में लाया गया,जहां न्यायाधीश श्री वर्मा ने भोजनावकाश के बाद उन्हे सजा देने का एलान किया। न्यायालय का विस्तृत निर्णय काफी देर के बाद अधिवक्ताओं और अन्य व्यक्तियों को उपलब्ध हो पाया।
प्रकरण में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक संजीव सिंह चौहान ने बताया कि घटना दिनांक 29 जुलाई 2013 की शाम करीब पौने पांच बजे श्री कटारिया मोटर साइकिल से सालाखेडी के पास इटावा रोड गोदाम से अपने दूसरे संस्थान फ्रेन्ड्स आटोमोबाइल की तरफ जा रहे थे,कि अचानक पीछे से दो अज्ञात मोटर साइकिल सवारों ने उन पर पिस्टल से दो फायर किए। ये गोलियां श्री कटारियां के बाएं हाथ के कन्धे और कोहनी में लगी। खतरे को भांप कर श्री कटारिया ने अपनी मोटर साइकिल तेजी से भगाई,लेकिन हमलावरों ने फिर भी उनका पीछा किया और पटवा अभिकरण के पास उन पर फिर से फायर किया और मौके से भाग गए।
घटना की रिपोर्ट के बाद जब पुलिस ने अनुसन्धान किया तो पता चला कि श्री कटारिया पर हमला करने वाले समीर उर्फ राजा पिता बारीक खान और रिजवान खान पिता रमजानी खान थे। समीर मोटर साइकिल चला रहा था,जबकि रिजवान ने पीछे बैठकर श्री कटारिया पर फायर किए थे। उक्त दोनो आरोपियों से पूछताछ के बाद पता चला कि इस हमले का मुख्य षडयंत्रकर्ता अल सूफ्फा नामक आंतकी संगठन बनाने वाला असजद उर्फ अज्जत पिता जहूर खान था। असजद ने अपने घर पर एक मीटींग की,जिसमें आरोपी शाहिद,रिजवान और समीर आदि शामिल थे। इस मीटींग में यह तय हुआ कि चूंकि राजेश कटारिया हिन्दू संगठन का नेता है और मुसलमानों के खिलाफ बोलता है,इसलिए इसे खत्म करना है। मीटींग में बनी योजना के मुताबिक पहले अनवर और शाहिद ने राजेश कटारिया की निगरानी की और फिर समीर और रिजवान ने उन पर हमला किया।
प्रकरण में अभियोजन की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों तथा बचाव पक्ष के तर्कों की सुनवाई के पश्चात विद्वान तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मण कुमार वर्मा ने मुख्य षडयंत्रकर्ता असदज उर्फ अज्जत पिता जहूर खान को भादवि की धारा 307 में 10 वर्ष के सश्रम कारावास और पांच सौ रु.अर्थदण्ड तथा आम्र्स एक्ट की धारा 25 के तहत 3वर्ष के कठोर कारावास तथा आम्र्स एक्ट की धारा 27 के तहत 5 वर्ष के कठोर कारावास और पांच सौ रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। इसी प्रकार रिजवान खान पिता रमजानी खान को धारा 307 के तहत दस वर्ष कारावास,आम्र्स एक्ट की धारा 25 के तहत तीन वर्ष कारावास और पांच पांच सौ रुपए अर्थदण्ड की सजा सुनाई। तीसरे मुख्य अभियुक्त समीर उर्फ राजा पिता बारीक खान को धारा 307 में दस वर्ष कारावास और पांचसौ रु. अर्थदण्ड की सजा सुनाई। मामले के चौथे अभियुक्त शाहिद खान पिता फरीद खान को आम्र्स एक्ट की धारा 25 के तहत दोषसिद्ध करार देते हुए 3 वर्ष के कारावास और पांच सौ रुपए अर्थदंड की सजा दी गई,जबकि पांचवे अभियुक्त अनवर खान उर्फ अन्नू पिता युसूफ खान को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया।
अभियुक्तों को सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद दोषसिद्ध अभियुक्तों को पुलिस की कडी सुरक्षा में जेल भेज दिया गया। उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण के आरोपियों में जहां असजद अल सुफ़्फ़ा जैसे आतंकी ग्रुप का कर्ता धर्ता हैैं,वहीं एक अन्य आरोपी रिजवान खान पूर्व में बजरंग दल नेता कपिल राठौड की हत्या मे दोषसिद्ध होकर आजीवन कारावास का सजायाफ्ता मुजरिम है। प्रकरण के विचारण के दौरान भी वह उज्जैन की भेरुगढ सेन्ट्रल जेल में ही बन्द था।