उम्मीदवारों ने बनाया वार्ड को संवेदनशील
निगम चुनाव काउण्ट डाउन-05दिन शेष
इ खबरटुडे / 23 नवंबर
रतलाम। विधानसभा और लोकसभा चुनाव की अपनी रोचकता होती है,लेकिन शहर सरकार के चुनाव उससे भी ज्यादा रोचकता वाले हैं। इसमें नए नए कमाल देखने को मिल रहे है। आमतौर पर शहर के संवेदनशील इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात किया जाता है,ताकि शांति व्यवस्था कायम रहे। लेकिन इस बार एक वार्ड ऐसा है,जो संवेदनशील नहीं होने के बावजूद बाहुबली प्रत्याशियों के मौजूदगी के कारण संवेदनशील हो गया है। शहर के 49 वार्डों में से एक यही वार्ड है,जहां प्रतिदिन भारी पुलिस बल तैनात किया जा रहा है। शहर के तीसरे नम्बर के इस वार्ड में पंजा छाप और फूल छाप दोनों के प्रत्याशी बाहुबली है। दोनो ने ही अपने चुनाव कार्यालय आमने सामने बनाए है। दोनो चुनाव कार्यालयों पर झूमते हुए कार्यकर्ताओं का मजमा लगा रहता है। एक प्रत्याशी का तो व्यवसाय ही लोगों को झूमने की सुविधा उपलब्ध कराना है,तो दूसरे का जुडाव भी ऐसे ही व्यवसाय से है। इस वार्ड के चुनाव की रोचकता इसलिए भी और बढ गई है कि यहां फूल छाप पार्टी के एक पुराने कार्यकर्ता ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में अपनी पतंग उडाना शुरु कर दिया है। इस पतंग के उडने से दोनो बाहूबली भी हैरान है। आम तौर पर इन दो बल्लम प्रत्याशियों की मौजूदगी में किसी तीसरे के आने की उम्मीद किसी को भी नहीं थी,लेकिन तीसरे के आ जाने से सारे गणित गडबडा गए है। सबसे चर्चित इस वार्ड के निर्दलीय प्रत्याशी की चर्चा भी सबसे ज्यादा हो रही है। इसका सबसे बडा फायदा इलाके के उन जवानों को हुआ है,जो शाम ढलते ही झूमने की जुगाड में जुट जाते थे। चुनाव होने तक ऐसे तमाम जवानों की पांचो उंगलिया घी में और सिर कढाई में है। नतीजा यह है कि वार्ड में सुबह और दोपहर ही शाम ढले बाद के दृश्य जीवन्त हो रहे है।
पहली सभा बेअसर
चुनाव के मौसम में मतदाता चुनावी सभाओं के इन्तजार में थे। उनका इन्तजार फूल छाप पार्टी ने खत्म तो किया,लेकिन मतदाताओं को कोई मजा नहीं आया। फूल छाप पार्टी ने इन्दौर के बडे नेता को बुलाया था। फूल छाप पार्टी के जिले के नेता ने अपने ही मोहल्ले में सभा आयोजित करवा ली थी,ताकि उनके चुनाव लड रहे उनके रिश्तेदार को भी फायदा मिल जाए। पब्लिक इन्तजार करती रही,लेकिन इन्दौरी नेता टाइम पर पंहुच ही नहीं पाए। उन्होने मोबाइल से सभा को सम्बोधित करने की औपचारिकता पूरी कर ली। वे जब रतलाम पंहुचे तब तक सभा सम्बोधित करने का समय पूरा हो चुका था। वे अपने एक खास के वार्ड में देर रात को चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करने पंहुचे। उनके आने से फूल छाप पार्टी को कितना फायदा हुआ यह तो नहीं पता लेकिन उनके इन्तजार के कारण कई लोगों की नाराजगी जरुर फूल छाप पार्टी के हिस्से में आई है।
साथ पसन्द नहीं लेकिन मजबूरी है
फूल छाप पार्टी के दोनो बडे नेता एक दूसरे को बिलकुल पसन्द नहीं करते। पहले तो हालत ये थी कि किसी जगह सेठ पंहुचते तो भैय्याजी वहां से रवाना हो जाते। फूल छाप पार्टी के बडे नेताओं ने समन्वय की जिम्मेदारी उज्जैन के विधायक जी को सौंपी है। उज्जैन के विधायक छात्र राजनीति के जमाने से जटिल परिस्थितियों को अनुकूल करने के मामले में विशेषज्ञ रहे है। उन्होने रतलाम आते ही दोनो बडे बल्लमों को साधना शुरु किया। उनकी जमावट का असर अब नजर आने लगा है। दोनो को एक दूसरे का साथ पसन्द नहीं है फिर भी मजबूरी से साथ नजर आने लगे है।