April 29, 2024

जो प्राथमिक सदस्य भी नहीं,उन्ही का कर दिया निष्कासन

निगम चुनाव काउण्ट डाउन- 06 दिन शेष
इ खबरटुडे / 22 नवंबर

रतलाम। शहर सरकार के चुनाव में अब छ: दिन बचे है। फूल छाप पार्टी ने आखिरकार अपने १६ बागियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। बागी इसी इन्तजार में थे कि कब फरमान आता है। फूल छाप पार्टी से बगावत करने वाले हर नेता को पता था कि बाहर जाने का फरमान आने ही वाला है। मजेदार बात यह है कि निष्कासन उन नेताओं का भी किया गया है,जो पार्टी में सदस्य ही नहीं थे। पार्टी ने उन निर्दलीय महिला प्रत्याशियों को निष्कासित किया गया है,जिन्होने फूलछाप पार्टी की प्राथमिक सदस्यता तक नहीं ली थी। उनका गुनाह ये था कि उनके पति भाजपा के सदस्य थे और इन पतियों ने वार्ड में महिला आरक्षण हो जाने की वजह से अपनी पत्नियों के लिए टिकट मांगे थे। पार्टी ने पत्नी को टिकट नहीं दिया तो पत्नी जी निर्दलीय प्रत्याशी बन गई। तकनीकी रुप से पत्नी के निर्दलीय चुनाव लडने पर पति को पार्टी से तबतक निष्कासित नहीं किया जा सकता,जब तक कि पति के खिलाफ बगावत के पुख्ता सबूत ना हो,लेकिन फूल छाप पार्टी के बडे नेताजी ने इस बात की कोई चिन्ता नहीं की। उन्होने तो उन महिलाओं को भी निष्कासित कर दिया,जो पार्टी की सदस्य ही नहीं बनी थी। हांलाकि निष्कासन का डण्डा रतलाम में काफी देर से चला। फूल छापी पार्टी में फिलहाल बडी रोचक स्थितियां बनी हुई है। पार्टी ने शहर में कुल ग्यारह लोगों को निष्कासित किया है। ये ग्यारह निष्कासित नेता मात्र आठ वार्डों के है। जबकि कई अन्य वार्डों में भी बागी मौजूद है।  फूल छाप पार्टी में अब अन्य वार्डों के छोटे नेता बडे नेताओं पर दबाव बना रहे है कि इन वार्डों में भी निष्कासन का डण्डा चलाया जाए। बडे नेता इस तनाव में है कि आखिर कितनों को निष्कासित करें? ज्यादा लोगों को निष्कासित कर देंगे तो ऐसा लगने लगेगा,जैसे पूरे शहर में  सिर्फ बागी बागी रह गए हो।

फोटो का पंगा

 फूल छाप पार्टी द्वारा वार्डों में भेजे गए बैनर जब पंहुचे तो लोग सवाल पूछने लगे कि चुनाव कौन लड रहा है। यह सवाल इसलिए उठा कि वार्डो में जो बैनर भेजे गए उनमें महापौर प्रत्याशी के फोटो नदारद थे। फोटो छपवाने की बीमारी से बुरी तरह ग्रस्त भैय्या जी ने इस मौके का भी पूरा लाभ उठाया। उन्होने जो बैनर बनवाए,उसमें पार्षद प्रत्याशी के फोटो केparshad banner साथ सिर्फ खुद के फोटो लगवाए। इतना ही नहीं,फोटो के शौकीन भैय्याजी ने इस बात का भी खास ध्यान रखा कि बेनर में सबसे बडा फोटो उन्ही का हो। पूरे बैनर में सबसे बडा फोटो ही भैय्या जी का है। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज और प्रदेशाध्यक्ष के फोटो भी भैय्याजी के फोटो से छोटे है। फूल छाप पार्टी में इस बात को लेकर अब बवाल भी मच रहा है।

प्रदेश सचिव के बाद कौन?

पंजा छाप पार्टी के प्रदेश सचिव रहे डाक्टर के भाजपा में आने के बाद अब इस बात की बडी चर्चाएं है कि और भी कई सारे पंजा छाप नेता पंजा छोडकर फूल छाप का दामन थामने के चक्कर में है। इस के लिए मुख्यमंत्री के रतलाम आगमन का इंतजार किया जा रहा है। पंजा छाप पार्टी के नेता भीतर ही भीतर उनकी तलाश में लगे है कि कौन कौन पंजा छाप का साथ छोडने का मन बना रहा है। फूल छाप पार्टी में कई लोग इससे दुखी भी है। उन्हे लग रहा है कि पंजा छाप का कूडा करकट बेवजह लाया जा रहा है। इससे नतीजों पर कोई खास असर नहीं पडेगा,लेकिन आने वाले दिनों में फूल छाप पार्टी की सूरत जरुर बदल जाएगी। भविष्य में ऐसा भी हो सकता है कि कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली पार्टी को कांग्रेस मुक्त भाजपा का नारा देना पड जाए।

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