December 24, 2024

सैलाना नगर परिषद चुनाव-भाजपा के लिए साख बचाने की चुनौती

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सैलाना/रतलाम,24 जुलाई (इ खबरटुडे)। सैलाना नगर परिषद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने का समय समाप्त होने के साथ ही अब चुनाव को लेकर अटकलबाजियों का दौर शुरु हो गया है।  नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथी के बाद अध्यक्ष पद के लिए पांच उम्मीदवारों द्वारा कुल छ: नामांकन पत्र दाखिल किए गए है। भाजपा में बगावत होने की अटकलें भी लगाई जा रही है। ऐसे में भाजपा के लिए अपनी साख बचाना सबसे बडी चुनौती है।
सैलाना निर्वाचन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अध्यक्ष पद पर भाजपा की ओर से श्रीमती क्रान्ति जोशी और मीना पति भूपेन्द्र जायसवाल ने नामांकन दाखिल किए है। जबकि कांग्रेस की ओर से नम्रता पति जीतेन्द्र राठौड और कृष्णा चंदेल ने अपने नामांकन दाखिल किए है। भाजपा की डमी प्रत्याशी मीना जायसवाल ने एक नामांकन पत्र निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में भी दाखिल किया है। इसके अलावा विधायक प्रतिनिधि शिवकन्या पति बाबूलाल पाटीदार ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन दाखिल किया है। नामांकन वापसी के लिए 27 जुलाई की तिथी निर्धारित है।
आदिवासी अंचल का तहसील मुख्यालय सैलाना प्रारंभ से कांग्रेस के गढ के रुप में स्थापित रहा है। पहले नगर पंचायत और फिर नगर परिषद बनने से आज तक नगर परिषद के अध्यक्ष पद पर कभी भी भाजपा को जीत हासिल नहीं हुई है। इस बार भाजपा ने कांग्रेस छोडकर भाजपा में आई क्रांति जोशी पर दांव लगाया है। कांग्रेस ने तीन बार पार्षद रहे जीतेन्द्र राठौड की धर्मपत्नी नम्रता राठौड को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
सैलाना की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले सूत्रों के मुताबिक,नगर परिषद के चुनाव में किस पार्टी का पलडा भारी रहेगा इसका अंदाजा लगाना बेहद कठिन है। सैलाना की राजनीतिक परिस्थितियां बेदल उलझी हुई है। भाजपा प्रत्याशी क्रान्ति जोशी पूर्व में कांग्रेस की ओर से नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर रह चुकी है। वे पिछले एक दशक से अधिक समय से भाजपा में है। क्रान्ति जोशी के पिछले कार्यकाल को जानने वाले लोगों का कहना है कि यदि मतदाता पिछले कार्यकाल के आधार पर आकलन करेंगे,तो स्थितियां क्रान्ति जोशी के प्रतिकूल ही साबित होगी। श्रीमती जोशी के पिछले अध्यक्षीय कार्यकाल में उनके पति डॉ.दीपक जोशी का हस्तक्षेप,उनके प्रति नाराजगी की एक बडी वजह थी।
हांलाकि श्रीमती जोशी वर्ष 2003 के बाद भाजपा में चली गई थी। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखे,तो सैलाना से भाजपा विधायक संगीता चारेल स्वयं भी श्रीमती जोशी की उम्मीदवारी के पक्ष में नहीं थी। पार्टी संगठन ने विधायक की राय को दरकिनार कर श्रीमती जोशी को टिकट दिया है। इसके अलावा में भाजपा में ऐसे लोगों की बडी तादाद है,जो क्रान्ति जोशी की उम्मीदवारी से नाखुश है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि विधायक प्रतिनिधि बाबूलाल पाटीदार की पत्नी शिवकन्या पाटीदार का निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में नामांकन दाखिल करना भाजपा के भीतर सुलग रहे असंतोष का पुख्ता प्रमाण है। अगर शिवकन्या पाटीदार बागी प्रत्याशी के रुप में चुनावी मैदान में मौजूद रही तो भाजपा के लिए मामला बेहद कठिन हो जाएगा। सैलाना नगर में पाटीदार मतदाताओं की बडी संख्या है और ऐसे में भाजपा प्रत्याशी की जीत खटाई में पड सकती है।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि क्रान्ति जोशी को टिकट दिलाने में रतलाम शहर विधायक चैतन्य काश्यप की प्रमुख भूमिका रही है। पार्टी की आन्तरिक चुनौतियों से निपटते हुए चुनाव में जीत हासिल करना क्रान्ति जोशी के लिए आसान नहीं होगा। वर्ष २०१४ के लोकसभा चुनाव में चली मोदी लहर के बाद,रतलाम-झाबुआ संसदीय सीट पर हुए उपचुनाव में सैलाना विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को करारी हार का सामना करना पडा था। हांलाकि सैलाना नगर क्षेत्र में भाजपा की स्थिति मजबूत ही रही थी। कांग्रेस के जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस से चुनाव लडने के दिनों में क्रान्ति जोशी की जीत का बडा कारण गेहलोत परिवार का पूरा समर्थन था। भाजपा में आने के बाद से श्रीमती जोशी अब तक एक भी चुनाव नहीं लडी है। ऐसे में इस चुनाव से यह भी स्पष्ट होगा कि श्रीमती जोशी का खुद का कितना जनाधार है।
दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से किस्मत आजमा रही नम्रता राठौड के पति जीतेन्द्र राठौड कांग्रेस से लगातार तीन बार पार्षद रह चुके है। कांग्रेस में नम्रता राठौड की उम्मीदवारी कांग्रेस नेता हर्षविजय गेहलोत की बदौलत मानी जा रही है। हर्षविजय गेहलोत का आदिवासी अंचल में मजबूत जनाधार माना जाता है। अगर गेहलोत का पूरा समर्थन नम्रता राठौड के साथ बना रहता है,तो यह भाजपा के लिए कडी चुनौती का कारण बन सकता है। कांग्रेस में कोई बगावत सामने नहीं आई है,ऐसे में कांग्रेस के मतों में बिखराव का भी कोई खतरा नहीं है।
राजनीति के जानकारों के मुताबिक,मतदान  होने में अभी अठारह दिन बाकी है। इन अठारह दिनों में दोनो पार्टियों की आन्तरिक राजनीति क्या शक्ल लेगी और अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के पक्ष या विपक्ष में क्या क्या समीकरण बनेंगे, और बागी प्रत्याशी मैदान में रहेंगे या उन्हे समझा बुझा लिया जाएगा। इसी पर हार जीत का फैसला होगा। वैसे इतना तय है कि सैलाना नगर परिषद के चुनाव में भाजपा की साख दांव पर है।

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