सावधानी और उपचार में तत्परता रखें
स्वाईन फ्लू की रोकथाम के लिए नागरिक सजगता बरतें
रतलाम 17 फरवरी (इ खबरटुडे)। स्वाईन फ्लू (एच1एन1) की रोकथाम के लिए नागरिक सजगता बरतें। सावधानी रखते हुए इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की आशंका होने पर तत्काल चिकित्सालय पहुंचकर परीक्षण कराए। जिला प्रशासन व्दारा बीमारी की रोकथाम एवं उपचार के लिए पर्याप्त व्यवस्थाएं की गई है। कलेक्टर डा.संजय गोयल ने जिले के स्वास्थ्य अमलें एवं निजी नर्सिंग होम संचालकों को निर्देश दिए हैं कि अस्पताल में आने वाले हर मरीज की स्क्रीनिंग की जाए तथा उसे पर्याप्त समझाईश एवं आवश्यक होने पर उपचार दिया जाए।
कलेक्टर सभाक़क्ष में आज आयोजित बैठक में निजी नर्सिंग होम संचालकों को निर्देश दिए गए कि किसी भी मरीज के परीक्षण में लापरवाही न बरते। हर मरीज का परीक्षण गंभीरता से किया जाए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.पुष्पेन्द्र शर्मा ने बताया कि स्वाईन फ्लू बीमारी इन्फ्लूएन्जा ए वाइरस से होती है। इस बीमारी से संदिग्ध व्यक्ति वह होगा जिसे बुखार के साथ सर्दी,जुकाम,खांसी,गलें में खराश एवं श्वांस लेने में तकलीफ होती हो।
बीमारी की तीन तीन श्रेणियां
ए श्रेणी में रोगियों को सामान्य सर्दी,जुकाम,हल्का बुखार,उल्टी दस्त एवं बदन दर्द होता है। ऐसी स्थिति में स्वाईन फ्लू की जांच न करवाते हुए लक्षणों के अनुसार दवाई दें। रोगी को भीड भाड वाले स्थानों पर न जाने की सलाह दें। 24 से 48 घंटे तक निगरानी में रख आराम न मिलने पर डाक्टर की सलाह ली जाए।
बी श्रेणी में ए श्रेणी के लक्षण वाले पांच साल तक की आयु के बच्चे तथा 65 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्ग,गर्भवती माताएं, ह्दय,लीवर,गुर्दा,मधुमेय,कैंसर पीडित मरीजों को रखा गया है। ऐसे मरीजों को भी ए श्रेणी की तरह उपचार लाभ दिया जाना चाहिए।
सी श्रेणी में ए और बी श्रेणी के मरीजों के लक्षण के साथ-साथ श्वांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द,खखांर में खून आना,नाखुन पीले पडना आदि लक्षण होते हैं। बच्चों में चिडचिडापन रहता है तथा खाने पीने से इंकार किया जाता है। ऐसे रोगियों को अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती कर स्वाईन फ्लू का उपचार टेमी फ्लू व अन्य तकलीफ एवं बीमारी के अनुसार दिया जाता है। इन रोगियों की स्वाईन फ्लू की जांच की जाती है तथा आवश्यक उपचार प्रदान किया जाता है।
स्वाईन फ्लू से बचने के उपाय
ऽ मुंह एवं नाक को कपडें से ढंकना एवं खांसने वाले से दूरी बनाए रखना।
ऽ हाथों को नियमित रूप से साबुन से अच्छी तरह धोना।
ऽ भीड भाड वाले क्षेत्रों में जाने से बचना,संतुलित एवं पौष्टिक भोजन का सेवन करना, हाथों से आंख,नाक एवं मुंह छूने से बचना।
ऽ बच्चों को बुखार,खांसी,गले में खराश,श्वांस में तकलीफ होने के लक्षण होने पर स्कूल अथवा भीड भाड वाले स्थानों पर न भेजा जाए। लक्षण पाए जाने पर तत्काल चिकित्सकीय सलाह लेकर उपचार लें।
वाईरस को इन्क्यूबेशन पीरियड एक से सात दिन तक
स्वाईन फ्लू बीमारी का वाईरस मनुष्य में ड्रोप्लेट इन्फेक्शन से फैलता है। वाईरस का इन्क्यूबेशन पीरियड एक से सात दिन तक होता है।वाईरस सख्त एवं ठोस जगह पर 24 से 48 घंटे जीवित रहता है।यह वाईरस कपडो एवं पेपर पर 8 से 12 घंटे तक तथा हाथों पर 15 मिनिट तक जीवित रह सकता है।