सात माह से फरार दंगाई को छुट्टी के दिन जमानत
गिरफ्तारी और जमानत आदेश में भारी लेन देन की आशंका
रतलाम,14 अप्रैल(इ खबरटुडे)। करीब सात माह पूर्व हुए कपिल राठौड हत्याकाण्ड के दंगे के एक फरार आरोपी को स्थानीय न्यायालय में रविवार के दिन जमानत दे दी गई। सात माह से फरार इस आरोपी की गिरफ्तारी और फौरन जमानत हो जाने के मामले में भारी लेन देन की आशंका है। उक्त दंगाई,तालिबानी सोच वाले संगठन अल-सूफ्फा का प्रमुख बताया जाता है। इसका भाई कपिल राठौड की हत्या का मुख्य आरोपी होकर अब तक फरार है।
उल्लेखनीय है कि करीब साढे छ: माह पूर्व कांग्रेस नेत्री यास्मीन शैरानी पर अज्ञात व्यक्तियों द्वारा हमला किए जाने के बाद अल-सूफ्फा जैसे कट्टरपंथी तत्वों ने शहर में भारी उपद्रव मचाया था। इसी दौरान बजरंग दल के संयोजक कपिल राठौड व उसके कर्मचारी पुखराज की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। इस उपद्रव के बाद पूरे शहर को कई दिनों तक कफ्र्यू झेलना पडा था।
पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया था कि कपिल की हत्या अल सूफ्फा ग्रुप के सदस्यों ने की थी। हत्या का मुख्य आरोपी अल सूफ्फा से जुडा सैफुल्ला था,जो आज तक फरार है। सैफूल्ला का भाई असजद शैरानी भी उपद्रव के मुख्य आरोपियों में से एक था और दंगे के बाद से ही फरार था। इसके विरुध्द बलवा,तोड फोड और मारपीट करने के आरोप थे।
आम तौर पर ऐसे गंभीर अपराधों के आरोपियों की गिरफ्तारी को पुलिस पूरे जोर शोर से प्रचारित करती है। लेकिन असजद की गिरफ्तारी बेहद गुप चुप तरीके से रविवार के दिन की गई। यदि गिरफ्तारी वास्तविक होती तो निश्चित ही इस उपलब्धि पर प्रेस कान्फ्रेन्स भी हो गई होती। लेकिन यह गिरफ्तारी वास्तविक ना होकर मैनेज की हुई थी। वैसे भी गंभीर अपराधों के आरोपियों को पुलिस दो-तीन दिन तो वैसे ही पकडे रखती है। गिरफ्तारी दर्शाने के बाद चौबीस घण्टे के समय का पूरा उपयोग करने के बाद उसे न्यायालय में पेश किया जाता है। लेकिन असजद के मामले में पुलिस ने रविवार को ही गिरफ्तारी की और तत्काल उसे न्यायालय भेज दिया। इस तरह की सुविधा पुलिस बिना भारी लेन देन के नहीं देती। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि न्यायालय में पुलिस ने इस जमानत का विरोध किया या नहीं लेकिन यह तय है कि पुलिस ने असजद से किसी तरह की पूछताछ करना भी जरुरी नहीं समझा,जबकि उसका सगा भाई हत्या के आरोप में उसी के साथ फरार था।
न्यायालयों में अवकाश के दिन किसी एक न्यायिक दण्डाधिकारी की रिमाण्ड ड्यूटी लगाई जाती है,ताकि गिरफ्तार किए गए आरोपियों के जेल वारण्ट बनाकर उन्हे जेल भेजा जा सके। रिमाण्ड ड्यूटी वाला मजिस्ट्रेट आम तौर पर किसी आपराधिक प्रकरण में जमानत आदेश जारी नहीं करता। लेकिन इतने गंभीर मामले में रिमाण्ड ड्यूटी के बावजूद असजद की जमानत ले ली गई। जानकारों की माने तो जमानत भी बिना लेन देन के संभव नहीं है। न्यायालयीन सूत्र बताते है कि रविवार के दिन हाल ही स्थानान्तरित होकर आए एक जेएमएफसी की ड्यूटी थी,जिसने उक्त जमानत आदेश जारी किया।