शाश्वत सनातन धर्म का प्रचार ही संतों का एकमात्र लक्ष्य-क्षमाराम जी महाराज
बडा रामद्वारा का पाटोत्सव सम्पन्न,पुष्पराज जी बने महन्त
रतलाम,,28 जून (इ खबरटुडे)। दुनिया में एकमात्र हिन्दू धर्म ही ऐसा है,जो शाश्वत और सनातन है। दुनिया के अनेक धर्म और सभ्यताएं कालक्रम से विनष्ट हो गए,परन्तु भारतीय संस्कृति और सनातन हिन्दू धर्म हजारों वर्षों से अनेक आक्रमणों का सहता हुआ भी यथावत है। इस सनातन धर्म का प्रचार प्रसार ही संतों का एकमात्र लक्ष्य है। इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए रामद्वारे जैसे स्थान और स्थानाधिपति नियुक्त करने की परंपरा बनाई गई है।
उक्त उद्गार रामस्नेही संप्रदाय के रामधाम सींथल के आचार्य श्री श्री 1008 श्री क्षमाराम जी महाराज ने बडा रामद्वारा में आयोजित मेला महोत्सव में व्यक्त किए। समारोह को सम्बोधित करते हुए रामधाम खेडापा के आचार्य श्री श्री 1008 श्री पुरुषोत्तम दास जी महाराज ने रतलाम स्थित रामद्वारा के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रतलाम रामद्वारा दो सौ से अधिक वर्ष पूर्व स्थापित किया गया था। रामधाम खेडापा से श्री पीथोदास जी महाराज को धर्म प्रचार के उद्देश्य से मध्यप्रदेश में भेजा गया था। वे कई वर्षों तक मध्यप्रदेश मे घूम घूम कर धर्म प्रचार करते रहे और फिर गुरु की आज्ञा से उन्होने रतलाम में रामद्वारा की स्थापना की। तब से लेकर आज तक रामद्वारा धर्मप्रचार के काम में लगा हुआ है और पीथोदास जी की पंरपरा में पुष्पराज जी दसवें स्थानाधिपति है। इस मौके पर पं. मोहनलाल जी दुबे ने ब्रम्हलीन महन्त श्री गोपालदास जी महाराज को स्मरण करते हुए उनके जीवन के संस्मरण साझा किए।
आचार्य द्वय के आशीर्वचनों के बाद आचार्य द्वय ने रामस्नेही संप्रदाय की पंरपरानुसार कण्ठी देकर और चादर औढा कर श्री पुष्पराज जी महाराज को अधिकारिक रुप से रामद्वारा का स्थानाधिपति महन्त घोषित किया। इस मौके पर रामस्नेही संप्रदाय के विभिन्न स्थानों से आए संतों व महन्तों ने महन्त पुष्पराज जी को चादर औढा कर उन्हे भेंट अर्पित की।
मेला महोत्सव में रामस्नेही संप्रदाय के वरिष्ठ संत नवल राम जी महाराज,रामपाल जी महाराज,गोविन्द शाी जी महाराज समेत सैकडों संत महात्मा और हजारों श्रध्दालुजन उपस्थित थे।