November 24, 2024

वन संरक्षक वृत्त में वन विभाग ने लगाया राजस्व विभाग को लाखों का चूना

टीपी कांड में रेंजर निलंबित, जांच समिति पर ही सवाल

उज्जैन/भोपाल,28 अगस्त (इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। उज्जैन वन संरक्षक वृत्त के शाजापुर वन जिला अंतर्गत आगर और शुजालपुर रेंज में लकड़ी परिवहन के लिए अवैध रूप से टीपी जारी की गई है।

अनियमितताओं की हदों को लांघकर टीपी जारी करने वाले रेंजर को अंतत: मुख्य वन संरक्षक उज्जैन वृत्त ने निलंबित किया है। इस मामले में वन विभाग ने राजस्व विभाग को लाखों का चूना लगा दिया है। मामले की जांच के लिए समिति बनाई गई है, जिस पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।

उज्जैन वन संरक्षक वृत्त के तीन जिलों में हुए टीपी (ट्रांजिस्ट परमिट) कांड में अंतत: मुख्य वन संरक्षक को मजबूरी में आगर और शुजालपुर रेंज के रेंजर अविनाश धारीवाल को निलंबित करना पड़ा है। निलंबन अवधि में धारीवाल का मुख्यालय उज्जैन तय किया गया है। तीन दिन बाद ही धारीवाल सेवानिवृत्त होने वाले हैं। टीपी कांड की जांच के लिए विभाग ने ४ सदस्यीय एक समिति बनाई है। इसमें एसडीओ वन के साथ दो रेंजर एवं एक डिप्टी रेंजर को शामिल किया गया है।

मुख्य बात तो यह है कि टीपी काटने का अधिकार वन मंडलाधिकारी को होता है। वे अपने अधिकार से प्रकरणवार रेंजर और एसडीओ को अधिकार सौंपते हैं। इस प्रकरण में शाजापुर डीएफओ इस मामले से बिलकुल निवृत्त ही देखे जा रहे हैं। खास बात तो यह है कि शाजापुर जिले में वन विभाग का जंगल नहीं के बराबर है। जो हजारों वृक्ष आगर और शुजालपुर रेंज में काटे गए हैं, वे सभी राजस्व के जंगल के रूप में शामिल थे। राजस्व विभाग के वृक्षों की कटाई के नियम को भी वन विभाग ने हवा में उड़ा दिया है। विभागीय सूत्र बता रहे हैं कि हजारों टीपी जारी करने के मामले में आधे से अधिक टीपी में राजस्व विभाग की रिपोर्ट और सत्यापन के साथ ही राजस्व विभाग को जो लाखों रुपया जमा होना था, वह भी जमा नहीं हुआ है।

कई मामलों में तो राजस्व विभाग को दरकिनार ही कर दिया गया है और सीधे तौर पर ही ट्रांजिस्ट पास जारी कर दिए गए।जांच के लिए बनाई गई समिति पर इसी लिए सवाल खडे हो रहे हैं कि जब शाजापुर जिले में वन विभाग का जंगल नहीं है तो फिर तय है कि हजारों टीपी पर परिवहन की गई लकडी राजस्व विभाग के पेड़ो की थी।ऐसे में राजस्व विभाग को जो नुकसान हुआ है उसके लिए संभाग या जिले के डिप्टी कलेक्टर रेंक के एक अधिकारी को समिति में शामिल किए बगैर वन विभाग की समिति मात्र खानापूर्ति ही कही जाएगी।

ये कमियां थी परिवहन पास में-

  1. ट्रांजिस्ट पास पर सील नहीं थी।
  2. कटाई कहीं ओर, लकड़ी कहीं और से भरी गई।
  3. एक ही पास पर दो से तीन बार लकड़ी ले जायी गई।
  4. टीपी और लकड़ी का सत्यापन स्थल पर नहीं किया गया।

5.कई प्रकरण में राजस्व विभाग की अनुमति ही नहीं।

6.राजस्व विभाग को राजस्व का भी नुकसान ।

इंदौर से उजागर हुआ मामला –
विभागीय सूत्र बताते हैं कि यह मामला 2019 के अंतिम समय में टीपी कांड जोर शोर पर था। उज्जैन, शाजापुर और आगर से लकड़ी इंदौर की आरा मशीनों पर पहुँच रही थी। वहीं पर विभागीय जांच में यह पूरा घोटाला सामने आया। तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक ने मामले को लिखा पढ़ी में लेकर विभागीय मुख्यालय के साथ ही उज्जैन वन संरक्षक को भी इससे अवगत करवाया। मामले में शिकायत भी हुई । उस आधार पर भी विभाग से बाले-बाले कार्रवाई शुरू की गई। पूरे मामले को गोपनीय बनाए रखा गया । जब उज्जैन मुख्य वन संरक्षक अजय यादव से मामले की जानकारी चाही तो वे गुमराह करने वाली बात करते रहे। उनके ही एक पत्र ने पूरे इस मामले से पर्दा उठा दिया । मामला अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक से हुई शिकायत से जुड़ा हुआ है। यह शिकायत नवम्बर 2019 में हुई थी। इसी के तहत बाद में विभाग के सतर्कता और शिकायत शाखा ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी। जिसके चलते जांच कराना मजबूरी बन गया।

वन रक्षक बली का बकरा बना-
तीन जिलों में हुए टीपी घोटाले में मुख्यालय के दबाव के चलते मुख्य वन संरक्षक एवं पदेन वन संरक्षक उज्जैन को दिखावे की कार्रवाई करना पड़ी थी। वन रक्षक श्रीकृष्ण यादव आगर परिक्षेत्र को निलम्बित किया गया था। उन पर आरोप है कि वन मण्डल शाजापुर के द्वारा परिवहन अनुज्ञा पत्र जारी करने के पूर्व काष्ठ सत्यापन में अनियमितता पाए जाने के फलस्वरूप उन्हें तत्काल प्रभाव से 10 अगस्त को निलंबित किया गया था।वन मंडला धिकारी शाजापुर एवं मुख्य वन संरक्षक वृत्त उज्जैन रेंजर अविनाश धारीवाल को बचाने में अंतत: असफल रहे।

हर टीपी पर हजारों का लेनदेन-
विभाग में चर्चा सामने आ रही है कि प्रत्येक टीपी को जारी करने के लिए लकड़कट्टों और अधिकारियों के बीच एडजस्टमेंट हजारों में हुआ है। ज्यादातर टीपी लाकडाउन के समय काटी जाना सामने आ रही है। चर्चा तो यह भी है कि जिस समय में टोटल लॉकडाउन था और कार्यालय बंद थे ऐसे समय में भी टीपी काटी जाना सामने आ रहा है। तय है आर्थिक बंदरबांट के बगैर कर्मशीलता का यह मामला संभव नहीं है।बताया जा रहा है कि लकड़कट्टों वन माफियाओं ने इन ट्रांजिस्ट पास से करोड़ों के वारे न्यारे किए हैं ।

कुछ ऐसा है पुरा मामला-
विभागीय सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश शासन ने निर्णय लेते हुए कई प्रकार की लकड़ियों में 60 प्रजातियों को ट्रांजिस्ट पास से मुक्त किया था। इस मामले में पर्यावरण संस्था की ओर से न्यायालय में वाद दायर किया गया था। उच्च न्यायालय ने इसमें स्थगन जारी किया था।न्यायालय के स्थगन के पालन में वन विभाग ने टीपी पर परिवहन की प्रक्रिया अपनाई थी। इसी पूरे मामले में उज्जैन, शाजापुर और आगर जिले में घोटाला हुआ है।
शाजापुर और आगर से 4380 परिवहन पास बगैर भौतिक सत्यापन एवं अन्य जांच के जारी किए गए। यहां तक की लकड़ी पर हेमर का निशान भी नहीं लगवाया गया।इन परिवहन पास में सील नहीं थी।लकड़ी की कटाई कहीं ओर से की गई और लकड़ी कहीं और से भरी गई। एक ही पास पर दो से तीन बार लकड़ी ले जायी गई। टीपी और लकड़ी का सत्यापन स्थल पर नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार इंदौर में जांच के दौरान जो टीपी पकड़ी गई थी उसमें न तो गाड़ी नंबर था न ही स्थल का उल्लेख था और न ही वजन का।विभाग के जानकारों के अनुसार वनों की अवैध कटाई के साथ ही अवैध टीपी का यह मकड़जाल चार जिलों में फैला हुआ है। वन माफिया ने इनकी कमजोरी का जबरर्दस्त लाभ अर्जित किया। उज्जैन मुख्य वन संरक्षक क्षेत्र के उज्जैन, शाजापुर, आगर जिले के साथ ही इंदौर जिले में भी यह मकड़जाल फैला हुआ है। विभाग में कई रेंजरों के फिजुल होने के बाद भी मुख्य वन संरक्षक द्वारा अविनाश धारीवाल रेंजर को शुजालपुर रेंज के भी अतिरिक्त प्रभार दिलाकर उपकृत किया गया था।

You may have missed