November 18, 2024

रुझानों में UP-उत्तराखंड में बीजेपी को बहुमत, पंजाब में कांग्रेस

नई दिल्ली , 11 मार्च(इ खबरटुडे)।जैसे जैसे चुनाव परिणामों के रुझान आ रहे हैं, राजनीतिक खेमों में धड़कनें तेज़ होती जा रही हैं. भाजपा को उत्तर प्रदेश में अपने वनवास के खत्म होने का इंतज़ार है. कांग्रेस को 27 साल से बेहाल यूपी में साइकिल का सहारा है. मायावती का हाथी अकेला चला है लेकिन क्या अपने दम पर वो बहुजन समाज पार्टी को सत्ता तक पहुंचा सकेगा या फिर इसबार साइकिल पर बैठेगा हाथी, ऐसे कई सवालों ने मतगणना के कौतुहल को और बढ़ा रखा है. अब तक मिले रुझानों में 368 सीटों में से 249 पर बीजेपी आगे चल रही है. सपा-कांग्रेस गठबंधन 70 और बीएसपी 33 सीटों और अन्य 15 सीटों पर आगे चल रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चुनावों के ज़रिए 2019 के सेमीफाइलन में खुद को परख रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह की खास भी दांव पर है तो उधर कांग्रेस की प्रियंका गांधी को भी इस चुनाव में पता चल जाएगा कि कांग्रेस का यह प्रतीक्षित ट्रंप कितना दमदार बचा है. अखिलेश के लिए यह उत्तर प्रदेश की सत्ता के साथ साथ यादव परिवार और समाजवादी पार्टी में अपने वर्चस्व की लड़ाई जैसा है.

शनिवार की सुबह आठ बजे से उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना शुरू हो चुकी है और अब नज़र है ताज़ा रुझानों और परिणामों पर. मतगणना के मद्देनज़र पांचों राज्यों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में सुबह 8 बजे से मतदान की गिनती शुरू हो गई है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनके सुधार के एजेंडे के परिप्रेक्ष्य में एक तरह से जनमत संग्रह समझे जाने वाले इन चुनावों की मतगणना कई मायनों में देश की भावी राजनीति की दिशा तय करने वाली साबित होगी.
सूबों का समर
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन बीजेपी के रथ को रोकने को लेकर आशान्वित हैं, जिसे बिहार और दिल्ली में कड़ी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस का दावा है कि पंजाब की सत्ता की बागडोर इस बार उसे मिलने वाली है. वहीं पार्टी उत्तराखंड और मणिपुर में एक बार फिर से सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त दिख रही है.आम आदमी पार्टी के लिए भी यह चुनाव काफी महत्व रखता है, जो दिल्ली से बाहर अपनी राजनीतिक साख जमाने की कोशिश में जुटी है. पार्टी ने पंजाब और गोवा में कड़ी चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की 403 सीटों पर वोटों की गिनती हो रही है. देश के पांच राज्यों में संपन्न हुए विधान सभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा यूपी विधानसभा की ही है. देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता हासिल करने के लिए सभी दलों में होड़ है.

राज्य में सात चरणों में चुनाव कराया गया. पहले चरण में 15 जिलों की 73 विधानसभा सीटों पर 11 फरवरी को वोट डाले गए. पहले चरण में शामली, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, बागपत जैसे जिले शामिल थे. दूसरे चरण में 11 जिलों की 67 सीटों के लिए 15 फरवरी को वोट डाले गए थे. तीसरे चरण में 69 सीटों पर 19 फरवरी को चुनाव कराया गया था. चौथे चरण में 53 सीटों पर 23 फरवरी को वोटिंग हुई. पांचवें चरण में 52 सीटों के लिए 27 फरवरी को तथा छठे चरण में 49 सीटों पर 4 मार्च को चुनाव संपन्न हुआ. सातवें चरण में 40 सीटों पर 8 मार्च को वोट डाले गए.

पंजाब
पंजाब विधानसभा चुनाव की 117 सीटों के लिए मतगणना हो रही है. राज्य में 4 फरवरी को वोट डाले गए थे. मतदान में राज्य के 1145 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला हो जाएगा. चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी-अकाली दल, कांग्रेस और पहली बार किस्मत आजमा रही आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. चुनाव आयोग के मुताबिक पंजाब में कुल 75 फीसदी मतदान हुआ था. चुनावों में मतदाताओं के जनादेश पाने की होड़ में सत्तारुढ़ अकाली दल के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से लेकर, आम आदमी पार्टी के भगवंत मान और कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बादल समेत राजनीति की कई प्रमुख हस्तियां शामिल हैं.

उत्तराखंड
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की 69 सीटों पर वोटों की गिनती की जा रही है. राज्य में 15 फरवरी को वोट डाले गए थे. इस बार कुल 637 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 575 पुरुष, 60 महिला प्रत्याशी और 2 अन्य प्रत्याशी शामिल हैं. यहां सत्ताधारी कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला है. बीएसपी, उत्तराखंड क्रांति दल, शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई ने भी यहां अपने उम्मीदवार उतारे हैं.

वोटों की गिनती के साथ ही मुख्यमंत्री हरीश रावत, बीजेपी नेता सतपाल महाराज, अजय भट्ट, किशोर उपाध्याय, हरक सिंह रावत जैसे नेताओं की किस्मत का फैसला भी हो जाएगा. गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा में कुल 70 सीटें हैं लेकिन, यहां एक विधानसभा सीट पर वोटिंग कैंसिल कर दी गई थी. दरअसल, कर्णप्रयाग विधानसभा सीट से बीएसपी प्रत्याशी कुलदीप कनवासी की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. जिसके बाद चुनाव आयोग ने इस सीट पर होने वाले मतदान को टाल दिया था.

गोवा
गोवा विधानसभा चुनाव की 40 सीटों के लिए मतगणना हो रही है. इस चुनाव में कुल 250 उम्मीदवार खड़े हैं जिसमें कई निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं. इस बार बड़ी संख्या में नए चेहरे चुनावी मैदान में हैं. साथ ही गोवा के पांच पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ, प्रतापसिंह राणे, रवि नाइक, दिगंबर कामत और लुईझिन्हो फलेरियो के अलावा मौजूदा मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर के राजनीतिक भविष्य का भी फैसला होगा.

यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस, आप और एमजीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच है. बीजेपी ने 36 उम्मीदवार खड़े किए हैं, जबकि कांग्रेस ने 37 और AAP ने 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. साल 2012 में चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली बीजेपी इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है क्योंकि उसकी सहयोगी रही एमजीपी ने आरएसएस के बागी नेता सुभाष वेलिंगकर द्वारा स्थापित गोवा सुरक्षा मंच और शिवसेना के साथ एक मोर्चा बना लिया है.गोवा में कुल 83 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाले जो पिछले चुनाव की तुलना में थोड़ा अधिक है. साल 2012 के विधानसभा चुनावों में 83 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था.

मणिपुर
मणिपुर विधानसभा चुनाव की 60 सीटों के लिए मतगणना हो रही है. राज्य में पहले चरण का मतदान 4 मार्च को हुआ था, जबकि दूसरे चरण के लिए 8 मार्च को वोट डाले गए थे. मणिपुर विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी को बीजेपी ने कड़ी चुनौती दी. वहीं, इस बार राज्य में कई छोटे दल भी सत्ता में हिस्सेदार बनने उतरे हैं. मणिपुर में पिछले 15 सालों से कांग्रेस ही सत्ता में है. 2012 में तृणमूल कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरी थी. इस बार बीजेपी और कांग्रेस के अलावा भाकपा, राजद और राकांपा के अलावा लोजपा सहित करीब एक दर्जन क्षेत्रीय पार्टियां मैदान में हैं.

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की कोशिश यही रही कि वो कांग्रेस के खिलाफ पैदा हुई एंटी इंकंबेंसी का फायदा उठाए. मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटें घाटी में हैं. जबकि पहाड़ पर विधानसभा की 20 सीटें हैं. प्रदेश की राजनीति में हमेशा मेतई समुदाय का ही दबदबा रहा है. मणिपुर की करीब 31 लाख जनसंख्या में 63 फीसदी मेतई है. मुख्यमंत्री इबोबी सिंह भी मेतई समुदाय से हैं.

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