राग रतलामी/समय समय की बात है,समय समय का योग,लाखों लाखों में बिकने लगे दो दो कौडी के लोग
-तुषार कोठारी
रतलाम। समय समय की बात है,समय समय का योग,लाखों लाखों में बिकने लगे दो दो कौडी के लोग। यह कहावत अब बिलकुल सही साबित हो रही है। अभी एक ही महीना गुजरा है। कल तक जिनको कौडियों के भाव नहीं पूछा जा रहा था,आज उनकी पौ बारह हो रही है। कल तक जिनके आगे पीछे पूरा लाव लश्कर लगा होता था,उन्हे कोई पूछने वाला तक नहीं है। सरकार बदलती है,तो ना जाने क्या क्या बदल जाता है।
अभी कल तक पंजा छाप के एक युवा नेता के पीछे पुलिस पडी हुई थी। किसान आन्दोलन के मुख्य आरोपी बनाए गए ये नेताजी पुलिस की नजर में किसी सडक़छाप गुण्डे की हैसियत वाले थे। चुनाव में पंजा छाप ने इन्हे टिकट भी नहीं दिया,लेकिन अब सरकार बदली है,तो ये अफसरों की आंखों के तारे बन चुके है। सरकारी कार्यक्रमों में इन्हे ससम्मान बुलाया जा रहा है। यही हाल शहर सरकार में पंजा पार्टी की नेता का है। यह महिला नेता अपने समर्थकों की मदद के लिए हमेशा सक्रिय रहा करती थी। इनकी भी पूछ परख अब काफी बढ चुकी है। पहले अफसर इनकी कई बातें अनसुनी कर दिया करते थे,लेकिन अब इनके पंहुचते ही अफसर खडे हो जाते हैं। जिन छुटभैय्यों ने चुनाव के पहले जोड जुगाड करके प्रदेश स्तर के पद हथिया लिए थे,उनके भी मजे हो गए है। ये लोग भोपाल पीसीसी में आजकल मौज कर रहे है। पंजा छाप के तमाम छोटे बडे नेता आजकल फुल फार्म में है। जिसका जिस दफ्तर से कनेक्शन है,वो वहां चमकोमायसीन की गोलियां दे रहा है। तबादलों की तलवार से हर किसी को डराया जा रहा है।
दूसरी तरफ कल जो फूल छाप नेता बडी हैसियत के माने जाते थे,उनकी हालत इन दिनों खराब है। चल तक फूल छाप वालों से मिलने के लिए अफसर इंतजार किया करते थे,आजकल फूल छाप वाले नेता चैम्बरों के बाहर अपनी बारी आने का इंतजार करते हुए देखे जा सकते है। कल तक स्टेशन रोड सत्ता का केन्द्र हुआ करता था,आज वहां की रौनक नदारद है। समय बदलने का असर ही है कि बडे जोर शोर से होने वाला खेलों का कार्यक्रम भी इस बार फीका फीका सा रहा। कभी इस आयोजन के पहले स्कूली बच्चों की विशाल रैली निकला करती थी,लेकिन अब रैली भी नहीं निकली।
नई नवेली शानदार बिल्डिंग में पंहुचा जिले का पूरा का पूरा सरकारी महकमा भी अब नए सिरे से नए लोगों की तीमारदारी में लगने लगा है। लाल बत्ती वाले साहब लोगों के चैम्बरों में आने जाने वालों के चेहरे अब बदलने लगे है और साहब लोग भी पहले वालों को दरकिनार कर नए वालों को भाव देने की आदत डालने लगे हैं।
कप्तान मजबूत,टीम कमजोर……..
शहर में चोरों ने धमाल मचा रखी है। जनता डरने लगी है,कि कब कहां चोर हाथ साफ कर जाए। महकमे की कमान तो मजबूत कप्तान के हाथों में है,लेकिन समस्या यह है कि सरकार ने कप्तान की टीम में कमजोर खिलाडी जोड रखे है। जिले भर के तमाम थानों पर तैनात अफसरों के बारे में लोगों का कहना है कि दमदार लोग कम ही है। यहां तक कि शहर के चारों थानों का आलम भी मजेदार नहीं है। कोई जमाना था कि शहर के बडे से बडे मामलों में बात कप्तान तक पंहुचती ही नहीं थी। टीआई ही सबकुछ निपटा लिया करते थे। लेकिन आज हालत ये है कि छोटी से छोटी बात के लिए भी टीआई कप्तान के इशारे का इंतजार करते हुए दिखाई देते है। लगता है,चोरों को भी इसका पता चल गया है। वे जानते है कि थाने वाले उनका कुछ नहीं बिगाड पाएंगे।