November 15, 2024

मनोरंजन करें किन्तु अधिकार नहीं कि दुसरों को मानसिक संत्रास दे

जिले में धारा 144 अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश लागू
रतलाम ,16 मार्च (इ खबरटुडे)। कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर ने जिले में मध्यप्रदेश कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 एवं धारा 144 दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

 मरीजों कि परेशानियों के साथ ही वृध्दजनों को तेज ध्वनि से होने वाली दिक्कतों के मद्देनजर कलेक्टर ने जारी किया
अब अपरान्ह 10 बजे से पूर्वान्ह 6 बजे के बीच ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग न तो किया जा सकेगा और न ही करवाया जा सकेगा। उपरोक्त आदेश आगामी दो माह की अवधि तक के लिये वर्तमान में चल रही विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षा एवं चिकित्सालयों में मरीजों को होने वाली परेशानियों के साथ ही वृध्दजनों को तेज ध्वनि से होने वाली दिक्कतों के मद्देनजर कलेक्टर ने जारी किया है।
कलेक्टर ने कहा हैं कि मनोरंजन के लिये या अपनी इच्छा पूर्ति या अन्य प्रयोजनों के लिये कोई नागरिक ध्वनि विस्तारक यंत्रो का उपयोग तो कर सकता हैं परन्तु उसे यह अधिकार कदापि नहीं हैं कि वह इनके माध्यम से अन्य नागरिको को मानसिक रूप से संत्रास दे। ऐसी स्थिति में उत्पन्न होने वाली अप्रिय स्थिति को नियंत्रित किये जाने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये गये है।
 विद्यार्थियों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होता है
जिले में आये दिन विभिन्न व्यक्तियों, दलों, संघों, संस्थाओं एवं समूहों द्वारा अपनी समस्याओं एवं मांगों को लेकर आये दिन जुलूस, धरना प्रदर्शन में ध्वनि विस्तार यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही मैरेज गार्डनों, धार्मिक स्थलों व अन्य कार्यक्रम स्थालों पर नियमित रूप से अत्याधिक आवाज में ध्वनि विस्तार यंत्रों का उपयोग किया जाता है। जिससे उस क्षेत्र में स्थिति चिकित्सालयों, नर्सिग होम, टेलीफोन एक्सेंज, न्यायालय, शिक्षण संस्थाएॅ, छात्रावासों, सरकारी कार्यालयों, बैंकों इत्यादि के दैनिक एवं सार्वजनिक हित के कामकाज पर विपरित प्रभाव पड़ता है। विद्यार्थियों की पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न होता है और विद्यार्थियों के साथ ही वृध्दजन, मरीज व अन्य कार्यो में लगे नागरिकों को मानसिक संत्रास होता है।
कलेक्टर ने अपने आदेश में रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनि विस्तार यंत्रों के उपयोग को पूर्ण प्रतिबंधित करते हुए निर्देशित किया हैं कि इसके अतिरिक्त समय में भी ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग संबंधित क्षेत्र के अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अनुमति के बगैर नहीं किया जा सकेगा। यदि कोई व्यक्ति उपरोक्त आदेश का उल्लंघन करेगा तो वह भारतीय दण्ड संहिता 1860 की धारा 188 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध का दोषी होकर उसे विधि की प्रावधानों के अंतर्गत अभियोजित किया जायेगा।

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