कलेक्टर ने छुट्टियों पर लगाई रोक
बिना इजाजत मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे अधिकारी
रतलाम 18 मार्च (इ खबरटुडे)। कलेक्टर राजीव दुबे ने 31मार्च तक जिला अधिकारियों के किसी भी प्रकार का अवकाश लेने पर रोक लगा दी है। साथ ही अधिकारियों को ताकीद की गई है कि वे बिना इजाजत मुख्यालय न छोड़ें। वित्तीय वर्ष के आखिरी पखवाड़े के मद्देनजर विभागों व्दारा उपलब्ध बजट का तर्कसंगत उपयोग करने,समर्पण करने और लैप्स नहीं होने देने की दृष्टि से उपरोक्त पाबंदी लगाई है।
श्री दुबे आज यहां जिला अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। उन्होंने विभिन्न विभागों में शेष बजट के बारे में अधिकारियों से जानकारी तलब की। कृषि विभाग में अब भी बड़ी राशि बची होने को लेकर कलेक्टर ने कैफियत तलब करते हुए कहा कि इतने कम समय में उपलब्ध राशि का इस्तेमाल कैसे किया जा सकेगा। श्री दुबे ने इतनी बड़ी राशि शेष रखी जाने के औचित्य पर सवालिया निशान लगाया। संबंधित अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर राशि योजनाओं से संबंधित है तथा इसका उपयोग किया जा सकेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग के पास भी बड़ी राशि बची होने को लेकर श्री दुबे ने असंतोष जताया और संबंधित अधिकारी से जवाब-तलब किया। उद्यानिकी,पशु चिकित्सा,स्वास्थ्य विभाग में भी अधिक राशि शेष होने को लेकर कलेक्टर ने चेतावनी दी कि किसी भी स्थिति में राशि लैप्स नहीं होनी चाहिए। इसके लिए संबंधित अधिकारी तत्काल जरूरी कदम उठाएं।
कलेक्टर श्री दुबे ने मनरेगा से संबंधित शिकायतों की जांच का काम समय-सीमा में पूरा किए जाने के निर्देश दिए। इस सिलसिले में अनुविभागीय अधिकारी लोक निर्माण एम.एल.माली को सैलाना से प्राप्त दो शिकायतों की जांच के लिए निर्देशित किया गया।बैठक में श्री दुबे ने कर्मचारियों के जीपीएफ खातों में ऋणात्मक शेष के मामलों की भी समीक्षा की।कोषालय अधिकारी ने इस बारे में वस्तु स्थिति स्पष्ट की और बताया कि अभी वसूली नहीं की जा सकी है।
बैठक में कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न कार्यक्रमों में ग्रेडिंग का ब्यौरा भी तलब किया। इस बारे में कलेक्टर श्री दुबे ने साफ शब्दों में कहा कि आपसी मन-मुटाव के चलते शासकीय कार्य किसी भी स्थिति में प्रभावित नहीं होना चाहिए। कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराने के बारे में विभागीय अधिकारी श्री प्रफुल्ल खत्री से जवाब मांगा गया।उनका कहना था कि कई मामलों में स्वास्थ्य विभाग(यूनिसेफ) और महिला एवं बाल विकास विभाग के मापदण्डों में फर्क होने के कारण कुपोषित बच्चों को पहुंचाने पर उन्हें भर्ती नहीं किया गया। कलेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर 24 घंटे के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। श्री दुबे ने स्वास्थ्य और महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों के बीच संवादहीनता की स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
बैठक के दौरान कलेक्टर ने कहा कि सभी जिला अधिकारी छात्रावासों,स्कूलों,मध्यान्ह भोजन वितरण और आंगनबाड़ी केन्द्रों का निरीक्षण कर सकते हैं और अपनी रिपोर्ट भी पेश कर सकते हैंै। सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता प्राप्त उपरोक्त संस्थानों के निरीक्षण के अधिकार पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता। इस सिलसिले में किसी भी प्रकार के ऐतराज को दरकिनार करते हुए कलेक्टर ने कहा कि इस संबंघ में स्थाई आदेश हैंै।
बैठक में वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन के बारे में भी विचार-विमर्श हुआ। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास श्रीमती मधु गुप्ता ने बताया कि संशोधित वन अधिकार अधिनियम 2012 के तहत 378 ग्रामों में सामूहिक दावे प्राप्त किए जाने हैं।इसके लिए चार सदस्यीय टीमें गठित की जाएंगी। बैठक में बताया गया कि इस टीम में पंचायत सचिव,पटवारी,छात्रावास अधीक्षक व वनकर्मी सम्मिलित होंगे। कलेक्टर श्री दुबे ने वन मण्डलाधिकारी आर.पी.राय और सहायक आयुक्त को तत्परतापूर्वक आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। सहायक आयुक्त श्रीमती गुप्ता ने जानकारी दी कि जिन लोगों को पट्टे दिए गए हैं उन्हें अन्य विभागों की योजनाओं से भी लाभान्वित किया जाना है। बैठक में गत माह हुई ओलावृष्टि के प्रभावितों के लघु अवधि ऋणों को दीर्घकालीन ऋणों में बदलने के संबंध में भी चर्चा की गई। श्री दुबे ने गेहूं उपार्जन कार्य की आरंभिक स्थिति की जानकारी ली और व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद रखे जाने की ताकीद भी की।
बैठक में सीईओ जिला पंचायत अर्जुनसिंह डावर,संयुक्त कलेक्टर आर.के.नागराज, डिप्टी कलेक्टर सुश्री निशा डामोर व बी.एल.ननामा भी मौजूद थे।