ऑपरेशन थियेटर है या गंदगी का कूडा दान
जिला अस्पताल की व्यवस्था में सुधार के लिए कलेक्टर ने कसी कमर
दवाईयों की उपलब्धता नहीं होने पर तीन की विभागीय जांच के आदेश
रतलाम,13 मई (इ खबरटुडे)। नवागत कलेक्टर बी चन्द्रशेखर ने जिला चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं की दूर करने के लिए कमर कस ली है। मंगलवार को जिला अस्पताल के अकास्मिक निरीक्षण के बाद बुधवार को फिर कलेक्टर अचानक दोपहर में जिला चिकित्सालय पहुंचे और अव्यवस्थाओं के अंबार को देखते हुए जहां फिर सिविल सर्जन को व्यवस्था सुधारे के कडे निर्देश दिए, वही दवाई वितरण केन्द्र पर दवाईयों की उपलब्धता नहीं होने पर कम्पाउंडर, फार्मसिस्ट और स्टोर किपर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। वही ऑपरेशन थियेटर में गंदगी देख कलेक्टर ने गुस्से में ओटी इंजार्च सिस्टर को जहां लताड लगाई वही सिविल सर्जन को भी नहीं बख्शा। साथ 24 घंटे में अव्यवस्थाओ को दूर करने की कडी चेतावनी दी।
प्यास बुझाने वाले प्याऊ में ठंडा पानी तो हो
आमजनता को परेशानी नहीं इसको ध्यान में रखते हुए मंगलवार को कलेक्टर ने निरीक्षण के दौरान अव्यवस्थाएं और अनियमिता मिलने पर सात कर्मचारियों को निलंबित किया था वही दो संविदा कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी थी। उसके बाद यह जिला चिकित्सालय प्रशासन एवं कर्मचारियों द्वारा यह सोचा जा रहा था कि, नये कलेक्टर साहब है इसलिए दौरा किया है और कुछ का सजा दी है अब तो कुछ दिन नहीं आयेगे। लेकिन कलेक्टर बी चन्द्रशेखर बुधवार को फिर अचानक जिला चिकित्सालय जा पहुंचे और निरीक्षण प्रारंभ कर दिया। कलेक्टर ने सबसे पहले अस्पताल में आने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों की प्यास बुझाने वाले प्याऊ का देखा। यहां गंदगी एवं ठंडा पानी नहीं आने पर सिविल सर्जन आनंद चंदेलकर को व्यवस्था में सुधार के लिए कहा। इसके बाद कलेक्टर ओपीडी एवं आईपीडी पर्ची बनने वाले काउंटर पर पहुंचे। वहां एक आदमी को कार्य करता देख उन्होंने सिविल सर्जन से जानकारी ली। सिविल सर्जन उक्त कार्य ठेके पर होने की बात बताई। तो उन्होंने कान्ट्रेक्ट के पेपर में क्या-क्या शर्ते है उनका पालन होता रहा है या नहीं की जानकारी लेने को कहा। साथ पर्ची बनाने वाले कर्मचारी से पूछा कितनी पगार मिलती है। कर्मचारी ने बताया कि चार हजार रूपए महिना। फिर पूछा कितने कर्मचारी काम करते है जबाव मिला चार। फिर कलेक्टर ने सिविल सर्जन से पूछा महिने के कितने पैसे ठेकेदार को देते है, सीएस ने बताया पैतालिस हजार रूपए। इस पर कलेक्टर ने उन्हें कान्ट्रेक्ट शर्तो की कापी लेकर आफिस में हाजिर होने को कहा।
ऑपरेशन थियेटर है या गंदगी का भंडार
ओपीडी पर्ची केन्द्र के निरीक्षण के बाद कलेक्टर सीधे ऑपरेशन थियेटर में में पहुंचे। यहां उन्होंने देखा की काफी गंदगी है चूहे घूम रहे है। इस पर ओटी इंजार्च सिस्टर से पूछा यहां मूमफली कौन खाता है। सिस्टर ने कहा कोई नहीं। इस पर कलेक्टर ने पूछा तो फिर यहां ये चूहे कैसे घूम रहे है और इतनी गंदगी क्यों है? क्या आप भी अपने परिजनों या रिश्तेदारों को ऑपरेशन ऐसे गंदे ऑपरेशन थियेटर में करवना पंसद करोगी? यहां आमजन के ऑपरेशन होते है ना? गंदगी से उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं है क्या? इंजार्च सिस्टर कलेक्टर के प्रश्रों का उत्तर नहीं दे पाई। ओटी में गंदगी को देख कलेक्टर में सख्त तेवर में व्यवस्था में सुधार के लिए कहा। साथ चेतावनी दी की अगली बार यदि निरीक्षण में ऐसा कुछ दिखा तो जिम्मेदारों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाएगी।
परेशान हूं कोई उचित उपचार नहीं करता
ओटी से बाहर निकलते ही कलेक्टर को एक वृद्ध महिला बैठी दिखी। उन्होंने उसके कागज देखते हुए पूछा उपचार एवं दवाईयां तो बराबर अस्पताल से मिल रही है ना। इस वह रोने लगी और कहा मै एक माह से परेशान हूं, कोई मेरा उचित उपचार ही नहीं कर रहा है। मुखर्जी नगर से यहां आने में ही काफी पैसे खर्च हो जाते है। कोई भी डॉक्टर सही इलाज नहीं कर रहा है। वहीं दवाईयां भी बाहर से लाना पडती है। इस पर कलेक्टर ने सिविल सर्जन से जानकारी ली और सीधे दवाई वितरण कक्ष में पहुंचे। वहां मौजूद कम्पाउंडर ओपी वर्मा से उपलब्ध दवाईयों की जानकारी ली तो उन्हें पता चला की एक माह से यहां कई दवाईयां ही नहीं है। कलेक्टर ने स्टाक रजिस्ट्रर में चेक किया। उन्होनें दवाईयां नहीं होने पर कम्पाउडंर, फार्मासिस्ट संतोष पंवार एवं स्टोर किपर राजेन्द्र चौहान को सिविल सर्जन को जानकारी क्यों नहीं देने पर के बारे में पूछा कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाएं। इस पर उन्होंने तीनों के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए। वही सिविल सर्जन को भी निर्देशीत किया कि वे प्रतिदिन अस्पताल का राउंड लेकर सारी व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे ताकि अव्यवस्था ना फेले। साथ कलेक्टर ने ये भी संदेश दिया कि वे आमजनों को अव्यवस्था के कारण होने वाली परेशानी को किसी भी किमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। अव्यवस्था फैलाने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।
कलेक्टर ने भी तोडे ओटी के नियम
बुधवार को कलेक्टर जब जिला चिकित्सालय के ऑपरेशन थियेटर के निरीक्षण को पहुंचे तो जहां उन्होंने गंदगी के कारण मरीज को संक्रमण होने की बात कही, वही वे भी जूते सहीत ओटी में घूमते रहे। जो ओटी के नियमों के विरूध है। लेकिन उनके साथ मौजूद किसी भी डॉक्टर ने उन्हें जूते बाहर खोलने को नहीं कहा। जबकि सिविल सर्जन ने जूते खोलकर ओटी के अंदर पहने जाने वाली चप्पल पहनी थी, वही आरएमओं डॉ. अभय ओहरी जूते बाहर खोल नगे पांव ओटी में गये थे।