December 24, 2024

आधुनिक प्रपंचतंत्र कथा – कछुआ फिर जीत गया

व्यंग्य लेख

-डॉ.डीएन पचौरी

पुराने जमाने की बात छोडो,इस जमाने में भी कछुए ने एक बार फिर खरगोश को रेस में हरा दिया तो जानवरों ने कछुए का सम्मान करने का विचार किया। जिस प्रकार इन्सानों में dnp5नागरिक अभिनन्दन किया जाता है,ठीक उसी प्रकार कछुए का जानवरिक अभिनन्दन करने के लिए कछुए को एक ऊंचे टीले पर बैैठाया गया और छोटे दीगर जानवर टीले के नीचे चारो ओर बैठ गए। इण्टरव्यू की जिम्मेदारी चतुर चालाक लोमडी को सौंपी गई। लोमडी ने पूंछ हिलाई,आंखे मटकाई और बोली कि-
हे कछुए भाई,आपकी जीत पर बधाई,पर एक बात समझ में नहीं आई कि आपने एक नहीं दो दो बार खरगोश को कैसे हराया? आपको प्रेरणा किस जानवर से प्राप्त हुई है? तो कछुए ने अपनी गर्दन थोडी आगे बढाई और धीर गंभीर वाणी में कहा कि मेरे प्रेरणा ोत जानवर नहीं बल्कि इन्सान है,और वे हैं इस देश के एक बडे नेता श्री मनमौनसिंह जिन्होने पिछले १० वर्षों में मेरे से भी ज्यादा धीमी चाल से चलकर इस देश का कल्याण किया है। मेरे आदर्श मेरे रोल मॉडल मेरे प्रेरणा पुरुष सही मायने में पुरुष कहलाने लायक ही नहीं हैं,क्योकि वे महापुरुष हैं।
लोमडी ने कहा कि हे कच्छपराज अपने आदर्श पुरुष के गुणों की व्याख्या सविस्तार कीजिए। तो कछुए ने अपना प्रवचन प्रारंभ किया। उसने कहा कि श्री मौनसिंह अत्यन्त मितभाषी,सज्जन,सहनशील,संत स्वभाव के व्यक्ति  है,जो उस पद के सर्वथा अयोग्य है,जिस पर वे विराजमान है। वे बहुत कम बोलते है और जहां बोलना चाहिए वहां भी नहीं बोलते हैं। और बोलते भी हैं ,तो थोडा बहुत अंग्रेजी में जिससे अधिक से अधिक लोग समझ ही नहीं पाते कि वे क्या कह रहे हैं या कहना चाहते है? एक चुप सौ को हराए के सिध्दान्त पर उन्होने पांच सो सांसदों की हरा रखा है।मौन सर्वोत्तम भाषणम का पालन करते हुए वे अपने नाम मनमौनसिंह को सार्थक कर रहे हैं। हिन्दी बोलते समय उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है और उन्हे पता ही नहीं चला है कि वे सही बोल रहे हैं कि गलत? इसलिए मीडीयावालों से ही पूछने लगते है,क्यों ठीक है ना?
सच कहुं तो वे गुणों की खान है,बहुत महान है। लोमडी ने कहा कि कछुआ भाई आपके आदर्श पुरुष के गुणों को जानकर हम जानवर बडे प्रभावित हुए है,कृपया उनके कुछ और गुणों का बखान कीजिए। कछुए ने अपनी बात आगे जारी रखते हुए कहा कि सिंह साहब का एक सबसे बडा गुण उनकी सहनशीलता है। उनके राज में महंगाई,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार बेतहाशा बढते रहे किन्तु सिंह साहब निर्विकार,अनासक्त भाव से सब सहन करते आ रहे है। उनके समय में घोटालों का रेकार्ड बन गया है। इतने घोटाले हुए हैं कि सभी का नाम लूं तो शाम हो जाएगी फिर भी चुख बडे घोटाले जैसे राष्ट्रमण्डल खेल घोटाला,दूरसंचार का टू जी घोटाला,कोल ब्लाक आवँटन घोटाला,ग्रेनाईट घोटाला,आदर्श सोसायटी घोटाला,एनआरपीएच घोटाला,सिंचाई घोटाला,आदि आदि। उन्होने सुरेश कलमाडी,ए.राजा,कनिमौझी या कोई दूसरा घोटालेबाज हो,सबको खुली छूट दी कि सिंह साहब के राज में लूट सके तो लूट,अन्तकाल पछताएगा,जब मंत्री पद जाएगा छूट। श्री मौनसिंह सबको समान दृष्टि से देखते है। वे उस पारस पत्थर के समान है,जो कसाई के छूरे या पूजाघर मेंरखे लोहे में कोई भेद नहीं करता। सबको स्पर्श कराते ही खरे सोने में बदल देता है। कछुए ने कहा कि उनके गुणों का बखान करते करते मेरी आंखो में प्रेमाश्रु छलक आए है। कछुआ कुछ देर के लए रुका।
लोमडी ने कहा कि पे्रमाश्रु तो हम जानवरों के नेत्रों में भी छलक रहे है,पर आप अपनी बात जारी रखिए,आपके रोल मॉडल,के गुणों को सुनकर आनन्द आ रहा है। कछुए ने अपना प्रवचन जारी रखा,उसने कहा कि श्री मनमौनसिंह का एक और गुण उनकी आज्ञापालन की आदत है। वे एक मैडम की आज्ञापालन की आदत है। वे एक मैडम की आज्ञा का आंख बन्द करके पालन करते है और करे भी क्यों न,क्योंकि मैडम की कृपा से ही वे इस उच्च पद पर पंहुचे है। पहली कृपा से राज्यसभा और दूसरी कृपा से इतना बडा मंत्री पद।  निर्मल बाबा के शब्दों में कहा जाए तो सिंह साहब पर मैडम की छत्रछाया में उपर वाले की किरपा ही किरपा बरस रही है। श्री मौनसिंह जो पगडी पहनते है वो भी मैडम से पूछकर कि मैडम में पगडी पीली  पंहनूं कि नीली या कसकर बांधू या ढीली।
मैडम से इतना डरते हैं कि पिछले दिनों मैडम के नौसिखिए,नासमझ,नौजवान ने इनके कुछ इम्पोर्टेण्ट कागज बकवास कहकर और फाडकर कूडेदान में फेंक दिए ,तो भी बन्दे के चेहरे पर शिकन तक नहीं आई और न ही इसकी शिकायत मैडम को की। ना इज्जत की चिन्ता,न फिकर कोई अपमान की,जय हो सिंह श्रीमान की,जय हो। सिंह साहब तूसी ग्रेट हो बादशाहो।
भारतीय मीडीया इन्हे मजबूर प्रधानमंत्री तथा विदेशी इन्हे अण्डर एचीवर कहते है। भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष इन्हे अब तक का सबसे कमजोर और मोटी खाल का प्रधानमंत्री कहते है। उनका कहना है कि ऐसा प्रधानमंत्री न भूतो न भविष्यति।
यह कह कर कछुए ने अपना प्रवचन समाप्त किया। फिर सभी जानवरों ने सर्वशक्तिमान भारत के भाग्य विधाता परमपिता परमात्मा से प्रार्थना की कि हे ईश्वर ऐसे इन्सान को सत्ता के उच्च पद पर मत बिठाना,वरना इस देश का तू ही मालिक है। इतने में शेर ने कहीं दूर जंगल में दहाड मारी जिसे सुनकर सब जानवर अपने अपने बिलों में घुस गए और कछुआ रेंग कर तालाब में चला गया।
इति आधुनिक प्रपंचतंत्र कथा समाप्त।

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