December 24, 2024

राजसम्पत्तियों को शासन अपने कब्जे में लें-अवमानना प्रकरण के पक्षकार संजय मूसले ने कहा

ratlam palace

रतलाम,13 फरवरी (इ खबरटुडे)।रतलाम राजवंश की सम्पत्तियों को अफरा तफरी से बचाने के लिए वर्ष १९९३ से संघर्षरत समाजसेवी संजय मूसले का कहना है कि रतलाम की राजसम्पत्तियों को शासन ने तुरंत अपने कब्जे में लेना चाहिए और इन भवनों का शासकीय कार्यों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।
एडीएम डॉ.कैलाश बुन्देला द्वारा राजसम्पत्तियों के क्रय विक्रय पर रोक लगाए जाने के आदेश को स्वागतयोग्य बताते हुए श्री मूसले ने कहा कि 11  दिसम्बर 1995 को तत्कालीन एसडीएम द्वारा पारित आदेश की लगातार अवमानना की जा रही थी। इस आदेश में तत्कालीन एसडीएम ने रतलाम की राजसम्पत्तियां अलवर युवरानी महेन्द्र कुमारी ,उनके पुत्र जीतेन्द्र सिंह,किशोर मेहता और अजीत सिंह सक्तावत को सुपुर्दगी पर दी थी। सुपुर्दगी में देने के लिए यह शर्त थी कि वे इन सम्पत्तियों को न तो विक्रय करेंगे और ना ही इनके स्वरुप में कोई परिवर्तन कर सकेंगे। इसके बावजूद कुछ समय बाद कुछ व्यक्तियों ने षडयंत्रपूर्वक रतलाम महाराजा के जर्मनी निवासी भाई रणवीर सिंह से एक अवैध पावर आफ अटार्नी प्राप्त कर लोकेन्द्र भवन का विक्रय इन्दौर की सुवि इन्फोटेक नामक कंपनी को कर दिया था। स्थानीय भू माफिया राजेन्द्र पितलिया इसी सुवि इन्फोटेक के स्थानीय प्रतिनिधि है।
श्री मूसले ने बताया कि रतलाम की बेशकीमती राजसम्पत्तियों पर अंतिम महाराज के जर्मनी निवासी भाई रणवीर सिंह का कोई स्वत्व नहीं था,क्योंकि वे भारत की नागरिकता त्याग चुके थे और राज परिवारों में सम्पत्ति ज्येष्ठ पुत्र को ही प्राप्त होती है। चूंकि रतलाम के अंतिम महाराजा व महारानी निस्संतान एवं निर्वसीयत मृत हुए थे,इसलिए समस्त राजसम्पत्तियां शासन में वेष्ठित हो जाना थी। इन तथ्यों के बावजूद रणवीर सिंह ने बिना वैधानिक स्वत्व के पावर आप अटार्नी जारी की और इस पावर आफ अटार्नी के माध्यम से लोकेन्द्र भवन का विक्रय तब कर दिया गया,जब कि वह सुपुर्दगी में दिया गया था और उसका विक्रय किया ही नहीं जा सकता था। मजेदार तथ्य यह भी है कि एक न्यायालयीन प्रकरण में राजसम्पत्तियों की सुपुर्दगीदार अलवर युवरानी महेन्द्र कुमारी और उनके पुत्र की ओर से शपथपत्र देकर यह कहा गया था कि रणवीर सिंह का इन सम्पत्तियों पर कोई हक नहीं है और राजसम्पत्तियों पर न्यायालय द्वारा रिसीवर नियुक्त कर दिया जाना चाहिए।
इतने स्पष्ट तथ्य होने के बावजूद शासकीय अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की थी। इससे व्यथित होकर श्री मूसले ने वर्ष 2010  में अनुविभागीय दण्डाधिकारी के न्यायालय में अवमानना का प्रकरण दायर किया था।

एसडीएम की शिकायत

अवमानना के इस प्रकरण में वर्तमान अनुविभागीय दण्डाधिकारी सुनील झा ने कानून को ताक पर रखते हुए राजेन्द्र पितलिया को इस प्रकरण में पक्षकार के रुप में संयोजित कर लिया था,जबकि श्री पितलिया का इस रूरे मामले से अधिकारिक तौर पर कोई सम्बन्ध ही नहीं है। श्री मूसले ने एसडीएम सुनील झा की शिकायत कलेक्टर बी.चन्द्रशेखर को की थी। इस शिकायत की जांच भी एडीएम द्वारा की जा रही है। श्री मूसले की शिकायत की जांच के क्रम में ही आज एडीएम द्वारा राजसम्पत्तियों के क्रय विक्रय पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds