November 8, 2024

यातायात पुलिस खुद अतिक्रमणकर्ता

व्यवस्था सुधारने के नाम पर आम लोगों पर अत्याचार

रतलाम,16 जून (इ खबरटुडे)। वैसे तो शहर की यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए पुलिस महकमे ने डीएसपी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की है,लेकिन यातायात व्यवस्था नदारद है। ट्रैफिक डीएसपी का कार्यालय बनाने के लिए यातायात पुलिस खुद पूरी बेशर्मी से अतिक्रमण कर रही है। दूसरी ओर व्यवस्था सुधारने के नाम पर आम लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है।
मंगलवार शाम को यातायात अमले ने अपने ही थाने से सड़क पर रखे वाहनों को हटाने का अभियान शुरु किया। इस मुहिम में महकमे के बडे अफसर भी शामिल थे। यातायात कर्मियों ने दुकानों के बाहर रखे वाहनों की हवा निकाली। पुलिस का डर दिखाने की हसरत में नए रंगरूटों ने चार पहिया वाहनों के चारों पहियों की हवा निकाल दी। वाहन चालकों को इतना समय भी नहीं दिया गया कि वे अपने वाहन हटा सके। अब लोग सवाल उठा रहे है कि व्यवस्था सुधारने का मतलब क्या लोगों पर अत्याचार करना ही होता है।
यातायात पुलिस की इस बेवजह की गई कार्यवाही का खामियाजा उन आम लोगों को भुगतना पडा जो अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए इन दुकानों पर खरीददारी करने आए थे। उन्हे मात्र कुछ ही देर रुकना था,लेकिन यातायात के नए रंगरूटों ने बेलगाम अफसरों के आदेश पर उन वाहनों की हवा निकाल दी। यातायात विभाग की कार्यवाही के बाद काफी देर तक लोग अपने वाहनों को हाथों में लेकर हवा भरवाने की मशक्कत में लगे रहे। जिन चार पहिया वाहनों के चारों पहियों की हवा निकाली गई,वे तो वाहन को हटा पाने की स्थिति में भी नहीं थे। पूरे इलाके में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में लोग अपने वाहन रखें तो कहां रखे? उपर से पुलिस का यह अत्याचारी रवैया।

स्वयं अतिक्रामक है यातायात पुलिस

यातायात के अफसर व्यवस्था सुधारने के नााम पर जनता पर तो कहर ढा रहे है,उधर दूसरी ओर डीएसपी कार्यालय बनाने के लिए यातायात पुलिस द्वारा स्वयं बेशर्मी से अतिक्रमण किया जा रहा है।
शहर में जिस समय पहले पहल यातायात पुलिस की शुरुआत हुई थी,तब यातायात चौकी प्रारंभ की गई थी। दो बत्ती घोडे पर आक्ट्राय नाके का एक कक्ष यातायात अमले को चौकी चलाने के लिए दे दिया गया था। बाद में चौकी से थाना बना और अब यातायात अमले के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी की नियुक्ति हो गई है। डीएसपी का कार्यालय बनान के लिए यातायात चौकी के मूल स्वरुप को पूरी तरह बदल दिया गया है। कार्यालय की बाउण्ड्री वाल बनाने में सड़क पर पांच फीट का अतिक्रमण कर लिया गया है। इस नए निर्माण के लिए पुलिस ने नगर निगम से किसी प्रकार की अनुमति लेने की आवश्यकता भी नहीं समझी। सड़क पर पांच फीट अतिक्रमण के बाद यातायात अमले के कर्मचारियों ने अपने वाहन रखने के लिए बाहर सड़क पर अपने बैरिकैट्स लगा कर फिर चार फीट का अतिक्रमण कर लिया है। लोग सवाल उठा रहे है कि इस पर कार्यवाही कौन करेगा? बिना अनुमति किए गए निर्माण के लिए किसे दण्डित किया जाएगा?

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