मध्यप्रदेश में 22 लाख किसानों की फसल बारिश से हुई चौपट
भोपाल,19 सितंबर (इ खबरटुडे)। प्रदेश में अतिवर्षा और बाढ़ से 22 लाख किसानों की 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में बोई खरीफ फसलें चौपट हो गई हैं। लगभग नौ हजार 600 करोड़ रुपए की फसल का नुकसान होने का अनुमान है। इसका प्रदेश और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ा है।
प्रारंभिक जानकारी के हिसाब से 11 हजार 906 करोड़ रुपए की क्षति सामने आई है। वास्तविक नुकसान की जानकारी बारिश का दौर थमने के बाद सामने आएगा। किसानों की स्थिति को देखते हुए मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती ने केंद्रीय दल से तीन हजार करोड़ रुपए के अल्पावधि ऋण को मध्यावधि में तब्दील करने की मांग रखी।
राज्य की ओर से माह अंत तक नुकसान का आकलन कर प्रतिवेदन भेजा जाएगा। केंद्रीय दल के नेतृत्वकर्ता राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त सचिव संदीप पौण्डरिक ने कहा कि अब हम फील्ड में जा रहे हैं। फीडबैक लेकर फिर बात करेंगे। बैठक के बाद दल तीन हिस्सों में बंटकर विदिशा, रायसेन, राजगढ़, मंदसौर और आगर-मालवा के दौरे पर निकल गया।
अतिवर्षा और बाढ़ के प्रभाव का आकलन करने आए केंद्रीय दल ने मंत्रालय में आला अफसरों के साथ बैठक कर फीडबैक लिया। मुख्य सचिव ने दल को बताया कि 45 दिन की बारिश की स्थिति देखें तो प्रदेश के 52 में से 36 जिलों में बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। 225 लोगों की मौत बाढ़ और अतिवर्षा की वजह से हुई है। नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने में दस दिन से ज्यादा का वक्त लगेगा, लेकिन हमें तत्काल सहायता मिलनी चाहिए।
यदि इसमें ज्यादा विलंब होता है तो आगे के काम प्रभावित होंगे। अब हमें रबी सीजन को संभालना है। इसके लिए अभी से काम करना होगा। वहीं, गांधी सागर बांध के गेट खोलने को लेकर मुख्य सचिव ने केंद्रीय दल को बताया कि हमने बारिश से पहले प्लानिंग की थी, इस वजह से गांधी सागर बांध से लगातार पानी छोड़ा जाता रहा।
इसीलिए मध्यप्रदेश तो ठीक राजस्थान में भी स्थिति नियंत्रण में रही। चंबल नदी में आई बाढ़ के बारे में बताया कि बीते 50 साल में इतना विस्तार नहीं हुआ। बैठक में केंद्रीय उपसचिव केएम सिंह, संचालक मनोज पोनीकर, डॉ. एके तिवारी, अमरनाथ सिंह, ऊर्जा विभाग के सहायक संचालक सुमित गोयल सहित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
540 करोड़ के मकान को क्षति पहुंची
प्रमुख सचिव राजस्व मनीष रस्तोगी ने अतिवृष्टि और बाढ़ से हुए नुकसान को लेकर बताया कि 540 करोड़ रुपए की लागत के 54 हजार से ज्यादा मकानों को क्षति पहुंची है। 1 हजार 566 करोड़ रुपए की सड़कों और 200 करोड़ रुपए का अन्य नुकसान हुआ है। नौ हजार 600 करोड़ रुपए से ज्यादा की फसल चौपट हो गई।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में 28 करोड़, आंगनवाड़ी 31 करोड़, स्कूल और छात्रावास भवन 17.50 करोड़, पेयजल आपूर्ति की संरचना 22.7 करोड़, बिजली की अधोसंरचना 23.12 करोड़, पंचायत और सामुदायिक भवन 47 करोड़, सिंचाई परियोजना को 31 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा है।