December 24, 2024

पितलिया की धोखाधडी उजागर होने के बाद क्या जमीदोंज होगा बोधि स्कूल का भवन?

bodhi

रतलाम,1 नवंबर (इ खबरटुडे)। भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया द्वारा फर्जी स्कूल के नाम पर करोडों की जमीन कौडियों के दाम पर हासिल करने की धोखाधडी का पर्दाफाश होने के बाद अब यह सवाल हवाओं में तैर रहा है कि बोधि इन्टरनेशनल स्कूल वाली इस भूमि की लीज कब निरस्त होगी और धोखाधडी से हासिल जमीन पर खडे भवन को क्या जमींदोज किया जाएगा? हाल ही में उज्जैन में साढे चार करोड की लागत वाले अवैध रुप से निर्मित होटल प्रेसिडेन्ट को ध्वस्त किया गया है।
उल्लेखनीय है कि आर्थिक अपराध अनुसन्धान शाखा द्वारा डोंगरे नगर स्थित बोधि इन्टरनेशनल स्कूल की भूमि को अवैध रुप से आवंटित किए जाने के मामले में भूमाफिया राजेन्द्र पितलिया के साथ साथ तत्कालीन निगम आयुक्त एपी सिंह गहरवार,तत्कालीन महापौर जयन्तीलाल जैन और सम्पत्तिकर अधिकारी मनोहरलाल शर्मा के विरुध्द धोखाधडी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया है।
इस पूरे षडयंत्र के सूत्रधार राजेन्द्र पितलिया शहर के चर्चित कालोनाईजर है,जिन्होने शहर में एक दर्जन से अधिक कालोनियां विकसित की है। जानकार सूत्रों के मुताबिक श्री पितलिया के प्रत्येक प्रोजेक्ट में बडे बडे घोटाले किए गए है,जिनकी समय समय पर शिकायतें भी होती रही है। अधिकांश शिकायतों की जांच तो शुरु होती है,लेकिन इस तरह की तमाम जांचों को थोडे समय बाद लम्बित कर दिया जाता है। रतलाम की राजसम्पत्ति लोकेन्द्र भवन से लगाकर नजूल की भूमि पर गुलमोहर कालोनी विकसित करने जैसे प्रत्येक मामले में श्री पितलिया ने अफसरों की मिलीभगत से करोडों रुपए के घोटाले किए है। लेकिन श्री पितलिया की जादूगरी ऐसी है,कि इन घोटालों की जांच शुरु होने के बाद कहां गायब हो जाती है,कोई नहीं जानता। बोधि स्कूल ऐसा पहला मामला है,जिसमें अनुसंधान के बाद एफआईआर दर्ज हुई है।
आर्थिक अपराध अनुसंधान द्वारा की गई जांच  में राजेन्द्र पितलिया द्वारा की गई धोखाधडी के कई तथ्य उजागर हो चुके है,लेकिन एफआईआर के बाद होने वाले अनुसंधान में कई नए तथ्य उजागर होना है। जानकार सूत्रों के मुताबिक राजेन्द्र पितलिया ने न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल के नाम पर जमीन आवंटित कराई और यह जमीन बोधि इन्टरनेशनल स्कूल को किराये पर दे दी। इतना ही नहीं,अस्तित्वविहीन न्यू रतलाम पब्लिक स्कूल के नाम पर जमीन आवंटित हो जाने के बाद भी श्री पितलिया ने नियमों का पालन करना कतई उचित नहीं समझा। लीज की शर्त यह थी कि जमीन आवंटन के बाद निश्चित समय सीमा में भवन निर्माण का कार्य प्रारंभ करना होगा। श्री पितलिया ने न तो समयसीमा में निर्माण कार्य प्रारंभ किया और ना ही लीज की राशि का भुगतान ही समयसीमा में किया। इस मामले में शिकायत होने के बाद श्री पितलिया ने भवन निर्माण प्रारंभ किया।
जांच में इस महत्वपूर्ण बिन्दु का भी खुलासा होगा,कि जिस स्कूल का कोई अस्तित्व ही नहीं था,उसके भवन के लिए बेंक से ऋ ण कैसे प्राप्त किया गया। जानकार सूत्रों के मुताबिक इस मामले में भी बडा घोटाला सामने आ सकता है। यही नहीं भवन निर्माण में एमओएस का भी पालन नहीं किया गया है।

क्या होगी कार्यवाही…?
ईओडब्ल्यू द्वारा एफआईआर दर्ज होने के बाद आपराधिक प्रकरण की जांच की प्रक्रिया चलने के अलावा अब बडा सवाल यह उठ रहा है कि नगर निगम प्रशासन इस मामले में क्या कार्यवाही करेगा। ईओडब्ल्यू की अब तक हुई जांच से यह तो पूर्णत: स्पष्ट हो गया है कि राजेन्द्र पितलिया को अवैध रुप से भूमि का आवंटन किया गया था। ऐसे में राजेन्द्र पितलिया के पक्ष में की गई लीज तुरन्त समाप्त होना चाहिए। सवाल यह भी है कि जब लीज ही अवैध ढंग से की गई थी,तो ऐसे में इस भूमि पर निर्मित भवन का क्या होगा? नियमानुसार तो अवैध भूमि पर अवैधानिक तरीके से निर्मित भवनों को डायनामाईट से ध्वस्त किए जाने की व्यवस्था है। हाल ही में उज्जैन में प्रेसीडेन्ट होटल को प्रशासन ने ध्वस्त किया था। यह सवाल भी सामने है कि भवन निर्माण में एमओएस का पालन नहीं किए जाने के मामले में नगर निगम भवन निर्माण को तोडेगा या नहीं? और यदि भवन को ध्वस्त करने का निर्णय लिया जाता है,तो इस विद्यालय में पढ रहे सैंकडों बच्चों के भविष्य का क्या होगा और उनके पालकों द्वारा जमा कराई गई लाखों रुपए की फीस उन्हे लौटाई जाएगी या नहीं?

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