December 25, 2024

दाम्पत्य जीवन का विज्ञान

couple

होली विशेष – डॉ.डीएन पचौरी

विज्ञान के प्रमुख तीन विषय है। कैमिस्ट्री या रसायन,फिजिक्स या भौतिकी तथा बायोलाजी या जैविकी,जिसमें मेडीकल साइंस सम्बन्धित है और इन्ही तीन में नोबल पुरस्कार दिया जाता है। विद्यार्थी जीवन में पहली बार कैमिस्ट्री पढने का अवसर आया तो पता चला कि नाम भले ही रसायन है किन्तु इससे अधिक नीरस विषय कोई दूसरा नहीं है। इसमें एक बूंद रस नहीं है। दो पदार्थों की क्रिया से कौन सा तीसरा पदार्थ बना और फिर अंग्रेजी के अंकों व अक्षरों से बनी एक समीकरण जिसका संतुलित होना आवश्यक है,उसे रटने के अलावा कोई चारा नहीं था। किन्तु लगभग 15 से 20 वर्ष पूर्व जब एक अखबार में पढा आजकल हीरो गोविन्दा तथा रवीना टण्डन के बीच अच्छी कैमिस्ट्री  चल रही है,तो दिल को बडा सुकू न मिला कि चलो ये नीरस विषय फिल्म इण्डस्ट्री में भी पंहुच गया। फिर तो आए दिन सुनने को मिलने लगा कि अमुक हीरो की अमुक हीरोइन से अच्छी कैमिस्ट्री चल रही है। गहराई से खोजबीन करने पर पता चला कि यह वो कैमिस्ट्री नहीं है। जिसे हम जिन्दगी भर रटते रहे बल्कि यह वो व्यावहारिक कैमिस्ट्री है जिसमें कोई युगल जोडा परस्पर एक दूसरे को समझने की कोशिश करते हुए प्रेम की पगडण्डी पर चलने लगता है। अब तो इस विषय का इतना प्रचार प्रसार हो चुका है कि पार्कों,होटलों,बाग बगीचों,खेत खलिहानों और झाडी झुरमुटों में जवान जोडे विशेषतया स्कूल व कालेज के छात्र छात्राएं कैमिस्ट्री का अध्ययन करने पंहुच जाते है और पुलिसवाले हैं कि इनके इस व्यावहारिक अध्ययन में बाधा डालते है और पकडकर घरवालों के हवाले कर देते है कि सम्हालों अपने बच्चों को,ये अन्य विषय  छोडकर कैमिस्ट्री की पढाई ज्यादा कर रहे है या समझाईश देकर छोड देते है।         जब आत्मा के स्तर पर कैमिस्ट्री का अध्ययन पंहुच जाता है तो उसकी शारीरीक  व्याख्या फिजिक्स पढकर की जाती है। फिजिक्स विज्ञान का दूसरा इम्पोर्टेण्ट विषय है । इसमें बताया गया है कि किसी वस्तु पर यदि बल लगाकर विस्थापित कर दो तो उसे यांत्रिकी कार्य करता है तो उनके शरीर में उष्मा उत्पन्न होती है। ऊ र्जा ६ प्रकार की होती है,यांत्रिक ऊ र्जा के अलावा उष्मा,प्रकाश,चुम्बक,विद्युत  और ध्वनि ऊ र्जा। जब कोई जोडा परस्पर चुम्बकीय आकर्षण में बंधकर यांत्रिकीय कार्य करता है तो उनके शरीर में उष्मा उत्पन्न होती है तथा विद्युत की तरंगे प्रवाहित होने लगती है। फिर विभिन्न प्रकार की ध्वनियों के साथ मस्तिष्क में आनन्द के साथ प्रकाश ऊ र्जा का प्रादुर्भाव होता है। इसे आनन्द की अनुभूति कहते है और अन्त में ऊ र्जा मुक्ति के साथ फिजिक्स का अध्ययन पूरा हो जाता है। मानव इस फिजिक्स का बार बार अध्ययन करना चाहता है। एक सामाजिक बन्धन जिसे शादी या मैरिज कहते है,उसका होना फिजिक्स अध्ययन की अनिवार्यता मानी जाती है। ये मैरिज दो प्रकार की होती है,लव मैरिज तथा अरेंज मैरिज। एक मनचले ने इसकी परिभाषा इस प्रकार दी है कि यदि कोई नासमझ स्वेच्छा से कूंएं में कूद जाए तो इसे लव मैरिज और यदि कुछ लोग गा बजाकर उसे कुएं में धकेल दे तो उसे अरेंज मैरिज कहते है।
कैमिस्ट्री का अध्ययन मैरिज के बाद ही अच्छा माना जाता है। मैरिज के पूर्व समाज इसे अच्छी नजर से नहीं देखता है। ये बात अलग है कि कुछ लोग बिना कैमिस्ट्री के ही अपने विषमलिंगी के साथ जबरदस्ती फिजिक्स की पढाई में जुट जाते है,जिसे रेप या दुष्कर्म या बलात्कार आदि कहते है और कभी कभी तो चार मानव एक ही मानवी को उसकी इच्छा के विरुध्द फिजिक्स का अध्ययन करवाते है,तो इसे गैंगरेप का नाम दिया जाता है।
दो प्राणियों के मध्य कैमिस्ट्री,फिजिक्स के अध्ययन से एक तीसरे विषय बायोलाजी का प्रवेश हो जाता है। ये बायोलाजी का प्रवेश हो जाता है। ये बायोलाजी का प्रवेश अन्य प्राणियों में तो नहीं किन्तु मानव जीवन में सुखद और दुखद दो प्रकार का होता है। यदि सामाजिक बन्धन मैरिज के पूर्व बायलोजी का आगमन हो जाए तो यह अत्यन्त दुखदायी माना जाता है और लडकी को आत्महत्या तक करनी पड जाती है। लडकी की मां छाती माथा कूटती हुई कहती है कि करमजली कैमिस्ट्री तक तो ठीक था पर फिजिक्स पढने की ऐसी क्या जल्दी थी कि शादी के पूर्व बायोलाजी का प्रवेश हो गया। अब हमें तूने कहीं दिखाने काबिल नहीं छोडा।
वहीं बायोलाजी का प्रवेश मैरिज के बाद शादीशुदा जोडे जिसे दम्पत्ति कहते है,के लिए आनन्ददायी  होता है और इसे जीवन की पूर्णता माना जाता है। यदि किसी के दाम्पत्य जीवन में कैमिस्ट्री फिजिक्स के बाद भी बायोलाजी का आगमन नहीं होता है,तो तंत्र मंत्र,पूजापाठ,जादू टोना आदि शुरु हो जाते है। आजकल तो टेस्ट ट्यूब परीक्षण से लेकर अनेकानेक विधियां प्रचलित है। किन्तु पुराने जमाने में तो ऋ षि मुनियों का आशीर्वाद ही दवा दुआ का काम करता था। जब किसी राजा महाराजा के यहां वंश परंपरा को चलाने के लिए प्राणी का आगमन नहीं होता था तो मुनिश्री से प्रार्थना की जाती थी कि हे मुनिश्री आप ही कोई कारगर उपाय बताए और मुनिश्री कोई भभूत या फल आदि प्रदान करते थे और दम्पत्ति के जीवन में बायोलाजी का शुभागमन हो जाता था। राजा दशरथ ने मुनिश्री से प्राप्त फल के चार टुकडे करके तीन रानियों को खिलाए तो उनके महल में बायलोजी का मंगल प्रवेश हो गया।
स्पष्ट है कि प्राणियों के जीवन में पहले कैमिस्ट्री,फिर फिजिक्स और फिर बायलोजी विषय का प्रवेश होता रहता है। संसार चलाने की यही अनिवार्यता है और यही प्रकृति का चिरशाश्वत नियम है। यही दाम्पत्य जीवन का विज्ञान है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds