December 25, 2024

कोर्ट के आदेश की अवेहलना:रतलाम राजवंश की विवादित संपत्ति लोकेन्द्र भवन एक बार फिर विवादों में घिरी

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रतलाम,21 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। रतलाम राजवंश की विवादित संपत्तियों में से एक रही लोकेन्द्र भवन परिसर एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। ताजा मामला यहां हो रहे निमार्ण कार्य और उसके लिए परिसर में स्थित पेड़ों की कटाई को लेकर है। प्रशासन भी इस पुरे मामले पर मौन साधे बैठा है, ऐसे में स्थानीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे है।

रतलाम राजवंश की संपत्ति लोकेन्द्र भवन में पिछले कुछ दिनों से निर्माण कार्य शुरु कर दिया गया है, जबकि राजवंश की संपत्तियों के वारिस को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है, यही नहीं जिन लोगों का वर्तमान में लोकेन्द्र भवन का कब्जा है, उन्होने निर्माण कार्य के लिए परिसर में स्थित हरे-भरे पेड़ों की बली चढाना भी शुरु कर दी है। परिसर में स्थित कई पेड़ों को काट दिया गया है और कई की छंटनी कर आगे-पीछे उनके भी काटे जाने की तैयारी है।

खुले आम हो रहे इस कार्य पर न तो अभी तक प्रशासन ने सुध ली है और नांही पेड़ों को काटे जाने के मामले में नगर निगम ने कोई कार्रवाई की है। पेड़ों की कटाई निगम से विधिवत अनुमती लेकर की जा रही है या नहीं इसकी जानकारी भी नहीं दी जा रही है। लोकेन्द्र भवन को पूर्व में तत्कालिन कलेक्टर श्रीमती दिप्ती गौड़ मुखर्जी ने शासकीय संपत्ति मानते हुए यहां इसका बोर्ड भी लगा दिया था, लेकिन उसके बाद परिस्थतियों में काफी परिवर्तन हुआ।

प्रशासन ने यह भी किया
सामाजिक कार्यकर्ता संजय मूसले ने 2010 में एसडीएम शहर की कोर्ट में आवेदन लगाया था। इसमें बताया था कि एसडीएम कोर्ट द्वारा राजवंश की संपत्तियों के मामले में हो रहे विवाद पर 11 दिसंबर 1995 को राजवंश की संपत्तियां जिनके आधिपत्य में थीं उन्हें सुपुर्दगी में दी थी। इसमें शर्त रखी थी कि जब तक विवादित संपत्ति के स्वत्वों का निर्धारण सिविल कोर्ट द्वारा नहीं हो जाता तब तक कोई भी पक्ष इसकी चल-अचल संपत्ति को खरीद-बेच नहीं सकेगा और न ही इसके स्वरूप में कोई परिवर्तन करेगा।

मूसले ने आवेदन में बताया कि इस शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है। इसका उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध जांच कर कार्रवाई की जाए। आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए और संपत्तियां जब्त की जाएं। मामला लंबित होने लगा तो मूसले ने तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर को आवेदन दिया। कलेक्टर ने एडीएम से जांच करवाई और 16 मार्च 2017 को प्रकरण रतलाम ग्रामीण एसडीएम भारतीय को स्थानांतरित कर दिया। 26 मई 2018 को एसडीएम भारतीय ने यह आवेदन निरस्त कर दिया। उन्होंने फैसले में बताया हाई कोर्ट ने 2007 में ही लोकेंद्र भवन के संबंध में निर्देश दिए हैं कि लोकेंद्र भवन की रजिस्ट्री की जाएं। पूर्व एसडीएम ने राज संपत्तियों को शासन में समायोजित करने की प्रक्रिया को अवैधानिक मानने का आदेश दिया है। एसडीएम भारतीय ने मूसले का आवेदन निरस्त कर दिया था ।

रिसीवर नियुक्त किया था
रतलाम राजवंश की संपत्तियों के संबंध में बार-बार विवाद होने पर 1993 में पुलिस थाना स्टेशन रोड ने धारा 145 के तहत एसडीएम न्यायालय में इस्तगासा पेश कर संपत्ति रिसीवर नियुक्त करने का निवेदन किया था। उसी साल एसडीएम ने राजवंश की समस्त संपत्तियों पर तहसीलदार एवं मैनेजर व कोर्ट ऑफ वाड्र्स को रिसीवर नियुक्त किया था। 1995 में संपत्तियों के लिए विवाद कर रहे लोगों के मध्य आपसी समझौते के आधार पर तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा 11 दिसंबर 1995 को संपत्तियां इस शर्त पर सुपुर्दगी में दी थीं कि जब तक विवादित संपत्ति के स्वत्वों का निर्धारण सिविल कोर्ट द्वारा नहीं हो जाता तब तक कोई भी पक्ष इसकी चल-अचल संपत्ति को क्रय-विक्रय नहीं करेगा और नहीं संपत्ति के स्वरूप में कोई परिवर्तन करेगा।

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