November 14, 2024

रात 12 बजे नागचंद्रेश्वर के पट खुले, दोपहर 12 बजे त्रिकाल पूजा, सवारी में 7 रूपों में दर्शन हुए

उज्जैन,21अगस्त(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। सोमवार को नागपंचमी और सवारी के संयोग पर श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा उमड़ पड़ी। मंदिर के द्वितीय तल पर स्थिति नागचंद्रेश्वर मंदिर के वर्ष में एक बार नाग पंचमी पर्व पर 24 घंटों के लिए पट रविवार – सोमवार दरमियानी रात श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनित गिरि महाराज ने खोले। इसके बाद आम श्रद्धालुओं के दर्शन का क्रम शुरू हुआ। सोमवार दोपहर को भगवान की त्रिकाल पूजा की गई।

रविवार –सोमवार दरमियानी रात को भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खोले गए। इसके बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनित गिरि ने विधि विधान से भगवान नागचंद्रेश्वर भित्ति प्रतिमा का पूजन किया। उनके साथ मंदिर प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम एवं अन्य अधिकारी मौजूद थे। इसके उपर के तल पर श्री नागचंद्रेश्वर के शिवलिंग का पूजन और अभिषेक किया गया।

पूजन अर्चन के बाद भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। साल में एक बार खुलने वाले भगवान श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए रविवार शाम से ही कतार में लगकर श्रद्धालु पट खुलने का इंतजार कर रहे थे । सोमवार दोपहर 12 बजे भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की गई।भगवान श्री महाकालेश्वर की सांय आरती के उपरांत मंदिर क पूजारी एवं पुरोहितों की और से पूजन आरती की गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर में नागपंचमी के पर्व पर श्री महाकालेश्वर भगवान को शेषनाग धारण करवाया गया। कोटितीर्थ कुंड पर आशीष पुजारी द्वारा श्री शेषनाग भगवान के पंचामृत पूजन-अर्चन-आरती के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान को भस्मार्ती में शेषनाग धारण करवाया गया।रविवार रात से ही मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भीड उमड़ पडी थी।लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए मंदिर प्रबंध समिति एवं प्रशासन ने व्यवस्था की थी। नागचंद्रेश्वर एवं श्री महाकालेश्वर दर्शन के लिए अलग –अलग लाईने लगवाई गई थी उसके बावजूद भीड़ नियंत्रण करना प्रशासन के लिए मुसीबत दायक हो गया था। हालत यह रही कि प्रशासन के लगाए गए जूता स्टैंड पर ही बेकाबू भीड के कारण कई श्रद्धालुओं के जूता-चप्पल छूट गए।सुबह के समय भीड नियंत्रण के सभी प्रयास नाकाफी हो रहे थे। इस दौरान कुछ देर के लिए जमकर धक्का मुक्की भी हुई।

श्री जटाशंकर स्वरुप के साथ सात रूपों में हुए सवारी में दर्शन
श्री महाकालेश्वर भगवान की श्रावण/भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में सातवीं सवारी सोमवार को निकाली गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि, श्री महाकालेश्वर भगवान की सप्तम सवारी में पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद ,श्री घटाटोप मुखोटा व श्री जटाशंकर मुखारविंद सवारी में निकाले गए।भगवान के सात रूपों के दर्शन के लिए सवारी मार्ग के दोनों और लाखों की संख्या में श्रद्धालु खडे हुए थे। पालकी और सप्त रूपों के सामने आने पर श्रद्धालुओं ने जय श्री महाकाल और हर-हर महादेव के उद्घोष और पुष्प वर्षा कर सवारी का स्वागत किया। सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान के श्री चन्द्रमोलेश्वर स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। उसके पश्चात भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर को पालकी में विराजित कर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जावेगी। सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची। जहॉ क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची।

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