Raag Ratlami Cabinet : फूल छाप पार्टी ने पूरी की रतलाम वालों की चाहत,भैया जी के हाथों में सौंपी उद्योगों की कमान
-तुषार कोठारी
रतलाम। पन्द्रह सालों के बाद शहर को केबिनेट मंत्री मिला है। चुनाव के पहले से लोगों का मानना था कि विकास के रास्ते पर चल रहे शहर के विकास को और तेज रफ्तार देने के लिए शहर के पास मंत्री होना जरुरी है। इसी की उम्मीदें भी रतलामियों ने लगा कर रखी थी और आखिरकार उम्मीदें सही साबित हो गई। शहर को ना सिर्फ केबिनेट मंत्री मिला,बल्कि मंत्री महोदय को महकमा भी उद्योगों से जुडा हुआ ही मिला। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों का महकमा अब भैयाजी सम्हालेंगे तो रतलाम वालों की उद्योगों की चाहत जल्दी पूरी होंगी।
चुनाव के नतीजे देखकर अधिकांश लोगों का अंदाजा था,कि फूल छाप पार्टी के उपर वाले रतलाम वालों की चाहत का ध्यान रखेंगे और फूल छाप ने बाकायदा रतलाम वालों का ध्यान रखा। शहर के पास से एटलेन गुजर रहा है और एटलेन पर औद्योगिक कारिडोर बनाने की योजना भी पहले से ही स्वीकृत हो चुकी है। ऐसे में उद्योगों से जुडा महकमा,रतलाम के भैयाजी के पास है तो यह तय है कि इसके विकसित होने की गति दुगुनी हो जाएगी। यानी आने वाले कुछ ही सालों में रतलाम की तस्वीर और तकदीर दोनो बदलती हुई नजर आएगी।
मजेदार बात ये है कि भैया जी ने महज विधायक रहते हुए रतलाम में विकास के नए सोपान बनाए थे। शहर की कई सारी सडकें फोरलेन में तब्दील हो चुकी है। नमकीन कलस्टर बन चुका है,गोल्ड काम्प्लेक्स,ट्रांसपोर्ट नगर,नया अस्पताल भवन जैसे काम तेजी से चल रहे है। गरीबों को सैकडों मकान मिल चुके है और वे उसमें रहने भी लगे है। तो अब ये पक्का समझा जा सकता है कि इस तरह के और भी कई सारे काम पहले से भी तेज गति से होंगे। इसी का असर था कि मंत्री बनने के बाद शहर में आए भैयाजी का स्वागत करने वालों की होड मची हुई थी। शहर का कोई कोना,कोई इलाका ऐसा नहीं बचा था,जहां भैयाजी के स्वागत के लिए भीड ना उमडी पडी हो।
नैया डूबोई माझी ने
माझी का काम होता है नैया को नदी के पार लगाना। लेकिन अगर माझी ही नैया डुबोने लग जाए तो? वाहनों के महकमे की हालत इन दिनों ऐसी ही है। महकमे के साहब कहने को तो माझी है,लेकिन काम महकमे को डूबोने का कर रहे है। इस महकमे में वाहनों के फिटनेस से लगाकर परमिट तक के सारे कामों के लिए साहब ने भारी भरकम रेट तय कर रखे है।
महकमे ने वाहनों के नियम इसलिए बनाए है ताकि इन वाहनों में यात्रा करने वालों का जीवन सुरक्षित रह सके। लेकिन साहब की मेहरबानी से सड़कों पर टण्डीरा वाहन भी फिटनेस के सर्टिफिकेट लेकर दनदना रहे है। सिर्फ यही नहीं। स्कूली बच्चों को स्कूल लाने ले जाने वाले वाहनों की हालत भी खस्ता ही है। स्कूली बच्चों को ढोने वालों वाहनों को अधिक सुरक्षित होना चाहिए,लेकिन साहब की भूख के चलते कई स्कूली वाहन पूरी तरह कण्डम होने के बाद भी बेहिचक चल रहे है। इस तरह के कण्डम वाहन कब बच्चों के जीवन के लिए खतरा बन जाएंगे,कोई नहीं जानता।
महकमे के साहब को इससे कोई मतलब नहीं है। उन्हे उनकी कमाई से मतलब है। लेकिन साहव है बहुत सयाने। वे रुपयों को हाथ तक नहीं लगाते। इसके लिए उन्होने अपने एक पट्ठे को नियुक्त कर रखा है। किसी का कैसा भी काम हो,साहब के पट्ठे के जेब गर्म करते ही सारे काम हो जाते है। सवाल सरकार चलाने वाली फूल छाप पार्टी के नेताओं से भी है,जो बातें इमानदारी की करते है,लेकिन उनकी नाक के नीचे इस तरह के अफसर बडी बेशर्मी से न सिर्फ टिके रहते है,बल्कि ये दावा भी करते है कि उनका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता। वैसे अब सूबे का निजाम बदला है,तो हो सकता है कि साहब को भी बदल दिया जाए।