May 2, 2024

धन से अमीर किन्तु तन से फकीर वैज्ञानिक

(डॉ.डीएन पचौरी)
सांयकालीन समय पश्चात जब रात्रि की कालिमा फैलने लगती तो लन्दन के एक शानदार मकान का पिछली अन्धेरी गली में खुलने वाला दरवाजा खुलता,उसमें से लम्बा कोट और हैट पहने एक आदमी बाहर निकलता,जैसा पहनावा हमारे यहां जासूस या कातिल का फिल्मों में दर्शाया जाता है। वह आदमी इधर उधर दायें बाये देखता और तेजी से एक ओर चल देता। यदि कोई आदमी या औरत दिख जाती तो वह कोट का कालर उपर करके और अधिक तेज चाल से बचकर निकलने की कोशिश करता। क्या वह कोई डाकू,चोर,लुटेरा,हत्यारा या जासूस था?

नहीं ये उस समय का सबसे धनी और प्रसिध्द वैज्ञानिक हैनरी कैवेण्डिश था,जिसने हाईड्रोजन गैस की खोज की थी। धनवान इतना कि बैंक आफ इंग्लैण्ड के सबसे अधिक शेयर उसके पास थे। उसका रहन सहन,खानपान,पहनावा सबकुछ साधारण थे। पुराने टाइप का पुराना सूट लटकाए रहता था और जो लोग उसे नहीं पहचानते थे,वे भिखारी समझकर उसे शिलिंग या पेन्स देने की कोशिश करते थे। इस वैज्ञानिक को उस समय लोग सनकी,खिसका हुआ या अध्र्दपागल समझते थे। वह अत्यन्त आत्मकेन्द्रित व्यक्ति था। उसे एस्परर्जर सिन्ड्रोम नामक बीमारी थी,जिसमें व्यक्ति अतिमहत्वाकांक्षी हो जाता है।

जीवन परिचय
हैनरी कैवेण्डिश का जन्म एक लार्ड और धनी ड्यूक परिवार में १० अक्टूबर १७३१ को लन्दन में हुआ था। शिक्षा प्रारंभ में घर पर फिर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई किन्तु वहां धार्मिक मामले में वाद विवाद के कारण इन्हे डिग्री नहीं दी गई। इससे वे पेरिस पढने चले गए। वहां से ग्रेजुएशन के बाद ये लन्दन लौटे तो इनके पिताजी इन्हे रायल सोसायटी के सदस्यों से मिलवाने ले गए। जहां से इन्हे विज्ञान के प्रयोगों में रुचि उत्पन्न हुई। इनकी रुचि को दृष्टिगत रखते हुए इनके पिताजी ने घर पर ही प्रयोगशाला तैयार  कर दी जहां हैनरी के प्रयोग प्रारंभ हो गए।
पहले वैज्ञानिक ये मानते थे कि जब कोई पदार्थ जलता है तो उसके अन्दर से फ्लोजिस्टीन निकल जाता है और जलता वही पदार्थ है जिसमें फ्लोजिस्टीन होता है,इसे फ्लोजिस्टीनवाद कहते थे,जो अब गलत सिध्द हो चुका है। हैनरी ने इसी वाद पर ध्यान केन्द्रित कर धातुओं जैसे लोहा,तांबा,जस्ता आदि पर अम्लों की क्रिया प्रारंभ की तो एक गैस प्राप्त हुई,जो तेजी से जल उठती थी। अत: इसका नाम ज्वलनशील गैस रख दिया। ये गैस हवा से हल्की थी अत: उडने वाले गुब्बारों में भरी जाने लगी।

हाईड्रोजन नाम क्यो?
हैनरी कैवेण्डिश ने देखा कि इस गैस के जलने पर कुछ जल जैसी बूंद बन जाती है। बाद में पता चला कि लैवोजियर वैज्ञानिक ने इस ज्वलनशील गैस का नाम हाइड्रोजन रख दिया क्योकि ग्रीक भाषा में हाइड्रो अर्थात जल तथा जैनिस अर्थात उत्पन्न करना अत:जल उत्पन्न करने वाली गैस और नाम हाइड्रोजन रख दिया। ज्ञातव्य है कि लैवोजियर वही वैज्ञानिक है जिसकी १७९४ में गिलेटिन पर चढाकर गला काट कर हत्या की गई थी और ये वैज्ञानिक फ्रान्स की क्रान्ति का शिकार हुआ था।

हैनरी कैवेण्डिश के अन्य आविष्कार
हैनरी कैवेण्डिश ने हाइड्रोजन के अतिरिक्त कार्बन डाइ आक्साइड गैस की खोज की और इसका नाम फिक्स एअर या स्थिर वायु रखा था क्योकि ये बहुत भारी होती है व सरलता से जल में घुल जाती है। नाईट्रिक अम्ल की खोज का श्रेय भी इसी वैज्ञानिक को है। ये सब कैमिस्ट्री विषय से सम्बन्धित है।
फिजिक्स या भौतिकी में इन्होने अधिक आविष्कार किए। सर्वप्रथम पृथ्वी का घनत्व और पृथ्वी की मात्रा ज्ञात की। गुरुत्वीय नियतांक (जी)का मान ज्ञात किया। लन्दन के लोग आज भी इनके घर के निकट से निकलते है,जहां एक शापिंग माल बन चुका है तो यही याद करते है कि यहां वह वैज्ञानिक रहता था,जिसने पृथ्वी को तौला था।
इस वैज्ञानिक का जीवन बडा रहस्यमय था। केवल गुरुवार को ये पिछले रास्ते से रायल सोसायटी के आफिस जाता था,जहां अन्य वैज्ञानिकों से विचार विमर्श करता था। बात करते समय दीवार या छत की ओर देखता था और कभी किसी से आंख मिलाकर बात नहीं करता था। महिलाओं से तो बात ही नहीं करता था और जीवनभर अविवाहित रहा। इसके शर्मीलेपन का परिणाम यह हुआ कि इसकी बहुत सी खोजें प्रकाशित नहीं हुई और सौ वर्ष बाद एक वैज्ञानिक जेम्स क्लार्क मैक्सवेल ने इसकी लाइब्रेरी से जो कागज निकाले उनमें ऐसे अनेकों सिध्दान्त व खोजें निकली जिन्हे आज दूसरे वैज्ञानिकों के नाम से जाना जाता है। उदाहरणार्थ डाल्टन का आंशिक दाब का नियम,ओम का नियम,चाल्र्स का गैसों का नियम,कूलाम का व्युत्क्रमवर्ग नियम,व्हीटस्टोन ब्रिज का सिध्दान्त,संघानिरत्र का सूत्र आदि ये इन्हे पहले ही खोज चुका था। हैनरी कैवेण्डिश ने अपनी लाइब्रेरी घर से चार किलोमीटर दूर बना रखी थी,जहां से खास दोस्त ही पुस्तकें ले सकते थे। वह सप्ताह में एक बार लाइब्रेरी जाता था और वहीं जिसे मिलना हो मिल सकता था,घर पर आने की किसी को इजाजत नहीं थी।
मृत्यु तथा सम्मान
इस वैज्ञानिक की मृत्यु भी इसकी जिन्दगी की तरह रहस्यमयी थी। ये अपनी प्रयोगशाला में घरेलु नौकरों को भी नहीं आने देता था। प्रयोगशाला के साथ लगा हुआ जो कमरा था,उसमें चिट पर लिख कर खाने पीने की चीज का नाम लिख देता था,जिसे नौकर रख देते थे और ये उठा लेता था। इसका भोजन अत्यन्त सादा होता था और उतना ही खाता था,जितना जिन्दा रहने के लिए पर्याप्त हो। ये उस समय की बात है जब ये वैज्ञानिक लन्दन के सबसे बडे चार अमीरों में से एक था। कभी कभी दो दो दिन तक भोजन नहीं लेता था और उसके नौकर भोजन उठा लेते थे। किन्तु सन १८१० में एक बार लगातार तीन दिन तक भोजन नहीं लिया तो बडी हिम्मत करके घर के नौकर इसकी प्रयोगशाला में गए तो देखा कि ये एक टेबिल पर नीचे मुंह किए बैठा है,किन्तु वह मर चुका था।
जीते जी इस वैज्ञानिक को कोई सम्मान प्राप्त नहीं हुआ था। केवल एक बार रायल सोसायटी ने इसे विशेष मैडल प्रदान किया था। मृत्यु के बाद इसकी पूरी प्रापर्टी ब्रिटीश सरकार ने ले ली। सम्मान के नाम पर जिस सड़क पर इसका घर था,उसका नाम कैवेण्डिश स्ट्रीट रख दिया गया है तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में स्थित फिजिक्स लैब का नाम कैवेण्डिश के नाम पर रखा गया है। हैनरी कैवेण्डिश को उसके पिताजी से वसीयत में सात लाख पाउण्ड की राशि मिली थी और एक चाचा ने लगभग तीन लाख पाउण्ड की राशि उसके नाम छोडी थी। इस प्रकार उसके पास दस लाख पाउण्ड की बडी धनराशि जो आज के जमाने के हिसाब से करीब ८५ करोड रुपए की होती है। किन्तु इतना अमीर व प्रखर बुध्दि का होते हुए भी उसने कुल सम्पत्ति का हजारवां हिस्सा भी व्यय नहीं किया। ऐसा था वो धन से अमीर किन्तु तन से फकीर वैज्ञानिक।

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