
खुफिया एजेंसियोंकी कडी नजर लेकिन पुलिस बेखबर
भोपाल,१८ मई(इ खबरटुडे)। सिमी सरगना सफदर नागौरी समेत सिमी के कई बडे नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद सिमी की गतिविधियां लगातार जारी है। सिमी सरगना गुजरात की जेलों में बन्द है,लेकिन गिरफ्तारी उनकी गतिविधियों को रोक पाने में असफल सिध्द हुई है। रतलाम रेलवे स्टेशन पर हुई गोलीबारी इसका जीवन्त उदाहरण था। मालवांचल के ,नागदा,खाचरौद,महिदपुर रतलाम समेत कई स्थानों पर सिमी की गतिविधियां जोरों से चल रही है,हांलाकि स्थानीय पुलिस इससे बेखबर ही है।
पिछले दिनों रतलाम रेलवे स्टेशन पर सिमी आतंकियों और एटीएस जवानों के बीच हुई मुठभेड से यह स्पष्ट हुआ था कि सिमी के आतंकी जोर शोर से अलगाववादी गतिविधियों में लगे हुए है। उस मुठभेड के बाद वैसे प्रत्यक्षत: अब तक सिमी से जुडी कोई खबर सामने नहीं आई है लेकिन भीतर ही भीतर सिमी की गतिविधियां बदस्तुर जारी है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक हाल ही में सिमी के तीन कार्यकर्ता काश्मीर जाकर तोडफोड की घटनाओं का प्रशिक्षण लेकर लौटे है। जल्दी ही कुछ और युवाओं को कश्मीर भेजा जाना है।
सिमी सरगना सफदर नागौरी,कमरुद्दीन नागौरी और कामिल परवेज इन दिनों अहमदाबाद की साबरमती जेल में बन्द है। इन्हे मध्यप्रदेश से बाहर की जेल में भेजकर सुरक्षा एजेंसियों ने सोचा था कि इनके सम्पर्कों में इससे कमी आएगी। सुरक्षा बलों की यह सोच भी थी कि सिमी के ये नेता फिर से मध्यप्रदेश की किसी जेल में आने का प्रयास करेंगे। लेकिन हुआ ठीक उलटा। सिमी के नेताओं ने मध्यप्रदेश आने की कोई कोशिश नहीं की। बल्कि उन्होने गुजरात की जेल में ही रहने में रुचि दिखाई।
सिमी नेताओं के इस व्यवहार का रहस्य अब उजागर हो चुका है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक साबरमती जेल में सिमी नेताओं को हर तरह की सुविधा उपलब्ध हो रही है। जेलकर्मियों को रिश्वत देकर वे न सिर्फ अपने सम्पर्कों से लम्बी मुलाकातें कर लेते है बल्कि मोबाईल के जरिये सतत सम्पर्क में भी रहते है। सूत्रों के मुताबिक नागौरी के समर्थक महीने में कम से कम एक बार साबरमती जेल पंहुचकर उससे मिलते है। उनकी यह मुलाकात अन्य कैदियों के रिश्तेदारों की मुलाकात के बाद करवाई जाती है। इन मुलाकातों में समय का कोई बन्धन नहीं होता। सूत्रों के मुताबिक जेलकर्मी मोटी रिश्वत के बदले सिमी नेताओं को मोबाईल पर बात करने की सुविधा भी उपलब्ध करवा रहे हैं।
सिमी नेताओं को सुविधाएं दिलाने के लिए हजारों रुपए रिश्वत के रुप में बांटे जा रहे है। इसका अर्थ यह है कि सिमी का आर्थिक आधार भी मजबूत है। जब इस पहलू की जांच हुई तो इसमें भी चौंकाने वाली जानकारियां मिली। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक महिदपुर,खाचरौद,नागदा,उन्हेल आदि ईलाकों में नागौरी समुदाय ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुडा है और इस समुदाय के करीब दो हजार ट्रक व अन्य मालवाहक वाहन है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक सिमी द्वारा प्रति वाहन प्रति माह तीन से पांच हजार रु.की राशि सिमी की सहयोग राशि के रुप में ली जा रही है। सिमी को आर्थिक मदद देने के लिए २०१० में नागौरी लश्कर का गठन भी किया गया है।
इस तरह हर महीने लाखों रुपए का फण्ड सिमी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए एकत्रित किया जा रहा है। इस फण्ड से जहां सिमी की नई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है,वहीं जेलों में बन्द सिमी आतंकियों को कानूनी मदद देने तथा उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देने में भी इसी राशि का उपयोग किया जाता है।
बहरहाल स्थानीय पुलिस इन बातों से या तो अनजान है या फिर इस ओर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर रही है। सिमी की इन गतिविधियों के जारी रहने का साफ मतलब है कि आतंकी खतरा पूरे मध्यप्रदेश पर मण्डराा रहा है और कभी भी इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड सकता है।।