गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में महाविद्यालय परिवार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार अजहर हाशमी ने कहा रतलाम,17जुलाई (इ खबरटुडे)।जो शिष्य में गुण रूपी पौधा रोपकर ज्ञान रूपी खाद व पानी देकर पल्वित करे, वही सच्चा गुरु है। गुरु को शिष्य से जुड़ना चाहिए, उड़ना नहीं चाहिए। गुरु वह है जो शिष्य को समर्पण, प्रेम से रहना, सौहार्द की सड़क पर चलना और सफलता के आकाश पर उड़ना सिखाए। यह बात साहित्यकार, कवि एवं चिंतक अजहर हाशमी ने रविवार को गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही। इंदिरानगर में आयोजन महाविद्यालय परिवार ने किया था। हाशमी ने गुरु-शिष्य के संबंधों की ताकत भी परिभाषित की। उन्होंने कहा- गुरु शिष्य का रक्षक भी है। सिर्फ गुरु ही शिष्य की रक्षा नहीं करता बल्कि जब शिष्य अपनी श्रद्धा, भावना और समर्पण का शॉल ओढ़ाता है तो वह गुरु का रक्षाकवच बन जाता है। शा. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नामली की प्राचार्य डॉ. अनिला कंवर ने कहा- गुरु पूर्णिमा के चांद के समान है जो शिष्य को ज्ञान रूपी प्रकाश से रास्ता दिखाता है, वह शीतलता भी प्रदान करता है। वे खुशनसीब हैं कि उन्हें हाशमी जैसे गुरु मिले। सेंट्रल स्कूल की प्रभारी डॉ. नंदिनी सक्सेना ने गुरु को ज्ञान की मशाल बताया जो अंधकार से उजाले की ओर ले जाती है। पत्रकार तुषार कोठारी व प्रधानाध्यापक सुरेखा नागर ने भी संबोधित किया। इससे पहले महाविद्यालय परिवार के अध्यक्ष एडवोकेट सतीश त्रिपाठी, तुषार कोठारी, हेमंत भट्ट, भारत गुप्ता, गौरीशंकर जोधा, कमलसिंह यादव, नीरज शुक्ला सहित अन्य ने चिंतक हाशमी का शॉल-श्रीफल से अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया। इस मौके पर जिला अस्पताल के पूर्व लैब टेक्नीशियन ओमप्रकाश नागर, लक्ष्मणसिंह सोलंकी, प्रारब्ध त्रिपाठी, नवीन सोलंकी सहित अन्य मौजूद थे।