शासन ने लिया कनीराम मन्दिर और दुकानों का कब्जा
नए पुजारी की नियुक्ति,दुकानदारों को भी देंगे नोटिस
रतलाम,22 मार्च(इ खबरटुडे)। शाी नगर स्थित शासकीय कनीराम मन्दिर पर आज शासन ने कब्जा कर लिया। कब्जे की कार्यवाही तहसीलदार वीरेन्द्र कटारे के नेतृत्व में की गई। तहसीलदार श्री कटारे ने मन्दिर के लिए नए पुजारी की नियुक्ति कर दी। शासकीय मन्दिर के पूर्व में नियुक्त पुजारी ने मन्दिर की भूमि पर मार्केट बना कर किराया वसूलना शुरु कर दिया था। अब शासन इन दुकानदारों को भी नोटिस देगा।
शासकीय कनीराम मन्दिर और मन्दिर की भूमि को पूर्व में पुजारी रहे शिवशंकर पोसवाल ने अपनी निजी मालकी की बनाकर यहां मार्केट बना दिया था। उसने मन्दिर के मार्केट से दुकानदारों से किराया वसूलना शुरु कर दिया था। किन्तु न्यायालयीन आदेशों के मुताबिक कनीराम मन्दिर और मार्केट का स्वत्वाधिकारी म.प्र.शासन को घोषित किया गया है। इन तथ्यों के आधार पर आज शाम तहसीलदार वीरेन्द्र कटारे शहर पटवारी धु्रव निनामा व अन्य कर्मचारियों के साथ मौके पर पंहुचे और उन्होने कब्जा पंचनामा बनाकर मन्दिर और मार्केट की दुकानों का कब्जा ले लिया।
मन्दिर के पुजारी रहे शिवशंकर पोसवाल ने मन्दिर के मूल स्वरुप को पूरी तरह नष्ट कर दिया है और इसे अपना स्थाई निवास भी बना लिया है। तहसीलदार श्री कटारे ने हरीशंकर चतुर्वेदी को आगामी आदेश तक मन्दिर का पुजारी नियुक्त कर दिया है और उन्हे मन्दिर की पूजा अर्चना करने के निर्देश दिए है। पूर्व पुजारी शिवशंकर पोसवाल ने कब्जे की कार्यवाही के दौरान विवाद करने की भी कोशिशें की,लेकिन तहसीलदार श्री कटारे के सख्त रवैये के चलते शिवशंकर कई व्यवधान उत्पन्न नहीं कर पाया। उसने कब्जे का विरोध किया,लेकिन जब उससे मन्दिर की मालकीयत के सम्बन्ध में दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया,वह कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया।
यह है मामला
शाी नगर स्थित कनीराम मन्दिर रतलाम रियासत काल से शासकीय मन्दिर रहा है। इस मन्दिर में शिवशंकर पोसवाल के दादा जी ओंकारलाल पिता मयाराम पुजारी के रुप में नियुक्त किया गया था। बाद शिवशंकर ने इस शासकीय मन्दिर को अपनी निजी सम्पत्ति के रुप में उपयोग करना शुरु कर दिया और मन्दिर की शासकीय भूमि पर दुकानें बनवा कर इनकी लाखों रुपए की पगडी वसूल की। उसने लाखों रुपए पगडी लेकर दुकानें किराये पर दे दी। बाद में एक किरायेदार प्रदीप कुमार जैन की शिकायत पर तत्कालीन अपर कलेक्टर केके खरे ने इस मन्दिर और मार्केट को शासकीय सम्पत्ति घोषित किया था। इस आदेश के साथ ही उक्त मन्दिर और मार्केट का कब्जा शासन ने ले लिया था। अपर कलेक्टर केके खरे का आदेश राजस्व मण्डल तक अपरिवर्तनीय रहा और शासन निर्विवाद रुप से उक्त मन्दिर का मालिक रहा। मन्दिर के पूर्व पुजारी शिवशंकर ने सिविल न्यायालय में शासन के विरुध्द वाद प्रस्तुत कर स्वयं को मन्दिर का मालिक घोषित करवाने का प्रयास किया,लेकिन वह न्यायालय में भी अपनी मालकीयत के सम्बन्ध में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाया। सिविल न्यायालय द्वारा भी कनीराम मन्दिर को शासकीय मन्दिर घोषित किया गया।