लोकसन्त की निश्रा में 23 नवम्बर को जावरा में होगा दीक्षा महोत्सव
चातुर्मास आयोजक परिवार ने किया बहुमान
रतलाम,13 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। लोकसन्त, आचार्य, गच्छाधिपति, श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में 23 नवम्बर को जावरा में दीक्षा महोत्सव का आयोजन होगा, इसमें कुक्षी की मुमुक्षु बहन सविता जैन भगवती दीक्षा अंगीकार करेंगी। जयन्तसेन धाम में गुरुवार को आचार्यश्री ने दीक्षा का मुहूर्त प्रदान किया।
मुहूर्त घोषित होते ही वातावरण उल्लासमय हो गया। इस मौके पर चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से श्रीमती तेजकुंवरबाई काश्यप ने दीक्षार्थी बहन एवं उनकी माताजी निर्मला जैन का बहुमान किया।
कुक्षी की सविता जैन लेंगी भगवती दीक्षा,
आचार्यश्री ने जावरा श्रीसंघ की उपस्थिति में कुक्षी से आए श्रीसंघ प्रतिनिधियों एवं दीक्षार्थी परिवार को दीक्षा महोत्सव का मुहूर्त प्रदान किया। इससे पूर्व जयन्तसेन धाम में शाश्वती सिद्ध चक्र नवपद ओलीजी की आराधना के छठे दिन सम्यक दर्शन पद की आराधना का क्रम चला। आचार्यश्री ने कहा कि सम्यक दर्शन सभी आराधनाओं का मूल है। इसके बिना आराधना का फल नहीं मिलता । सम्यक दर्शन का तात्पर्य सही को सही और गलत को गलत ही मानना होता है, इसके बिना किया गया धर्म निष्फल होकर मार्त क्रिया बनकर रह जाता है। धर्म से विमुख होने वाले को भी सम्यक दर्शन गुण के कारण धर्म सम्मुख होने का अवसर मिल सकता है। लोकसन्तश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद लेने प्रतिदिन कई गुरुभक्त जयन्तसेन धाम पहुंच रहे हैं । गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मालव प्रांत के शारीरिक प्रमुख बलिराम पटेल ने आचार्यश्री से आशीर्वाद लिया। चातुर्मास आयोजक श्री काश्यप ने स्वागत कर परिचय कराया। इस दौरान बी.आर. पाटीदार मौजूद रहे। इस मौके पर दादा गुरुदेव की आरती का लाभ सविता बहन सुगंधीलाल जैन कुक्षी ने लिया।
रावण जितनी अच्छाई किसी में नहीं – मुनिराजश्री
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने लोकसन्तश्री की निश्रा में चल रही नवपद ओलीजी की आराधना के छठे दिन श्रीपाल रास का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि दशहरा पर भले ही लोगों ने रावण का पुतला जला दिया, लेकिन जितनी अच्छाई रावण में थी उतनी किसी में नहीं है। कई दोषों के साथ रहने वाले लोगों के मन में रावण ही बैठा रहता है। सीताजी ने सोने के हिरण के पीछे श्रीराम को दौड़ाया था, लेकिन सोने की लंका में बैठकर श्रीराम का ही स्मरण करती रही। लंका में जैसा शील लेकर सीताजी बैठी रहीं, वैसी ही श्रीपाल रास में श्रीपाल की पत्नियों ने भी शील व्रत का पालन किया। नवपद के प्रभाव से श्रीपाल गंभीर से गंभीर परिस्थितियों से बाहर निकल आए। मुनिराजश्री ने कहा जिनके पास अहिंसा, तप और संयम होता है, उन्हें देवता भी नमस्कार करते हैं। मनुष्य कहीं भी रहे, उसके चित्त में परमात्मा का वास होना चाहिए। जीवन में यह भाव कभी भी मैं का अहं न रखे, अपितु सबकुछ परमात्मा की कृपा मानकर चलें। अहं प्रकट होने पर परमात्मा की कृ़पा नहीं बरसती।
श्राविका रत्न की उपाधि से अलंकृत होंगी तेजकुंवरबाई काश्यप –
आगामी 16 अक्टूबर को जयन्तसेन धाम में लोकसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में चातुर्मास आयोजक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप की माताजी श्रीमती तेजकुंवरबाई काश्यप का ‘अमृत महोत्सव’ आयोजित किया जाएगा। इसमें अ.भा.सौ. वृ. र्तिस्तुतिक जैन श्वेताम्बर श्रीसंघ एवं रतलाम श्रीसंघ द्वारा धर्मनिष्ठ, सुसंस्कारित व जनसेवा को समर्पित सादगीपूर्ण जीवन की पर्याय श्रीमती काश्यप को श्राविका रत्न का अलंकरण प्रदान किया जाएगा। इससे पूर्व युवा संगीतकार सिद्धार्थ काश्यप संगीतमय मातृ-वन्दना की प्रस्तुति देंगे। अमृत महोत्सव के अवसर पर सकल जैन श्रीसंघ एवं आमंर्तितजनों का स्वामी-वात्सल्य (सहभोज) आयोजित होगा ।