December 25, 2024

मतदान शुरु होने में अब कुछ ही घंटे शेष,चुनावी आकलन भी अंतिम दौर में, कांग्रेस को फायदे की बजाय नुकसान कर गई प्रियंका की सभा

priyanka

रतलाम,17 मई(इ खबर टुडे)। लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान शुरु होने में अब कुछ ही घंटे शेष बचे है। अंतिम दौर में पार्टियां जहां मतदाताओं को घर घर जाकर मनाने के काम में जुट रही है,वहीं चुनावी आकलन भी अंतिम दौर में पंहुच गया है। चार दिन पहले हुई कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा की सभा के असर को लेकर भी चर्चाएं जोर पकड रही है। माना जा रहा है कि प्रियंका की सभा कांग्रेस को फायदा पंहुचाने की बजाय नुकसान दे गई। नुकसान की भरपाई के लिए कांग्रेस ने गुरुवार शाम को फिर एक सभा का आयोजन किया,लेकिन वह भी फायदेमंद साबित नहीं हो पाई।
रतलाम झाबुआ संसदीय सीट में वैसे तो आठ विधानसभा क्षेत्र आते है,लेकिन दोनो ही पार्टियों ने इस बार ज्यादा ध्यान रतलाम जिले की तीन सीटों पर केन्द्रित किया था। भाजपा के लिए रतलाम शहर और ग्रामीण लीड दिलाने वाले क्षेत्र रहे है इसलिए भाजपा यहां ज्यादा से ज्यादा मेहनत करके अधिक से अधिक लीड लेने की कोशिश कर रही है। इसी रणनीति के चलते भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा रतलाम में करवाई गई थी।
दूसरी तरफ कांग्रेस की रणनीति भी रतलाम जिले की भाजपा की लीड को कम से कम रखने की रही। इसी कारण से कांग्रेस ने स्टार प्रचारक प्रियंका वाड्रा की सभा रतलाम में आयोजित करवाई थी। यह भी कांग्रेस की रणनीति का ही हिस्सा था कि जिस दिन मोदी जी की सभा हुई उसी दिन प्रियंका की सभा आयोजित की गई थी।
कांग्रेस को पूरी उममीद थी कि प्रियंका की सभा से रतलाम के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा और इससे भाजपा की लीड कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन सभा होने के चार दिन गुजरते गुजरते यह महसूस किया जाने लगा है कि प्रियंका की सभा से फायदे की बजाय नुकसान ही ज्यादा हुआ है।
कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक प्रियंका की सभा में हुई जबर्दस्त अव्यवस्थाओं के चलते कार्यकर्ताओं में उत्साह की बजाय नाराजगी ने घर कर लिया। कांग्रेस के भीतरखाने की सूचनाओं के मुताबिक सभा की व्यवस्था का जिम्मा रतलाम में पारस सकलेचा को सौंपा गया था,जिन्हे बड़े आयोजन करवाने का कोई अनुभव नहीं है। । कांग्रेस के अनुभवी नेताओं को इससे दूर ही रखा गया था। इस वजह से कई गडबडियां हुई। इसके अलावा प्रबन्धन की जिम्मेदारी झाबुआ से आए नेताओं के हाथ में थी,जो रतलाम के नेता कार्यकर्ताओं को ठीक से पहचानते भी नहीं।
गडबडियों का आलम यह था कि जिले में सर्वाधिक जनाधार वाले सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत जैसे नेता की ही जमकर उपेक्षा की गई। प्रियंका वाड्रा को एसपीजी का सुरक्षा कवर मिला हुआ है। एसपीजी की सुरक्षा के मानदंड बेहद कडे है। हैलीपेड पर प्रियंका की आगवानी के लिए कुल पन्द्रह नेताओं की सूचि बनाई गई थी। इस सूचि में सैलाना विधायक का नाम नहीं था। सैलाना विधायक गेहलोत जब हैलीपेड पर प्रियंका का स्वागत करने पंहुचे,तो एसपीजी के अधिकारियों ने उन्हे सख्ती से रोक दिया और भीतर नहीं जाने दिया। जबकि पन्द्रह लोगों की सूचि में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे,जो जनाधार विहीन है।
इस घटना से सैलाना विधायक हर्षविजय बुरी तरह नाराज हो गए और पूरे कार्यक्रम का एक तरह से बहिष्कार करते हुए मंच पर जाने की बजाय सामान्य श्रोताओं के बीच बैठे रहे। मजेदार बात यह है कि सभा के लिए सर्वाधिक भीड जुटाने वाले भी गेहलोत ही थे। गेहलोत की नाराजगी का एक कारण यह भी था कि सांसद भूरिया ने एक ऐसे नेता को ज्यादा तरजीह दी,जिसे गेहलोत बिलकुल भी पसंद नहीं करते है।
सैलाना विधायक की नाराजगी,सैलाना क्षेत्र में सांसद भूरिया के लिए बडी परेशानी का सबब बन सकती है। सैलाना विधायक विधानसभा चुनाव में करीब पच्चीस हजार मतों से जीते थे। यदि सैलाना में कांग्रेस की लीड कम होती है,तो यह भूरिया के लिए बहुत बडे नुकसान की तरह होगी।
यही नहीं,रतलाम के कई वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को भी अव्यवस्थाओं के चलते भारी अपमान झेलना पडा। वीआईपी पास का ठीक ढंग से वितरण नहीं होने के कारण कई बडे नेताओं को वीआईपी गेट से प्रवेश नहीं मिला।
कांग्रेसी सूत्रों का कहना है कि सभा आयोजन की व्यवस्था के लिए हरएक विभानसभा में वाहनों के लिए राशि वितरित की गई थी,लेकिन यह वितरण भी ठीक से नहीं हुआ। यह भी एक वजह थी,जिसके चलते अपेक्षित भीड नहीं जुट पाई थी। सभा में स्थानीय लोगों की मौजूदगी नगण्य रही।
इस नुकसान की भरपाई के लिए कांग्रेस ने गुरुवार रात को धानमंडी पर पारस सकलेचा की सभा का आयोजन किया था। इस सभा के दौरान सकलेचा ने भोपाल की भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा को डायन की संज्ञा दे डाली और उनका यह संबोधन देशभर में चर्चित हो गया। इस वजह से कांग्रेस को बैकफुट पर आना पडा। इस सभा में भी लोगों की उपस्थिति अपेक्षा से बेहद कम रही। कुल मिलाकर यह सभा भी नुकसान की भरपाई करने की बजाय नुकसान को बढाने वाली ही साबित हुई।

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