बढे हुए मतदान प्रतिशत से भाजपा उत्साहित
रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में रतलाम जिले से मिल सकती है 1 लाख की बढत
रतलाम,25 अप्रैल(इ खबरटुडे)। लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार को हुए मतदान के तगडे मत प्रतिशत को देखकर भाजपा भारी उत्साहित है। दूसरी ओर कांग्रेस की नींद उडी हुई है। रतलाम झाबुआ संसदीय क्षेत्र में आने वाली तीन विधानसभा सीटों के मतदान प्रतिशत और तीन माह पूर्व विधानसभा चुनाव के ट्रेन्ड को देखते हुए इन तीन सीटों से ही एक लाख की बढत के अनुमान लगाए जा रहे है।
निर्वाचन के अंतिम आंकडों के मुताबिक रतलाम शहर में 65.02 प्रतिशत,रतलाम ग्रामीण में 74.83 तथा सैलाना में 74.58 प्रतिशत मतदान रेकार्ड किया गया है। मतदान का यह प्रतिशत लोकसभा चुनाव 2009 की तुलना में काफी ज्यादा है। आमतौर पर विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत अधिक रहता है जबकि इसकी तुलना में लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत काफी कम होता रहा है। लोकसभा चुनाव में विधानसभा चुनाव के मुताबले दस प्रतिशत या उससे भी ज्यादा की गिरावट आती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इस लोकसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत विधानसभा चुनाव के मुकाबले थोडा ही कम है। यानी कि मतदान में होने वाली दस प्रतिशत या इससे ज्यादा होने वाली गिरावट को प्रभावी ढंग से थाम लिया गया है। यही वजह है कि अब भाजपा इस सीट पर जीत हासिल करने के दावे करने की स्थिति में आ गई है।
विधानसभा चुनाव 2013 के आंकडों पर नजर डाली जाए तो रतलाम शहर में लगभग 69 प्रतिशत मतदान हुआ था और भाजपा ने 40 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 1 लाख 92 हजार 55 थी,इनमें से 1 लाख 30 हजार 568 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इन मतों में से 59 प्रतिशत यानी 76184 मत भाजपा को हासिल हुए थे,जबकि कांग्रेस को महज 27 प्रतिशत यानी 35789 मत मिले थे। निर्दलीय पारस सकलेचा को मात्र 11 प्रतिशत यानी 14969 मत मिले थे।
अब वर्तमान लोकसभा चुनाव पर नजर डाले। इस चुनाव में रतलाम शहर के मतदाताओं की संख्या बढकर 2 लाख 12 हजार 55 हो चुकी थी। निर्वाचन के आंकडों के मुताबिक 65 प्रतिशत मतदान हुआ है। इस तरह लगभग 1 लाख तीस हजार मतदाताओं ने मतदान किया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को 59 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। जबकि कांग्रेस को 27 प्रतिशत। लोकसभा चुनाव के मतदान में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की मतदान के प्रति उदासीनता भी नजर आई। विधानसभा चुनाव में जहां अल्पसंख्यक समुदाय ने जमकर वोटिंग की थी,वहीं इस बार अल्पसंख्यकों का मत प्रतिशत काफी कम रहा है। विधानसभा चुनाव की तुलना में 9 हजार दो सौ मतदाता नए जुडे है। यदि भाजपा को विधानसभा चुनाव की ही तरह 57 प्रतिशत मत प्राप्त होते है तो भाजपा को लगभग 74 हजार एक सौ मत प्राप्त होंगे। जबकि कांग्रेस को लगभग 35 हजार मत मिलेंगे। इस बार मैदान में किसी अन्य उल्लेखनीय उम्मीदवार की हाजरी नहीं है,जबकि विधानसभा चुनाव में पारस सकलेचा निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मौजूद थे और उन्होने 11 प्रतिशत मत हासिल किए थे। शिवराज की लहर के बाद नरेन्द्र मोदी की सुनामी के असर को देखा जाए तो ये ग्यारह प्रतिशत मत भी भाजपा की झोली में जाएंगे। इस तरह भाजपा को लगभग 14 हजार मत और मिल जाएंगे। इस तरह देखा जाए तो भाजपा को रतलाम शहर में कुल करीब 90 हजार वोट मिलेंगे,जबकि कांग्रेस को 35 हजार। इस तरह भाजपा को करीब 55 हजार मतों की बढत यहां मिल सकती है। रतलाम ग्रामीण सीट पर भाजपा के रणनीतिकारों को पैंतीस से चालीस हजार मतों की बढत मिलने की उम्मीद है।
रतलाम ग्रामीण सीट पर विधानसभा चुनाव की तुलना में करीब पांच हजार नए मतदाता जुडे है। इसके अलावा मतदान के दौरान नजर आए संकेतों के मुताबिक भाजपा के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जबर्दस्त मतदान हुआ है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर करीब सत्ताईस हजार वोटों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में पांच हजार नए मतदाताओंकी मौजूदगी और कांग्रेस की पहले से भी कमजोर स्थिति के चलते सत्ताइस हजार की लीड बढकर पैंतीस हजार या इससे अधिक होना कोई बडी बात नहीं होंगी। इस तरह रतलाम शहर और ग्रामीण सीट को मिलाकर भाजपा को करीब नब्बे हजार मतों की बढत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। सैलाना विधानसभा सीट पर भी विधानसभा चुनाव की तुलना में पांच हजार नए मतदाता जुडे है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां करीब ढाई हजार की बढत बनाई थी। नए मतदाताओं की वोटिंग और मोदी लहर के जादू के चलते सैलाना में भाजपा दस हजार की बढत हासिल करने का अनुमान लगा रही है। कुल मिलाकर जिले की तीन विधानसभा सीटों से भाजपा लगभग एक लाख की लीड हासिल कर सकती है। यदि ये अनुमान सही साबित होते है,तो झाबुआ और अलीराजपुर में अच्छी लीड हासिल न कर पाने या कांग्रेस से पिछड जाने के बावजूद भाजपा की जीत तय नजर आती है। हांलाकि मतदान के दौरान मिले संकेत यह दर्शाते है कि झाबुआ और अलीराजपुर जिलों की पांच विधानसभा सीटों पर भी भाजपा कांग्रेस से बढत हासिल करेगी। ऐसी स्थिति में कांग्रेस छोडने के बाद तीन बार चुनाव हार चुके दिलीपसिंह भूरिया अपने संभवत: अंतिम चुनाव में जीत हासिल कर ही लेंगे।
बहरहाल,भाजपा को मिल रही इस साफ जीत का सीधा सीधा श्रेय आरएसएस को जाता है। आरएसएस द्वारा महीनों पहले से बनाई गई योजना और उसके क्रियान्वयन का नतीजा था कि मतदान प्रतिशत में उल्लेखनीय वृध्दि हुई। संघ ने पूरे लोकसभा क्षेत्र में बूथ स्तर तक टोलियां तैयार की थी और संघ के समयदानी कार्यकर्ता तीन महीनों से गांव गांव में सक्रीय थे। इसी का नतीजा था कि भारी गर्मी के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में जबर्दस्त मतदान हुआ,जिसका सीधा सीधा फायदा भाजपा को मिल रहा है। ये तथ्य भी उल्लेखनीय है कि संघ की सक्रीयता के चलते भाजपा के नेता लगभग निष्क्रिय नजर आए और उन्होने चुनाव के नाम पर काम का सिर्फ दिखावा ही किया।