फोरलेन पर गड्ढों की भरमार,दुर्घटनाएं बढीं,बेशर्मी से टोल की वसूली भी जारी
रतलाम,4 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। बारिश का मौसम समाप्त हुए को लम्बा अरसा गुजर चुका है,लेकिन लेबड नयागांव फोरलेन पर कब्जा जमाकर बैठे गड्ढें अब भी मौजूद है। फोरलेन से गुजरने वालें वाहनों को हर बार मोटी राशि टोल के रुप में देना पड रही है। फोरलेन कंपनिया फोरलेन की स्थिति ठीक करने में बिलकुल भी रुचि नहीं ले रही है। गड्ढों भरे फोरलेन पर टोल की वसूली पूरी बेशर्मी से जारी है। दूसरी ओर फोरलेन पर बडे बडे गड्ढों के कारण वाहन दुर्घटनाओं में भी भारी इजाफा हो गया है।
नयागांव से लेबड तक का फोरलेन दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला हिस्सा है,नयागांव से जावरा फोरलेन तथा दूसरा है,जावरा से लेबड फोरलेन। फोरलेन के दोनो हिस्सों में तीन-तीन टोल वसूली के बूथ है। इस मार्ग पर प्रतिदिन हजारों की तादाद में वाहन गुजरते है और प्रत्येक टोल बूथ पर चौबीस घण्टों में एक-एक करोड रुपए से अधिक राशि टोल के रुप में वसूल की जाती है। सड़कों के निजीकरण के कारण आम व्यक्ति को सड़क पर वाहन चलाने के लिए टोल टैक्स के रुप में हजारों रुपए चुकाने पड रहे हैं। लेकिन सड़कों की स्थिति सुधरने से आम आदमी यह बोझ सहने को तैयार है। सड़कों की हालत ठीक होने से वाहनों के रखरखाव के खर्च में काफी कमी आई थी,वहीं आवागमन में लगने वाले समय की भी बचत होने लगी थी। लेकिन ये सब शुरुआती दौर की बातें है। अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है।
नयागांव से लेबड तक के फोरलेन पर सामान्य चार पहिया वाहनों (एलएमवी) से पैंतीस रुपए टोल वसूली जा रहा है। जावरा से नयागांव तक पंहुचने में वाहन स्वामी को 105 रुपए टोल के रुप में चुकाने होते है। ठीक इसी तरह जावरा से लेबड तक जाने के लिए भी एक सौ पांच रुपए टोल लगता है। यदि कोई वाहन स्वामी नयागांव से लेबड तक का सफर करता है,तो उसे कुल दो सौ दस रुपए चुकाने होते है। भारी वाहनों के टोल की दरें तो इससे चार गुना तक है। प्रत्येक टोल बूथ पर प्रतिदिन का कलैक्शन एक करोड रुपए से अधिक का होता है।
निजी कंपनियों को दी गई इन सड़कों के लिए शासन ने कंपनियों को पच्चीस वर्षों तक टोल वसूली के अधिकार दिए है। हांलाकि टोल वसूली के अधिकार के साथ साथ इन कंपनियों पर सड़कों को पच्चीस वर्षों तक सुव्यवस्थित रखने की जिम्मेदारी भी दी गई है। नियमों के मुताबिक सड़क उखडने या गड्ढे होने की दशा में सड़क की मरम्मत तुरंत की जाना चाहिए।
टोल वसूली कंपनियां टोल वसूली में तो पूरी तरह मुस्तैद है,लेकिन सड़कों की मरम्मत के मामले में ये कंपनियां पूरी तरह उदासीन हो चुकी है। सड़कों की दशा खराब होती जा रही है। बारिश के मौसम में बने गड्ढे दिन ब दिन गहरे होते जा रहे है। लेकिन कंपनियों द्वारा इनकी मरम्मत कराने की पहल अब तक नहीं की गई है।
टोल कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी म.प्र.सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) की है। लेकिन एमपीआरडीसी के अधिकारी भी अक्सर आंखे मूंदे रहते है। एमपीआरडीसी के अधिकारी स्वयं दर्जनों बार इन सड़कों से गुजरते है और उनके ड्राइवर भी गड्ढे बचाने के चक्कर में खतरे मोल लेते रहते हैं,लेकिन इसके बावजूद ये अधिकारी गण टोल कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही करने की कोई जरुरत नहीं समझते। नतीजा यह है कि फोरलेन पर टोल वसूलने वाली कंपनियां पूरी तरह निरंकुश हो गई है और सड़क से गुजरने वाले वाहन चालक खराब सड़क का खामियाजा कई बार अपनी जान देकर चुकाने को मजबूर है।
टोल कंपनियों के अधिकारियों की निरंकुशता भी इतनी बढ चुकी है,कि वे किसी भी जवाबदेही को मानने को राजी नहीं है। जावरा नयागांव टोल रोड कंपनी के मेन्टनेन्स इंजीनियर राजेन्द्र महाजन से जब इ खबर टुडे ने सड़क के मेन्टनेन्स के बारे में जानकारी लेना चाही,तो वे भडक गए। उनका कहना था कि कंपनी का मेन्टनेन्स कार्य निरन्तर जारी रहता है। जब उनसे पूछा गया कि मेन्टनेन्स कार्य होने के बावजूद सड़कों पर गड्ढों की भरमार क्यों है? इस सवाल पर वे भडक गए। वे अपना नाम तक बताने को राजी नहीं हुए। जावरा लेबड रोड की वेस्टर्न एमपी इन्फ्रा स्ट्रक्चर प्रा.लि. के प्रबन्धक प्रदीप गोयल का कहना था कि यदि सड़क पर गड्ढे है,तो उन्हे तुरंन्त ठीक करवाया जाएगा। श्री गोयल के मुताबिक वर्षाकाल में सड़क पर कुछ गड्ढे हो जाते है। सड़क की मरम्मत का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है और जल्दी ही सड़क ठीक कर दी जाएगी। दूसरी ओर सड़क विकास निगम के प्रबन्धक राकेश जैन ने इ खबरटुडे से चर्चा में कहा कि टोल कंपनियों को सड़क की स्थिति सुधारने के लिए पत्र लिखे गए है और विभाग इस मामले में पूरी तरह सतर्क है। कंपनियों पर जल्दी सड़क ठीक कराने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उनके उच्चाधिकारियों को भी पत्र लिखे गए है।