फसल खराब होने से एक माह में मालवा-निमाड़ में 20 किसान आत्महत्या कर चुके हैं
इंदौर 02 नवम्बर(इ खबरटुडे)। बीते एक माह में मालवा-निमाड़ में 20 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इंदौर और उज्जैन संभाग के 15 जिलों में खरीफ के सीजन में सर्वाधिक कृषि भूमि में सोयाबीन की फसल बोई जाती है।निमाड़ में कपास व मिर्च की फसल भी बड़े पैमाने पर होती है। ये दूसरा साल है जब सोयाबीन, कपास और मिर्च की फसल खराब हुई है। इंदौर जिले में गत वर्ष सोयाबीन का औसत उत्पादन 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था जो इस साल छह क्विंटल प्रति हेक्टेयर रह गया।
एकड़ के अनुसार यह उत्पादन केवल 2.40 क्विंटल है तो एक बीघा पर सिर्फ डेढ़ क्विंटल। इंदौर संभाग के आठ जिलों में खरीफ सीजन में 21 लाख 82 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि पर फसलें बोई गई थीं। प्रारंभिक आकलन के मुताबिक, खंडवा जिले के 236 गांव और बुरहानपुर के 68 गांव तो ऐसे हैं जहां 25 प्रतिशत फसल भी नहीं आई।
शादी-सगाई जैसे मांगलिक कार्य की जगह कुछ गांवों में मातम
इंदौर जिले के 250 गांवों में सोयाबीन की पैदावार आधी से भी कम हुई। यहां सर्वाधिक नुकसान महू तहसील के 113 गांवों में हुआ। इंदौर के आसपास के 76 गांव भी बुरी तरह प्रभावित हुए। किसानों के लिए ये साल काटना मुश्किल साबित होगा। सोयाबीन और कपास की उपज से उनके त्योहार और शादी-सगाई जैसे मांगलिक कार्य होते थे, लेकिन उत्सव की जगह कुछ गांवों में मातम पसरा है।
किस जिले में क्या स्थिति
बीते एक-डेढ़ माह में खरगोन जिले में 5, उज्जैन, खंडवा और देवास जिलों में 4-4 किसान आत्महत्या को गले लगा चुके हैं। बड़वानी, रतलाम और शाजापुर जिलों में भी एक-एक किसान ने आत्महत्या कर ली। इस तरह इंदौर और उज्जैन संभाग में फसल खराब होने और कर्ज के कारण इस साल अब तक 20 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। किसान और कृषि की हालत पर राज्य सरकार ने भोपाल में शनिवार को मंथन किया। बताया जाता है कि 3 नवंबर को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एक बार फिर इस मुद्दे पर आला अधिकारियों और कृषि विशेषज्ञों की बैठक लेने वाले हैं।