प्रेस फोटोग्राफर का कैमरा छीना डीआरएम ने
अण्डरब्रिज के निरीक्षण के दौरान हुई घटना,निरीक्षण के फोटो ले रहा था फोटोग्राफर
रतलाम,10 नवंबर(इ खबरटुडे)। देश में लोकतंत्र होने और सूचना के अधिकार जैसे कानून लागू होने के बावजूद कुछ सरकारी अधिकारी अब भी तानाशाही भरा रवैया अपनाते है। मीडीयाकर्मियों को उनका काम करने से रोका जाता है। ऐसा ही एक वाकया शहर के एक प्रेस फोटोग्राफर से साथ हुआ,जब रेलवे के अधिकारियों ने दादागिरी से उसका कैमरा छीन लिया। प्रेस फोटोग्राफर की गलती सिर्फ यह थी कि उसने अण्डरब्रिज का निरीक्षण करते रेलवे अधिकारियों का फोटो ले लिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मण्डल रेल प्रबन्धक सुश्री ललिता वेंकटरमन अनेक रेल अधिकारियों के साथ रविवार दोपहर जावरा फाटक स्थित अण्डरब्रिज के निर्माण कार्य का निरीक्षण करने पंहुची थी। प्रेस फोटोग्राफर धरम वर्मा को जब इस बात की सूचना मिली तो वे भी निरीक्षण के फोटो लेने वहां पंहुच गए। धरम वर्मा ने निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रही डीआरएम सुश्री वेंकटरमन तथा अन्य अधिकारियों के कुछ फोटो लिए। लेकिन तभी डीआरएम व अन्य अधिकारियों ने धरम वर्मा को न सिर्फ फोटो लेने से रोका बल्कि कैमरे से फोटो डीलीट करने को कहा। जब धरम ने फोटो डीलीट करने से इंकार किया तो वहां मौजूद आरपीएफ व अन्य अधिकारियों ने जबर्दस्ती धरम के हाथ से कैमरा छीन लिया और फोटो डीलीट कर दिए। धरम ने इस अत्याचार का विरोध भी किया लेकिन तानाशाही के आदी अधिकारियों ने उसकी एक न सुनी। आखिरकार धरम वर्मा मजबूर होकर वहां से चले आए।
मीडीया की स्वतंत्रता पर हुए इस हमले की मीडीया जगत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। एमपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने रेलवे अधिकारियों के इस दुव्र्यवहार की कडी निन्दा की है। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने कहा है कि किसी निर्माण कार्य का अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किए जाने में ऐसी क्या गोपनीयता थी,कि जिसके चलते फोटोग्राफर का कैमरा छीन लिया गया। रेलवे के अधिकारी ऐसा कौन सा अवैध कार्य कर रहे थे,जिसके फोटो खींचे जाना उन्हे बर्दाश्त नहीं हुए। निरीक्षण को जनता या अखबार के पाठकों से छुपाए जाने की क्या जरुरत थी? वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने इस घटना के विरोध में कडे कदम उठाने की चेतावनी दी है।