जाधव की फांसी पर ICJ की रोक, कहा- जासूस होने का PAK का दावा सही नहीं माना जा सकता
नई दिल्ली,18 मई (इ खबर टुडे )।भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सजा सुनाए जाने के खिलाफ याचिका पर भारत को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में बड़ी जीत मिली है. हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाए जाने तक जाधव की फांसी पर रोक लगाए रखने का आदेश दिया है.
पाकिस्तान के दावे की निकली हवा?
ICJ के जज जस्टिस रोनी अब्राहम ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसे जासूस बताने वाला पाकिस्तान का दावा नहीं माना जा सकता. पाकिस्तान ने अदालत में जो भी दलीलें दीं, वे भारत के तर्क के आगे कहीं नहीं ठहरतीं. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वियना संधि के तहत भारत को कुलभूषण जाधव तक कॉन्सुलर एक्सेस मिलना चाहिए. अब्राहम ने कहा कि जाधव की गिरफ्तारी विवादित मुद्दा है. अगस्त 2017 में अंतिम फैसला आने तक जाधव की फांसी पर रोक लगी रहनी चाहिए. कोर्ट ने इसके साथ ही पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव की जान पर खतरे को लेकर भारत की चिंता पर गौर करते हुए पाकिस्तान से कहा कि वह जाधव के खिलाफ आगे कोई कार्रवाई ना करे और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.
इससे पहले ICJ में सोमवार को भारत और पाकिस्तान ने अपना-अपना पक्ष रखा था. भारत ने सबूतों के आधार पर कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए जाधव पर पाकिस्तान के सभी आरोपों को झूठ बताया था जबकि पाकिस्तान ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में सुनवाई पर सवाल खड़े किए थे.
सजा रद्द करने की भारत ने की थी मांग
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाधव की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने केस की पैरवी की थी. भारत ने अपनी दलील रखते हुए मांग की थी कि जाधव की मौत की सजा को तत्काल निलंबित किया जाए. भारत ने आशंका जताई थी कि पाकिस्तान आईसीजे में सुनवाई पूरी होने से पहले जाधव को फांसी दे सकता है.
भारत ने दिए तर्क
-जाधव की गिरफ्तारी की बात पाकिस्तान ने क्यों छुपाई
-20 दिन बाद जाधव की गिरफ्तारी की खबर दी गई
-काउंसलर एक्सेस की भार भारत की मांग 16 बार ठुकराई गई
-सुनवाई के दौरान जाधव को लीगल सहायता लेने का मौका तक नहीं दिया गया
-पाकिस्तान की सैन्य अदालत में जाधव का पक्ष रखा ही नहीं गया
-पाकिस्तानी आर्मी की प्रेस रिलीज से जाधव मामले में फांसी की सजा का पता चला
-पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है
पाकिस्तान का जवाब
-जाधव पर भारत की अर्जी गैरजरूरी और गलत तरीके से व्याख्या वाली है तथा इसे अवश्य खारिज किया जाना चाहिए.
-पाकिस्तान विदेश कार्यालय के मोहम्मद फैसल ने भारत की दलील के जवाब में अपनी शुरूआती टिप्पणी में कहा कि नयी दिल्ली ने इसे अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के लिए एक उपयुक्त मामले के तौर पर देखा लेकिन हम नरमी से जवाब नहीं देंगे.
-कमांडर जाधव के पास दया याचिका की प्रक्रिया का अधिकार उपलब्ध है.
-इस सिलसिले में 150 दिन मुहैया किया जाता है जो यदि 10 अप्रैल 2017 को भी शुरू होता तो यह अगस्त 2017 से आगे चला जाता. अप्रैल की इसी तारीख को जाधव की दोषसिद्धि हुई थी.
-वियना समझौते की शर्तें राष्ट्रीय खतरे और जासूसी के आरोपों में पकड़े गए लोगों पर लागू नहीं होते.