November 16, 2024

कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे 20 किसानों के दर्दनाक मौत,700 अस्पताल में भर्ती ,25 ने खोई रोशनी

मुंबई,08 अक्टूबर(ई खबर टुडे)। महाराष्‍ट्र के यवतमाल में कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे 20 किसानों के दर्दनाक मौत की खबर है। करीब 700 अस्पताल में भर्ती हैं और 25 रोशनी खो चुके हैं। ये किसान अपनी कपास की फसल को कीड़े से बचाने के लिए कीटनाशकों का छिड़काव कर रहे थे।

स्थानीय किसान नेता देवानंद पवार के मुताबिक, किसानों को कोई राहत नहीं मिल रही है। हम इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे। वसंतराव नायक शेती स्‍वाबलंबन मिशन (वीएनएसएसएम) के प्रमुख किशोर तिवारी ने घटना सामने आने के बाद कहा है कि ऐसा लग रहा है कि किसानों ने दवा का छिड़काव करते समय जरूरी सावधानियां नहीं बरतीं। इस समय धूप भी काफी तेज है और ऐसे मौसम में इस दवा का छिड़काव करने से बचना चाहिए था। किसानों को सावधानी बरतनी चाहिए और छिड़काव के समय उन्हें चेहरे को ढंक कर रखना चाहिए।

लग सकती है जहरीली दवा पर पाबंदी –
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसकी भी जांच की जा रही है कि प्रोफक्स सुपर नामक जिस दवा का छिड़काव किया जा रहा था, क्या वह जरूरत से ज्यादा जहरीला है। यदि ऐसा पाया जाता है तो इस पर पाबंदी भी लगाने की कार्रवाई की जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों को यह बताया गया था कि इस कीटनाशक से फसल में लगे कीड़े खत्‍म हो जाएंगे और उनकी फसल लहलहा उठेगी। इसी लालच में किसानों ने इस कीटनाशक का इस्‍तेमाल किया था, लेकिन जैसे-जैसे किसान इसका इस्‍तेमाल करते गए वैसे-वैसे ही उनकी दुनिया भी उजड़ती चली गई और किसानों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया है। आलम यह है कि अब यह आंकड़ा बढ़कर 20 हो गया है। पिछले कुछ दिनों में कीटनाशक रसायन के छिड़काव के कारण हुई 24 में से 20 किसानों की मौत अकेले यवतमाल जिले में ही हुई हैं।

प्रोफेनोफोस और साइपरमेथ्रिन का मिश्रण है ‘प्रोफक्‍स सुपर’ –
वीएनएसएसएम के प्रमुख किशोर तिवारी का कहना है कि इन दिनों में कपास की फसल बड़ी हो जाती है और ऐसे में उसको कीड़े लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए किसान इस तरह के कीटनाशकों का जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं, लेकिन इसके छिड़काव के दौरान वह एहतियात पर ध्‍यान नहीं देते हैं।

उनका यह भी कहना है‍ कि ‘प्रोफक्‍स सुपर’ दरअसल प्रोफेनोफोस और साइपरमेथ्रिन का मिश्रण है। यह आमतौर पर इतना हानिकारक नहीं होता है। हालांकि उन्‍होंने यह जरूर माना कि यदि इसके छिड़काव के दौरान शरीर ढका न हो तो त्‍वचा से जुड़ी परेशानी त्‍वचा का जलना और सिरदर्द हो जाता है।

जानकारी का अभाव –
बीटी कॉटन उगाने वालों के लिए जिस कीटनाशक के उपयोग का प्रचार किया गया उस वक्‍त किसानों को यह बताया ही नहीं गया कि इसको इस्‍तेमाल करते समय किन चीजों का ध्‍यान रखना जरूरी है। यह भी नहीं बताया गया कि यदि इसको छिड़कने से पहले एहतियात नहीं बरती गई तो इसका अंजाम मौत होगी।

हकीकत यह है कि किसानों के लिए खतरनाक हो चुके इस कीटनाशक को छिडकने से पहले शरीर का पूरी तरह से ढंका होना जरूरी है। यदि नाक पर भी कपड़ा नहीं लगाया होगा तो यह सांस के सहारे शरीर के अंदर चला जाता है और इंसान की जान ले लेता है। इतना ही नहीं सावधानी के तौर पर इसको छिड़कने से पहले एप्रन पहनना भी बेहद जरूरी होता है, लेकिन इस बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं दी गई। इतना ही नहीं यदि छिड़काव के दौरान शरीर में कहीं भी कटा-फटा है तो फिर उसको कोई नहीं बचा सकता है।

अस्‍पताल में 800 किसानों का इलाज –
य‍ही वजह थी कि जिन किसानों ने अपने खेतों में बेहतर फसल के लिए इस कीटनाशक का छिड़काव किया वह आज इस दुनिया में नहीं हैं। इसके अलावा करीब 800 मरीजों का अस्‍पताल में इलाज चल रहा है। अनपढ़ और गरीब किसान इन मौतों के पीछे की वजह अब तक समझ पाने में नाकाम हो रहे हैं। आलम यह है कि जिन्‍हें इसकी जानकारी हो भी गई है तो भी वह पैसे के अभाव में इलाज नहीं करवा पा रहे हैं।

किसानों के लिए यह दोहरी मार जैसा साबित हो रहा है। कभी सूखा तो कभी बाढ़ यहां के लोगों के लिए किसी न किसी रूप में मौत आती रही है। पिछले कुछ समय में किसानों की आत्‍महत्‍या की घटनाओं में भी यहां पर इजाफा हुआ है। इन सभी के बावजूद अभी तक महाराष्‍ट्र सरकार पूरी तरह से नहीं चेती है।

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