November 18, 2024

VHP की धर्मसभा: भैय्याजी बोले- हमलावरों के निशान मिटें, कोर्ट भावनाओं का करे सम्मान

नई दिल्ली,09दिसम्बर(इ खबरटुडे)। संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने के ठीक दो दिन पहले राम मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (VHP) रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में धर्मसभा कर रही है. मंच पर वीएचपी के बड़े पदाधिकारियों के साथ कई संत मौजूद हैं. धर्मसभा को साध्वी ऋतंभरा, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, जगतगुरु हंसदेवाचार्य महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज, आरएसएस के सुरेश (भैय्याजी) जोशी, आलोक कुमार और बीएस कोकजे संबोधित कर रहे हैं.

VHP की धर्मसभा में बोले भैय्याजी- हम शांति से चाहते हैं मंदिर निर्माण

दिल्ली में वीएचपी की धर्मसभा में RSS के सरकार्यवाहक भैय्याजी जोशी ने कहा, ‘हम चाहते हैं, जो भी हो शांति से हो. संघर्ष करना होता तो इंतजार नहीं करते. इसलिए सभी लोग इसमें सकारात्मक पहल करें. हमारा किसी के साथ संघर्ष नहीं, राम राज्य में ही शांति आती है.’

दिल्ली में वीएचपी की धर्मसभा में RSS के सरकार्यवाहक भैय्या जी जोशी ने कहा, ‘न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहनी चाहिए. जिस देश में न्यायालय में विश्वास घटता है, उसका उत्थान होना असंभव है. इसलिए न्यायालय को भावनाओं का सम्मान करना चाहिए. देश पर हमला करने वालों के निशान मिटने चाहिए.’

जोशी ने कहा, ‘भगवान राम का मंदिर भविष्य में रामराज्य का आधार बनेगा. अयोध्या में भगवान राम के दर्शन करने वाले आज दुखी होते हैं. भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन करना चाहते हैं. सब चाहते हैं राम भव्य मंदिर में रहें. 1992 में काम अधूरा रह गया. ढांचा गिरा पर मंदिर नहीं बना. संविधान का रास्ता बाकी है.हमारी यही अकांक्षा है कि कानून बनाते हुए राम मंदिर की सभी बाधाएं दूर हों. न्यायालय से भी यही अपेक्षा है कि वह जन्मभूमि का सम्मान करेगा.’

उन्होंने कहा, ‘रामराज्य में न्याय, सुरक्षा और विकास है. भारत में सभी सम्प्रदाय के लोग यही चाहते हैं कि रामराज्य हो. महात्मा गांधी ने भी कहा था कि हम रामराज्य का सपना साकार करें. यहां के कोर्ट का सम्मान भी होना चाहिए. अदालत की प्रतिष्ठा भी बनी रहनी चाहिए. सत्तारूढ़ पार्टी को चाहिए कि वो लोगों के भावनाओं को समझे.’ RSS के सरकार्यवाहक ने कहा, ‘भैयाजी जोशी ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों का भी यही संकल्प है कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा. अब संकल्प पूरा करने का वक्त आ गया है. लोकतंत्र में संसद की भी जिम्मेदारी है.

VHP के उपाध्यक्ष चंपतराय क्या बोले?

-धर्मसभा को संबोधित करते हुए VHP के उपाध्यक्ष चंपतराय ने कहा, ‘अगर इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम हटाए जा सकते हैं, विक्टोरिया गायब हो सकती है, इरविन हॉस्पिटल, विलिंगटन हॉस्पिटल, औरंगजेब रोड के नाम बदले जा सकते हैं, सोमनाथ पुनर्निमाण का संकल्प भारत की राजसत्ता 1950 में कर सकती है, तो आज की राजसत्ता भी संकल्प करे. हिंदुस्तान की तरुणाई इस राजसत्ता को बल प्रदान करने के लिए यहां आई है. आगे बढ़ो, कानून बनाओ, अयोध्या हिंदुओं का तीर्थ है, मोक्ष नगरी है, ये हिंदुओं का ही तीर्थ रहेगा, किसी आक्रमणकारी का कोई प्रतीक नहीं चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘देश की संस्थाओं को गुलामी अस्वीकार करनी ही होगी. हमें कानून से मंदिर चाहिए. सरकार और न्यायपालिका का धर्म है कि वो जिस देश में रहते हैं, उसके सम्मान की रक्षा करें. उसके गौरव में वृद्धि करे, जिन आक्रमणकारियों ने देश पर हमले किए, उनकी निशानियां हटाओ. उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भगवान राम के जन्मस्थान के 3 टुकड़े कर दिए. हमें तीन टुकड़े नहीं, पूरा स्थान चाहिए. हम एक इंच जमीन नहीं देंगे. हमें ऐसा कानून चाहिए, जिसमें भगवान राम की जन्मभूमि व लीला भूमि हिंदूओं को प्राप्त हो. हमें बंटवारा स्वीकार नहीं है.’

चंपतराय ने कहा, ‘मंदिर वही नेतृत्व बनाएगा. उन्हीं संतों की टोली के नेतृत्व में बनेगा, जिन्होंने भगवान राम की जन्मभूमि की लड़ाई को हिंदुस्तान के 6 लाख गांवों तक पहुंचाया है. जो पिछले 32 वर्षों से रात-दिन परिश्रम करते आ रहे हैं. हमें कोई दूसरा नेतृत्व स्वीकार नहीं है. मंदिर का मॉडल देश के करोड़ों घरों में है. उसी फोटो का, उसी मॉडल का, उसी स्थान पर और उन्हीं पत्थरों से बनेगा, जो अयोध्या की कार्यशाला में तैयार हो रहे हैं.’

VHP के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘जन्मभूमि अपरिवर्तनीय है. हम और आप सभी मिलकर अपनी जन्मभूमि नहीं बदल सकते हैं. जिस गांव और झोपड़ी में हम पैदा हुए, वही हमारी जन्मभूमि है. हम भले शहर आकर अट्टालिकाओं में रहने लगे, जन्मभूमि हमारी वही रहेगी.’

भगवान राम की जन्मभूमि वही है, जहां आज भगवान राम विराजमान है. जितने हिस्से का मुकदमा चल रहा है, वह सारा का सारा राम की जन्मभूमि है. भारत सरकार ने लिखित में सर्वोच्च न्यायालय को वचन दिया है कि यदि यह सिद्ध हुआ कि यहां कोई मंदिर था, तो हम हिंदुओं की भावनाओं के अनुसार कदम उठाएंगे. अब समय आ गया है. हिंदू चाहता है कि भगवान राम का मंदिर वापस बने.’

उन्होंने कहा कि साल 1528 में हिंदुस्तान के सम्मान को जो चोट पहुंची थी. अब वो हमें स्वीकार नहीं है. हम अपने कलंक को धोना चाहते हैं. लोगों को बहुत भ्रांतियां हैं कि ये सिर्फ टाइटल की लड़ाई है. कोई टाइटल की लड़ाई नहीं है. लड़ाई केवल एक बात की है कि जहां हिंदू कहता है, वहां कभी मंदिर था या नहीं था? अगर था तो यह स्थान भगवान राम का और हिंदुओं का है. ये स्थान हिंदुओं का हो चुका है, अब कोई ये विचार न करे कि कोई कानून बनाकर भगवान राम को हटा सकता है.

शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने का दबाव

वीएचपी के महासचिव सुरेंद्र जैन का दावा है कि इस धर्मसभा से उन लोगों का हृदय परिवर्तन होगा, जो मानते हैं कि संसद के शीतकालीन सत्र में राम मंदिर पर विधेयक लाना संभव नहीं है. बता दें कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आजतक के खास कार्यक्रम सीधी बात में कहा था कि अयोध्या पर कोई भी निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही होगा.

सुरेंद्र जैन का कहना है कि अगर किसी वजह से शीतकालीन सत्र में राम मंदिर को लेकर विधेयक नहीं आता है, तो प्रयाग में होने वाले महाकुंभ में होने वाली आगामी धर्म संसद में भविष्य की रणनीति तय होगी. बता दें कि महाकुंभ में 31 जनवरी से एक फरवरी तक दो दिवसीय धर्म संसद होनी हैं, जिसमें राम मंदिर समेत कई अन्य मुद्दों पर धर्मादेश जारी होगा.

निर्मोही और निर्वाणी अखाड़ा ने किया किनारा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हो रही धर्मसभा से निर्मोही अखाड़ा और निर्वाणी अखाड़ा ने किनारा किया है. 25 नवंबर को अयोध्या में हुई धर्मसभा में भी निर्मोही अखाड़ा शामिल नहीं हुआ था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर राम जन्मभूमि को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसमें एक हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया गया है.

वहीं निर्वाणी अखाड़ा परिषद भी इस धर्मसभा में शामिल नहीं हो रही है. निर्वाणी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत धर्मदास ने कुछ दिन पहले राम मंदिर को लेकर आत्मदाह की चेतावनी दी थी, जिसे लेकर अयोध्या प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया था.

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