रतलाम : अज्ञात आरोपी ने बिना ओटीपी के देश के अलग अलग क्षेत्रों से एक बैंक खाते से निकाले हजारो रूपये
रतलाम 13 अप्रैल (इ खबरटुडे)। रतलाम जिले में लगे लॉकडाउन से पहले ही आम जनता की स्थिति दयनीय हो चुकी है। वही ऐसे विकट समय में घर बैठे लोगो के साथ हो रही ऑनलाइन ठंगी से लोगो को दोहरी मार पड रही है। शहर में ऐसी ऑनलाइन ठंगी का मामला सामने आया जहां आरोपी ने बिना ओटीपी के पीड़ित युवक के खाते हजारो रूपये पर हाथ साफ कर दिया।
जानकारी के अनुसार गौशाला रोड निवासी पीयूष मोयल उम्र 23 वर्ष ने बताया कि बीते दो दिनों से उसके मोबाईल में मौजूद फोनपे का एप्प काम नहीं कर रहा था। जिसकी वजह से ऑनलाइन लेनदेन करने में काफी समस्या आ रही थी। अपनी समस्या को लेकर पीयूष जब लक्क्ड़ पीटा क्षेत्र में स्थित यूनियन बैंक गया तो बैंक कर्मी ने बताया कि बैंक की ओर से कोई समस्या नहीं है। आप अपने फोन पे के ग्राहक सेवा अधिकारी से बात करे।
पीयूष ने घर आकर गूगल से फोन-पे के कस्टमर केयर के नम्बर को खोजा तो उसे वहा एक हेल्प लाइन नम्बर मिला जिस पर कॉल किया तो फोन पर मौजूद व्यक्ति ने उसे कहा हम आपकी समस्या को हल कर देंगे। उसके लिए आप अपने मोबाईल पर एनी डेस्क एप्प डाउनलोड करे। पीयूष ने फोन पर बताए एप्प को अपने मोबाईल में डाउनलोड किया तो उसे एक ओटीपी आया। अपने मोबाईल पर आये ओटीपी को देख कर पीयूष अपने साथ हो रहीं ठंगी का एहसास हो गया। उसने फोन पर मौजूद अज्ञात युवक को ओटीपी देने से ना भी कर दिया। लेकिन इस दौरान पीयूष के खाते तीन बार में 42 हजार 238 रूपये निकाले जा चुके थे।
उक्त मामले जब पियूष बैंक पहुंचा तो पासबुक एंट्री के दौरान पता चला की तीन अलग अलग क्षेत्रों उसके खाते से रूपये निकाले गए। उक्त राशि एक बार में गुड़गांव से दूसरी बार मुंबई तथा तीसरी बार नोएडा से निकाले जाने की पुष्टि हुई है। पीड़ित ने उक्त मामले की सूचना रतलाम साईबर सेल में दी है। तो वहा मौजूद अधिकारियो ने पीड़ित को अगले दिन आकर आवेदन देने को कहा। जिसके बाद आवेदक निराश होकर लौट गया।
कैसे काम करता है एनीडेस्क ऐप
सोशल मीडिया से अक्सर एनीडेस्क ऐप को डाउनलोड करने का सुझाव मिलता. जब कोई ग्राहक एनीडेस्क ऐप को डाउनलोड करता है उसे उसके पास एक 9 डिजिट का कोड आता है. इस कोड को ऐप में फीड करने बाद फ्रॉड करने वाले ग्राहक से उस कोड को ले लेते हैं. इसके बाद ऐप पर आपसे परमिशन मांगी जाएगी. जैसे ही ग्राहक परमिशन देता है तो ग्राहक के फोन का कंट्रोल हैकर्स के पास चला जाता है और हैकर्स ग्राहक के फोन में मौजूद सभी जानकारियों का इस्तेमाल कर ग्राहक के बैंक खाते को खाली कर देते हैं.