गांधी सागर में चीता लाने का रास्ता साफ , 3 गांव के ग्रामीणों से वन विभाग का समझौता
-वन विभाग ने ग्रामीण हित में 300 हेक्टेयर जमीन छोडी,वन समितियों की मध्यस्थता में समझौता, अत्याधुनिक फेंसिंग का कार्य 50 फीसदी
उज्जैन,12 अगस्त(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)।संभाग के गांधीसागर वन्य जीव अभ्यारण्य में चीता लाने का रास्ता साफ हो गया है।अवरोध बने तीन गांव के ग्रामीणों के साथ वन विभाग ने समन्वय कर ग्राम वन समितियों की मध्यस्थता में समझौता किया है।
इसके लिए 300 हेक्टेयर निस्तार की जमीन को छोड़ कर वन विभाग पीछे हट गया है और वन्य जीवों के लिए अत्याधुनिक तार फेंसिंग के काम को अंजाम देना शुरू हो गया है।इसके तहत 50 फीसदी तार फेंसिंग के काम का दावा भी किया गया है।
मध्यप्रदेश के कुनो वन्य जीव पार्क में नामिबियाई चीतों को बसाया गया है। वहां की आबोहवा में चीतों का जीवन ज्यादा प्रगति नहीं कर पा रहा है।अब तक 9चीता की मौत वहां हो चुकी है। इसी के चलते मध्यप्रदेश में ही चीता के दुसरे आवास के रूप में गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण्य का चयन किया गया है। करीब 368 वर्ग किलो मीटर में फैले गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण्य में चीता लाने के लिए उपयुक्त स्थिति को देखते हुए यहां अत्याधुनिक तार फेंसिंग का काम करीब 20 करोड़ की लागत से किया जा रहा है।
इस काम की शुरूआत होते ही रामपुरा क्षेत्र के रावलीकुड़ा एवं पास के अन्य दो गांव के ग्रामीणों ने इसका विरोध कर दिया था।इस विरोध के चलते वन विभाग के कर्मियों एवं ग्रामीणों के बीच तनातनी की स्थिति निर्मित हो गई थी।
इसे लेकर जनप्रतिनिधियों का हस्तक्षेप् भी सामने आया था।इसे लेकर वन विभाग एवं मंदसौर प्रशासन ने विचार विमर्श के उपरांत तीन गांव के ग्रामीण एवं उनके मवेशियों के लिए 300 हेक्टेयर निस्तार की जमीन को चराई एवं अन्य काम के लिए छोड़ दिया है।समझौता के लिए ग्राम वन समितियों में प्रस्ताव लाकर उन पर ग्रामीणों की उपस्थिति में ठहराव किया गया है।
अत्याधुनिक फेंसिंग का निर्माण 27 किलोमीटर क्षेत्र में –
गांधीसागर वन्य जीव अभ्यारण्य की भौगोलिक स्थिति के अनुसार वहां 368 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसमें तीन तरफ जंगल है एवं एक तरफ गांधीसागर बांध का बेक वाटर है।वन्य जीवों के लिए यहां निर्मित की जा रही 27 किलोमीटर की अत्याधुनिक फेंस की उंचाई 3मीटर लगभग 10 फीट है।इसमें 2.4 मीटर फिजिकल फेंसिंग है और उससे उपर .6 करीब आधा मीटर से अधिक फेंसिंग सोलर पावर्ड इलेक्ट्रिक फेंसिंग बनाई जा रही है। इसमें 24 घंटे करंट सप्लाय होगा।इसकी करंट सप्लाय सौर उर्जा से चलेगी।इससे चीता ही नहीं अन्य वन्य जीव भी अभ्यारण्य के बाहर नहीं निकल सकेगा।
3 गांव, 5 हजार ग्रामीण, 20 हजार मवेशी –
निस्तार की 300 हेक्टेयर जमीन छोडे जाने पर अभ्यारण्य से सटे गांव रावलकुडी एवं अन्य दो गांवों के करीब 5 हजार ग्रामीण लाभांवित होंगे।उनके करीब 20 हजार मवेशियों की चराई के लिए यह जमीन काम आएगी।इस जमीन के बाद ही अभ्यारण्य की जमीन शुरू होती है।निस्तार की जमीन के पास से ही तार फेंसिंग लग जाने से अभ्यारण्य में मवेशियों का आवागमन भी रूक जाएगा एवं वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर खतरे को भी टाला जा सकेगा।
-वन समितियों के साथ समझौता हुआ है।ग्रामीणों की सहमति होने पर फेंसिंग का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो चुका है।27 किलोमीटर लंबाई में सोलर पावर्ड इलेक्ट्रिक फेंसिंग कर 65 किलोमीटर एरिया को कवर्ड किया जा रहा है।हमने 50 फीसदी काम पुरा कर लिया है-राजेश मंडावलिया,अधीक्षक गांधीसागर वन्य जीव अभ्यारण्य,मंदसौर