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जींद से शुरू होगा देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन का ट्रॉयल

जींद जिले का नाम अब देश के नक्शे पर एक खास कारण से चमकने जा रहा है। जींद में रेलवे ने पहला हाइड्रोजन प्लांट लगाया है। देश की पहली हाइट्रोजन ट्रेन भी जींद से सोनीपत के बीच में ट्रॉयल के लिए चलेगी। यह ट्रॉयल सफल रहा तो देश में 35 ट्रेन हाइट्रोजन से चलने लगेंगी। इसके बाद इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।


रेलमंत्रालय ने हाइट्रोजन फॉर हेरिटेज परियोजना का शुभारंभ किया है। इसके तहत 2800 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके तहत 35 ट्रेन हाइड्रोजन से चलेंगी। पहली रेल जींद-सोनीपत मार्ग पर ट्रॉयल के लिए चलेगी।


हरित परिवहन की दिशा में बड़ा कदम
ट्रेनों को हाइड्रोजन गैस से चलाने के पीछे पर्यावरण प्रदूषण को रोकना है। यह पहली ट्रेन हरित परिवहन की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। इस ट्रेन के कोच चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में बनाए गए हैं। यह ट्रेन अपने ट्रॉयल के दौरान 89 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।


हाइड्रोजन से कैसे चलेगी ट्रेन
यह ट्रेन एक ऐसी रेलगाड़ी है, जो हाइड्रोजन इंधन से चलेगी। यह रेल सेल तकनीक पर आधारित है। यह ट्रेन पारंपरिक डीजल ट्रेनों की अपेक्षा पर्यावरण अनुकूल है। इसमें हाइड्रोजन को ईंधन के रुप में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है। यह हाइड्रोजन ऑक्सीजन के साथ मिलकर बिजली पैदा करती है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन एक फ्यूल सेल में रासायनिक क्रिया करते हैं, जिससे बिजली उत्पन्न होती और बिजली से मोटर चलती है। यह प्रक्रिया एचटूओ पर आधारित है। इस प्रक्रिया से कार्बन का उत्सर्जन नहीं होता। इसी कारण यह हरित यातायात के लिए एक बड़ा कदम साबित होगी। इन ट्रेनों को डीजल ट्रेनों के मुकाबले अ​धिक ऊर्जा कुशल माना जाता है।


ट्रेन की खास बात
हाइड्रोजन ईंधन के रुप में प्रयोग होने से इसमें कार्बन डाइऑक्सइड या अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है। इसमें पानी का प्रयोग किया जाता है। ऐसे में इस ट्रेन की सबसे खास बात यही है कि यह हरित क्रांति का एक बड़ा कदम है।


110 किलोमीटर की रफ्तार
यह हाइड्रोजन ट्रेन 1200 हॉर्सपावर की श​क्ति के साथ चलती है। इस ट्रेन की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है। एक बार में यह ट्रेन 2638 यात्रियों को ले जा सकती है। इतनी अ​धिक संख्या में यात्रियों को ले जाने में सक्षम यह ट्रेन परिवहन की दिशा में एक उपयुक्त कदम होगा। इस ट्रेन के साथ आठ कोच जोड़े जाएंगे। लंबी दूरी के रुट पर यह ट्रेन प्रभावी ढंग से चल सकती है। इस ट्रेन को खासकर हेरिटेज और पहाड़ी मार्गों पर सुगमता से चलाया जा सकता है।

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