जम्मू-कश्मीर में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने का पड़ेगा असर

जम्मू-कश्मीर में पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों में वृद्धि का असर यहां के यात्रियों पर पड़ेगा। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के कारण सार्वजनिक परिवहन सेवा के साथ-साथ निजी वाहन भी किराए में बढ़ौतरी कर सकते हैं। इससे 30 से 40 प्रतिशत तक किराए में वृद्धि होना स्वाभाविक है। ऐसे में लोगों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ सकती है।
नया वित्तवर्ष शुरू होते ही इसका असर दिखाई देने लग गया है। जम्मू-कश्मीर में नए वित्तवर्ष से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि हो गई है।
नए वित्त वर्ष की शुरुआत में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने के साथ ही अब किराए में बढ़ोतरी की चर्चांए शुरू हो गई है। निजी परिवहन सेवा के साथ-साथ सार्वजनिक परिवहन भी किराया महंगा करने की तैयारी कर रही है। जम्मू कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन ने किराए में वृद्धि के लिए 30 से 40 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव रखा है। एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव परिवहन विभाग को भेजा है। अगर प्रस्ताव पर विचार होता है तो इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा।
2021 में हुई थी 20 प्रतिशत की वृद्धि
2021 में जब कोरोना महामारी का समय था, उस समय भी यात्री किराए में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। उस समय भी पेट्रोल व डीजल के दामों में वृद्धि हुई थी। अब फिर से पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि हुई है। इसलिए किराए में वृद्धि करना परिवहन विभाग की मजबूरी है। यदि किराए में वृद्धि नहीं की गई तो परिवहन विभाग को भारी घाटा होगा।
हर रोज लाखों लोग करते हैं यात्रा
जम्मू में करीब साढ़े तीन हजार मेटाडोर चल रही हैं। इनमें यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं। इसके अलावा 300 से अधिक बस चल रही हैं। वहीं 40 हजार मेटाडोर और 15 हजार से अधिक निजी बसें अलग-अलग रुटों पर चल रही हैं। इनमें प्रतिदिन लाखों लोग यात्रा करते हैं। इसके अलावा सरकारी बेड़े में भी 800 के आसपास बस शामिल हैं। अभी सरकार ने अपनी इलेक्ट्रीक बसों को भी उतार दिया है। इनके किराए में एक अप्रैल से सात प्रतिशत वृद्धि कर दी गई है। इसी कारण निजी वाहन चालकों ने भी किराए में वृद्धि की मांग कर दी है। इसलिए किराया बढ़ना लगभग तय माना जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय सिंह ने कहा कि सरकार के पास यात्रा किराया बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। सभी निजी वाहन चालकों की यह मांग है। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के कारण ऐसा प्रस्ताव भेजना पड़ा। यदि सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो फिर आंदोलन करने के सिवाय उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा।