December 24, 2024

Leopards Transfer : अवैज्ञानिक तरीके से रतलाम के तेन्दुओं को अन्यत्र स्थानान्तरित कर रहा है वन विभाग,वन्य प्राणियों के साथ हो रही है निष्ठुरता;अधिकारी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं

leopard-in-cage

रतलाम,14 अप्रैल (इ खबरटुडे). एक ओर तो देश की केन्द्रीय और राज्य सरकारें पर्यावरणीय सन्तुलन को संरक्षित रखने के लिए देश में तेंदुएं और शेरों की संख्या बढाने के लिए प्रयासरत है,साथ ही नामीबिया और अन्य देशों से चीतें लाकर भारत में बसाए जा रहे हैैं,वहीं दूसरी ओर रतलाम जैसे जिले में जहां तेंदुएं प्राकृतिक रुप से बढ रहे हैैं उन्हे अवैज्ञानिक तरीके से रतलाम से अन्यत्र स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

यह बात पर्यावरणविद और बर्ड्स वाचिंग ग्रुप के संस्थापक राजेश घोटीकर ने इ खबरटुडे से चर्चा करते हुए कही। श्री घोटीकर ने बताया रतलाम जिले के सैलाना बाजना के आदिवासी अंचलों में विगत दो दशकों से तेंदुएं की उपस्थिति रही है। सैलाना के केदारेश्वर घाट इत्यादि अनेक स्थानों पर तेंदुए देखे जाते रहे है। हल के दिनों में तेंदुओं की संख्या बढने के संकेत भी मिले है।

श्री घोटीकर ने बताया कि रतलाम जिले में मनुष्य और वन्य प्राणियों के मध्य अघोषित युद्ध दिखाई देने लगा है। वन्य प्राणियों का ग्रामीण क्षेत्रों के करीब दिखाई देना प्रमाण है कि सतही जल की अव्यवस्था उत्पन्न हुई है। नील गाय, जंगली सुअर के बाद शिकारी तेंदुए भी ग्रामीण इलाकों के समीप भ्रमण कर रहे हैं। किसी हिंसक जीव का ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ आगे बढ़ना भय निर्मित करता है, बावजूद इसके कि अभी तक किसी भी प्रकार की मानवीय क्षति नहीं हुई है।

श्री घोटीकर ने कहा कि अब तक किसी तेंदुए द्वारा किसी मानव पर हमला करने की बात सामने नहीं आई है। इसके बावजूद कुछ समय पहले तीन तेंदुए पकड़ कर अन्यत्र स्थानांतरित किए गए हैं। वन विभाग द्वारा की जा रही ये कार्यवाही पूरी तरह से अवैज्ञानिक है। श्री घोटीकर ने कहा कि रतलाम जिले के वन मंडलाधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी तथा रेंज के अधिकारी किसी भी प्रकार से किए जा रहे इस काम के प्रति जवाबदेह नजर नहीं आ रहे हैं। जब भी इन अधिकारियो से संपर्क का प्रयास किया जाता है तो उनके मोबाइल या तो उनके अधीनस्थ कर्मचारी उठाते है या फिर उनके परिजन। फोन उठाने वाले कोई संतुष्टिजनक उत्तर नहीं दे पाते। पिछले 2 वर्षों में कोई भी जवाबदार अधिकारी किसी भी प्रकार से अपने कार्यों के प्रति असंवेदनशील ही नजर आया है।

श्री घोटीकर ने कहा कि वर्तमान में जिस प्रकार तेंदुओं के प्रति निष्ठुरता बरती जा रही है वह पूरी तरह से अमानवीय है। ग्रामीण इलाकों के समीप भ्रमण करते तेंदुओं के लिए पालतू पशु आसान शिकार होते हैं और यदि वे ऐसा शिकार करते भी हैं तो यह उनके आहार का मामला है। किसी ग्रामीण के शिकार हुए पशु के बदले उसके आर्थिक नुकसान की भरपाई के प्रावधान किए गए हैं। ऐसे में तेंदुओं को पकड़कर स्थानांतरित किया जाना प्रकृति के प्रति अन्याय होगा।
बर्ड्स वॉचिंग ग्रुप बेवजह की जा रही स्थानांतरण की कार्यवाही को अप्राकृतिक एवं अमानवीय समझता है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds