सृजन भारत संयोजक अनिल झालानी ने डेढ़ वर्ष पहले ही दे दी थी,जोशीमठ में जमीन धंसकने की चेतावनी
रतलाम,09 जनवरी (इ खबरटुडे)। उत्तराखण्ड के जोशीमठ में जमीन धसकने और सड़कों मकानों में दरारें पडने और चोडी होती जाने की खबरें आज पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है। कहा जा रहा है कि इस क्षेत्र में बनाई जा रही टनल और सड़क जैसे अन्य निर्माण कार्यों के लिए की गई अंधाधुंध खुदाई की वजह से जोशीमठ का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। सृजन भारत संयोजक अनिल झालानी ने इस दुर्घटना को डेढ़ वर्ष पूर्व ही भांप लिया था और प्रधानमंत्री समेत अनेक केन्द्रीय मंत्रियों को इस सम्बन्ध में पत्र भी लिखा था।
सृजन भारत के संयोजक अनिल झालानी ने अपने स्वान्तः सुखाय अभियान की आठवीं कड़ी में बताया कि जब उत्तराखण्ड के चार धामों को आल वेदर फोरलेन रोड से जोडने और इस हिमालयीन क्षेत्र में रेल लाइन डालने की योजना प्रारंभ हुई थी उसी समय उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व सम्बन्धित विभागों के मंत्रियों को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि इस प्रकार के निर्माण कार्यों से हिमालयीन व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।
अपने पत्र में श्री झालानी ने लिखा था कि हिमालय के पर्वत कच्ची मिट्टी के और तीव्र ढलान वाले है। इन पर्वतों को थोडा सा भी काटने पर वर्षाकाल में भूस्खलन जैसी समस्याएं सामने आने लगती है। हिमालयीन क्षेत्र में फोरलेन रोड और रेलवे लाइन के लिए पहाडों को काटे जाने से इन क्षेत्रों में भूस्खलन,पेडों का गिरना,मिट्टी का बहकर रोड पर आना जैसी अनेक समस्याएं लगातार आती रहेगी। सड़कों के घुमावदार होने के कारण यात्रियों को चक्कर आने की समस्या भी होती है।
समस्याओं के हल भी बताए
श्री झालानी ने अपने पत्र में केन्द्र सरकार को जहां फोरलेन और रेल लाइन प्रोजेक्ट के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं की चेतावनी दी थी,वहीं इनके समाधान के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए थे। श्री झालानी ने अपने पत्र में कहा था कि पर्वतीय क्षेत्र में एक ही सतह पर फोरलेन बनाने की बजाय टूलेन की दो अलग अलग लेन समानान्तर,एक दूसरे से काफी दूर या उपर नीचे अलग अलग स्तर पर बनाई जा सकती है। ऐसा करने से पहाडों को अधिक काटना नहीं पडेगा और पहाडों का सन्तुलन भी बना रहेगा।
इसी प्रकार पर्वतीय क्षेत्र में मेट्रो की तर्ज पर छोटी मिनी मोनो रेल सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए। यह मिनी मोनो रेल जहां यात्री वाहनों की आवश्यकता और उसकी मांग की पूर्ति करने में सक्षम होगी वहीं इसके विस्तार से पर्यटन उद्योग को भी नया आधार मिलेगा। खूवसूरत पर्वतीय वादियों में मिनी मोनो रेल से धीमे धीमे गुजरने से पर्यटकों को अद्भुत आनन्द प्राप्त होगा। इस प्रकार के रेल रुट बनाने से पहाडों का कटाव भी कम होगा और यात्रा भी संक्षिप्त व कम जोखिम वाली होगी। पहाडियों का कटाव कम होने से दुर्घटनाओं की आशंका भी न्यूनतम रहेगी।
श्री झालानी ने प्रधानमंत्री सहित अन्य मंत्रियों को उपयोगी सुझाव देते हुए इस दिशा में नए शोध व प्रयोग कर सडक व रेल मार्ग बनाने का सुझाव दिया था।
इन मंत्रियों को दिए थे सुझाव
श्री झालानी ने उपयोगी सुझावों वाला यह पत्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ साथ केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल, राजमार्ग व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी,तत्कालीन वन व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर और पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल को प्रेषित किया था।
जवाव मिला,लेकिन नहीं दिया ध्यान
श्री झालानी द्वारा 29 जून 2021 को प्रेषित इस पत्र का जवाब तो उन्हे मिला,लेकिन केन्द्र सरकार ने इस चेतावनी पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। अन्यथा आज जोशीमठ में जो हो रहा है,वह नहीं हुआ होता। सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के वरिष्ठ तकनीकी सहायक कुलदीप सिंह ने श्री झालानी के पत्र को मूलत:सभी सम्बन्धित अधिकारियों को प्रेषित किया और उन्हे इस सम्बन्ध में कार्यवाही करने को कहा था। 10अगस्त 2021 को प्रेषित यह पत्र राष्ट्रीय राजमार्ग के मुख्य अभियन्ता,सीमा सड़क संगठन के शिवालिक प्रोजेक्ट के मुख्य अभियन्ता,एनएचआईडीसीएल के कार्यपालन निदेशक और ऋषिकेश कर्णप्रयाग नई रेल लाइन परियोजना के मुख्य परियोजना प्रबन्धक को भेजा गया था। इसकी प्रति श्री झालानी को भी भेजी गई है।