रतलाम

Water Scarcity : रतलाम जिला जल अभावग्रस्त घोषित,नलकूप खनन और जल स्त्रोतों से सिंचाई प्रतिबन्धित,कलेक्टर ने जारी किए आदेश

Water Scarcity रतलाम,24 मार्च (इ खबरटुडे)। जिले की सभी तहसीलों में जलस्त्रोतों का अत्यधिक दोहन किए जाने से भू जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है और आगामी गर्मियों के मौसम को देखते हुए पेयजल की उपलब्धता बनाए रखना जरुरी है। पेयजल के भण्डार में कमी की आशंका के चलते कलेक्टर ने पूरे जिले को जल अभावग्रस्त घोषित कर दिया है। इसके साथ ही जिले में नलकूप खनन और सार्वजनिक स्त्रोतों से की जाने वाली सिंचाई पर प्रतिबन्ध के आदेश भी जारी कर दिए गए हैैं।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी राजेश बाथम ने आज जारी अपने आदेश में कहा है कि जिले के विभिन्न विकासखण्डों में वर्तमान में गिरते भू-जल स्तर से ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित पेयजल स्त्रोत यथा हैण्डपंप, नलकूप आदि जल स्तर की कमी से बंद हो रहे है तथा भू-जल स्तर में निरंतर गिरावट परिलक्षित हो रही है। साथ ही जल जीवन मिशन के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्रदाय हेतु कियान्वित नलजल योजनाए भू-जल पर आधारित है।

जिले में ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल व्यवस्था पूर्ण रूप से भू-जल पर निर्भर होने से आगामी ग्रीष्म ऋतु में पर्याप्त मात्रा में पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने हेतु वर्तमान में उपलब्ध पेयजल स्त्रोतों को निरंतर क्रियाशील रखने हेतु वर्तमान में उपलब्ध भू-जल भण्डारण को सुरक्षित रखा जाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

उल्लेखनीय है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा जिले के अतिदोहित (OVER EXPLOITED) विकासखण्ड (1) आलोट (2) जावरा (3) पिपलौदा (4) रतलाम के साथ ही विकासखण्ड (5) सैलाना (6) बाजना को जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किये जाने का प्रस्ताव प्रेषित किया है।

उक्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए लोकहित में यह अत्यावश्यक हो गया है कि वर्तमान में उपलब्ध जल का ऐसा उपयोग हो जिससे नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों के दैनंदिनी/घरेलू उपयोग हेतु जल उपलब्ध हो सके। इसके अतिरिक्त पशुधन के लिये आवश्यक जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रबंध की ओर विशेष ध्यान दिया जाना भी आवश्यक हो गया है।

जिला दण्डाधिकारी राजेश बाथम ने जिले में जल की उपलब्धता की स्थिति को देखते हुए म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986, संशोधन 2002 एवं संशोधन 2022 की धारा-3 के अंतर्गत रतलाम जिले के अतिदोहित (OVER EXPLOITED) विकासखण्ड (1) आलोट (2) जावरा (3) पिपलौदा (4) रतलाम में पूर्व से लागू आदेश को यथावत रखते हुऐ आगामी आदेश तक तथा विकासखण्ड (5) सैलाना (6) बाजना को दिनांक 15 जुलाई अथवा पर्याप्त वर्षा होने तक पेयजल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित कर दिया है । इस घोषणा के फलस्वरूप इस अधिनियम के समस्त उपबंध जिले के सभी विकासखण्डों में लागू होगें।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी राजेश बाथम ने अपने आदेश में कहा है कि जिले के अतिदोहित (OVER EXPLOITED) विकासखण्ड (1) आलोट (2) जावरा (3) पिपलौदा (4) रतलाम तथा विकासखण्ड (5) सैलाना (6) बाजना में जल स्त्रोत जैसे नदी, बांध, नहर, जलधारा, झरना, झील, सोता (स्प्रिंग), जलाशय, बंधान (एनिकट), या कुओं से सिंचाई, औद्योगिक उपयोग एवं अन्य प्रयोजन के लिए किन्हीं भी साधनों द्वारा जल लेना प्रतिबन्धित किया जाता हैं।

इसके साथ ही संशोधित अधिनियम 2002 की धारा-4 (क) और (ख) के प्रावधान अनुसार जल अभावग्रस्त क्षेत्र में ऐसे जल स्त्रोत जो पेयजल उपलब्धता बनाए रखने हेतु अधिग्रहित किये जाना आवश्यक है, का अधिग्रहण किया जा सकेगा।

आदेश में कहा गया है कि अधिनियम की धारा-6.1 के प्रावधान अनुसार जल अभावग्रस्त क्षेत्र में प्राधिकृत अधिकारी की अनुमति के बिना किसी भी प्रयोजन के लिए नलकूप/बोरवेल का खनन नहीं किया जा सकेगा।

आदेश में कहा गया है कि जिले के अतिदोहित (OVER EXPLOITED) विकासखण्ड रतलाम, जावरा, आलोट, पिपलौदा एवं विकासखण्ड सैलाना, बाजना में पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986, सशोधन 2002 एवं संशोधन 2022 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाना सुनिश्चित किया जावें।

इस आदेश का उल्लंघन करते पाये जाने अथवा किये जाने पर मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-9 के प्रावधान आकृष्ट होंगे, जिसके अंतर्गत आदेश का उल्लंघन सिद्ध पाये जाने पर अधिनियम अंतर्गत्त कारावास या अर्थदण्ड या दोनों से दंडित किये जाने का प्रावधान है। आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील कर दिया गया है।

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