राम मंदिर के निधि संग्रह में भारी उत्साह,मर्यादा पुरुषोत्तम के चरणों में पुरुषोत्तम का समर्पण…
रतलाम,20 जनवरी (इ खबरटुडे)। पेशे से अधिवक्ता नाम श्री पुरुषोत्तम जी अग्रावत रतलाम के धान मंडी क्षेत्र में निवास करते हैं दयानंद बस्ती की टोली घर घर जाकर समर्पण निधि का संग्रह कर रही थी। अग्रावत जी का घर भी आया, पुरुषोत्तम अग्रावत ने अभियान समिति को अगले दिन अपने निवास पर आमंत्रित किया। अगले दिन अन्य स्थानों पर संग्रहण करती टोली को उनके निवास पर जाने में थोड़ा विलंब हुआ लेकिन अग्रावत जी अत्यंत व्याकुल होकर बार-बार फोन करके रामसेवकों को अपने घर बुला रहे थे।
टोली को घर पर आया देख अग्रावत जी के मन के भाव उनके चेहरे से साफ झलक रहे थे ऐसा लग रहा था मानो वर्षों से संजोया कोई सपना आज सच होने जा रहा है श्री पुरुषोत्तम जी ने बताया कि बचपन से ही उन्हें भगवान श्री राम के प्रति अटूट श्रद्धा रही है वह अपने घर पर श्री बालाजी का पूजा पाठ करते हैं होश संभालने के बाद जब उन्हें पता चला कि अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि का विवाद कोर्ट में चल रहा है तभी से उनके मन में यही विचार चलता रहा की कोर्ट का फैसला कब श्री राम जन्मभूमि के पक्ष में आएगा कब वहां पर भगवान राम का भव्य मंदिर बनेगा।
इसके बाद सन् 1992 में कारसेवक भाइयों द्वारा अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस कर कि गई अद्वितीय कारसेवा से उन्हें गौरव अनुभव हुआ।
ऐसा लगा मानो भारत का खोया हुआ गौरव पुनः लौट आया और वर्षों से हिंदू समाज पर लगा कलंक हट गया।
सन 2019 में जब पुरुषोत्तम जी अयोध्या गए वहां अपने आराध्य प्रभु श्री राम लला का दर्शन किया। अपने इष्ट को तंबू में देख गहरा आघात लगा मन में विचार आया कि हम तो अपने पक्के मकान में बैठे हैं और मेरे प्रभु वर्षों से तंबू में विराजमान है! तभी से उन्होंने संकल्प लिया कि जब भी श्री राम जन्मभूमि का निर्णय आएगा वहां पर भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनेगा मेरी शक्ति के अनुसार में भी मंदिर निर्माण के लिए अपने प्रभु को कुछ अर्पण करूंगा आज अहोभाग्य है और सौभाग्य है कि आप मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि लेने पधारे। यह कहते हुए अधिवक्ता पुरुषोत्तम अग्रावत ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण हेतु ₹21101/- की राशि राम सेवकों के सामने रख दी और कहा कि बहुत प्रसन्नता है कि आप संपूर्ण समाज से घर घर जाकर समर्पण निधि का संग्रह कर रहे हैं मुझसे जो बन चुका वह मेरे प्रभु को अर्पण कर रहा हूं। जल्द से जल्द जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बने और मैं फिर भव्य मंदिर में विराजमान प्रभू के दर्शन करने जाऊं मेरी यही कामना है।