November 22, 2024

Raag Ratlami / सियासत का वैलेन्टाइन डे:सैकडों दावेदार कर रहेे है प्रपोज,किसे मिलेगा सत्ता सुन्दरी का साथ..?

-तुषार कोठारी

रतलाम,14 फरवरी। ये दिन जवां दिलों की धडकनों को तेज करने वाला दिन है। पिछले सात दिनों से शहर के जवान लडके लडकियां,रोज डे,प्रपोज डे जैसे चक्करों में उलझे पडे है। जो नए लडके अपनी माशूका को सैट करने के लिए काफी दिनों से आज के दिन का इंतजार करते रहे होंगे,उनमें से कुछ ही को सफलता हासिल हो पाएगी,जबकि कई सारे ऐसे भी होंगे जिन्हे वैलेन्टाइन डे के दिन ही बेइज्जती का भी सामना करना पड जाएगा। प्रपोज करने के बाद माशूका के जवाब के इंतजार में किसी नए जवान लडके की धडकने जिस तरह तेज हो जाती है,ठीक वही हालत इन दिनों नेताओं की हो रही है। माशूका का जवाब हां में होगा या इंकार सुनने को मिलेगा,ये सोच सोच कर आशिक बैचेन रहता है। उसके दिल की धडकनें बढी हुई रहती है। बेईज्जती का डर भी सताता रहता है। ठीक यही स्थिति नेताओं में देखी जा सकती है। शहर सरकार के चुनाव में टिकट की दावेदारी करने वाले तमाम नेता अभी इसी दौर से गुजर रहे है। टिकट मिलेगा या नहीं? ना मिला तो क्या होगा? अगर मिल गया तो क्या क्या तैयारी करना पडेगी? टिकट भी मिल गया,चुनाव भी लड लिए,तो जीत मिलेगी या नहीं। कहीं हार की शर्मिंदगी ना झेलना पड जाए।
शहर में कुल 49 वार्ड है और एक पद प्रथम नागरिक का है। इस तरह शहर के कुल पचास सत्ता के आशिकों को सत्ता सुन्दरी का साथ मिल पाएगा। सियासत की इन पचास सुन्दरियों पर दावा करने वालों की तादाद सैकंडों में है। दोनो ही पार्टियों में एक-एक सत्ता सुन्दरी के कई कई दावेदार है। इनमें से भी सबसे बडी और ज्यादा खुबसूरत सत्ता सुन्दरी पिछडे वर्ग के लिए आरक्षित है। दोनो पार्टियों के नेता इसी मगजपच्ची में जुटने लगे है कि प्रथम सत्ता सुन्दरी के लिए किसे चुना जाए। फूल छाप में अब तक करीब एक दर्जन दावेदार अपने दावे जता चुके हैैं। इनमें हर तरह के लोग शामिल है। इनमें वे भी है,जो कभी ना कभी सत्ता सुन्दरी का साथ हासिल कर चुके है। ऐसे दावेदारों का मानना है कि जब वे पहले सत्ता सुन्दरी को जीत चुके है,तो इस बार भी प्रथम सुन्दरी को जीतने में वे ही सक्षम रहेंगे। इनमें से हर दावेदार किसी ना किसी आका के भरोसे सत्ता सुन्दरी का वरण करने को आतुर है। हांलाकि फूल छाप की भीतरी जानकारी रखने वालों का कहना है कि स्टेशनरोड पर जिसकी पकड ज्यादा होगी सत्ता सुन्दरी उसी को मिलेगी। लेकिन ये अभी साफ नहीं हो पा रहा है कि स्टेशनरोड पर किसकी पकड अभी ज्यादा है?
ऐसे सारे दावेदार,अपने अपने पोर्ट फोलियो तैयार करके द्वारे द्वारे भटक रहे है। रतलाम से भोपाल तक की दौड लगा रहे है और सियासत के बडे आकाओं के द्वारे जाकर अपने पोर्टफोलियो उन्हे दे रहे है जिससे कि उनका दावा पक्का हो सके। जो 49 सत्ता सुन्दरियों में से किसी एक के फेर में है,वो भोपाल की बजाय लोकल लेवल पर ही कोशिशों में जुटे है।
लेकिन फूल छाप के बडे आकाओं ने इस मामले में जवानों को तरजीह देने की मंशा जाहिर करके कई सारे नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया है। जिन्दगी की पांच दहाईयां पार कर चुके नेताओं का मानना था कि सियासत में ये उम्र तो जवानी की होती है। लेकिन फूल छाप पार्टी के बडे आका इससे सहमत नहीं है। उनका कहना है कि सियासत की सुन्दरियों के लिए अब पार्टी जवानों को ही तरजीह देगी,ताकि नया नेतृत्व उभर सके। फूल छाप के तमाम बडे नेता भी पार्टी के इस फैसले से नाखुश है। वे आपसी निजी बातचीत में खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर भी कर देते है,और ये भी कहते है कि पार्टी को ये फैसला महंगा पड जाएगा। लेकिन जिन्होने ये फैसला किया है,उनके सामने बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती। इसी का नतीजा है कि फूल छाप पार्टी में ज्यादातर जवानों को सत्ता सुन्दरी को हासिल करने का मौका मिलेगा।
दूसरी ओर पंजा पार्टी इस बार फूल छाप से कुछ आगे चलती हुई नजर आ रही है। पंजा पार्टी में उम्र का कोई लफडा नहीं है। अलग अलग वार्डों के लिए धीरे धीरे चेहरे साफ होते जा रहे है। कुछ इलाकों के दावेदार तो लगभग तय जैसे है,जबकि कुछ इलाकों में ये सिलसिला चालू हो रहा है। लेकिन पंजा पार्टी में भी सबसे बडी और खुबसूरत इकलौती सत्ता सुन्दरी के लिए दावेदार ढूंढना बेहद कठिन साबित हो रहा है। शहर के मिजाज को जानने वालों का मानना है कि इस मामले में फूल छाप का दावा मजबूत रहने वाला है। ऐसे में पंजा पार्टी को कोई मजबूत दावेदार ढूंढना होगा,जो फूल छाप को अच्छी चुनौती दे सके। पंजा पार्टी में कुछ नाम सामने आए है,लेकिन इनमें ऐसा कोई नाम नहीं है,जिसके सामने आते ही मुकाबला कडा हो जाने की उम्मीद जगे।
बहरहाल,एक तरफ जवानों का वैलेन्टाइन डे मन रहा है और दूसरी ओर सियासत का वैलेन्टाइन चल रहा है। जवानों के वैलेन्टाइन डे में माशुका के इकरार या इन्कार का फैसला तो आज ही हो जाएगा,लेकिन सियासत वाली माशूका के इकरार या इन्कार के फैसले के लिए अभी लम्बा इंतजार करना पडेगा।

ये कैसा वेलैन्टाइन…………..

मौका वैलेन्टाईन डे का है,इसलिए ये जानना भी जरुरी है कि असल में वैलेन्टाइन मन कैसे रहा है। कुछ सालों पहले तक वैलेन्टाइन डे की परंपरा को संस्कृति पर आघात मानने वाले,वेलेन्टाइन डे के आयोजन को रोकने की कोशिशें करते हुए नजर आते थे। इन्ही कोशिशों के चलते गिफ्ट की दुकानों पर हंगामा होता था,तो छुपकर मिलने वाले प्रेमी प्रेमिकाओं की खोजबीन कर उन्हे सबक सिखाने की कोशिशें भी की जाती थी। लेकिन ये प्रयास करने वालों को जल्दी ही समझ में आ गया कि इन कोशिशों का उल्टा असर हो रहा है। नतीजा ये है कि अब वैलेन्टाइन डे के मौके पर ना तो कोई हुडदंग होता है और ना वर्दी वालों को कोई मशक्कत करना पडती है। लेकिन इसका एक दूसरा असर भी होने लगा है। अब वैलेन्टाइन डे किसी एक खास दिन पर नहीं मनाया जा रहा। बल्कि शहर के कई ईलाकों में चल रहे काफी बार,और माडर्न रेस्टोरेन्ट्स में हर दिन वैलेन्टाइन डे मनते हुए देखा जा सकता है। पहले वैलेन्टाइन डे मनाने वालों में ज्यादातर सच्चे प्रेमी जोडे होते थे जो साथ जीने मरने की कसमें भी खाया करते थे। लेकिन आजकल हर दिन वैलेन्टाइन मनाने वालों में ज्यादातर मामले गडबडी वाले है। पिछले कुछ ही दिनों में ऐसे कई मामने सामने आए है,जिनमें अश्लील विडीयो बनाने,ब्लैकमेमिंग करने और प्यार के नाम पर लव जेहाद किए जाने की घटनाएं शामिल थी। कुछ में वर्दी वालों ने मामले भी दर्ज किए है। लेकिन शहर में ये चलन आजकल बढता जा रहा है और ये वैलेन्टाइन डे काफी खतरनाक भी साबित हो सकता है।

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